City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2580 | 421 | 0 | 0 | 3001 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
औपनिवेशिक काल के दौरान के ब्रिटीशियों ने भारतीय शिक्षण पद्धति को बदलकर रख दिया, इन्होंने भारतीय शिक्षा को गुरूकुल से निकालकर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में पहुंचा दिया। औपनिवेशिक काल के समय में स्थापित शिक्षण संस्थाएं आज भी कार्यान्वित हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय उनमें से एक है। लगभग 225 एकड़ क्षेत्र में फैले इस विश्वविद्यालय की शुरूआत मात्र दो कमरों से हुई थी। 1862 की गर्मियों में, ब्रिटिश भारत के पहले वाइसराय चार्ल्स जॉन कैनिंग (Viceroy Charles John Canning) ने लंदन में अंतिम सांस ली। चार्ल्स जॉन कैनिंग को 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान उनकी वफादारी के लिए तालुक (एक जिले के उपखंड) से उन्हें पुरस्कृत किया गया था। मृत्योपरांत उनकी स्मृति में अवध में उनके वफादार तालुकेदारों के एक समुह ने एक शैक्षणिक संस्थान शुरू करने के लिए अपनी वार्षिक आय में से आठ आना (आधा रुपया) दान करने का फैसला किया। इसके ठीक दो साल बाद, कैनिंग हाई स्कूल की स्थापना की गयी। ख्यालीगंज, अमीनाबाद की तंग गलियों में एक हवेली के दो कमरों में 200 छात्रों के साथ इसका शुभारंभ किया गया। 1866 में हाई स्कूल को कैनिंग कॉलेज के रूप में अग्रसित किया गया। शुरूआती दिनों तक इस कॉलेज का कोई स्थायी ठिकाना नहीं था। इसे कैसरबाग (वर्तमान में, राय उमानाथ बली ऑडिटोरियम और भातखंडे संगीत संस्थान) में अपना भवन मिला, लेकिन अतिरिक्त जगह की बढ़ती मांग ने इसे पुन: पुनर्वास के लिए प्रेरित किया। प्रांतीय सरकार को इसकी सहायता के लिए प्रेरित किया गया और इसने 2,10,000 रुपये में प्रांतीय संग्रहालय की इमारत को कॉलेज के लिए बेचने की सहमति दे दी। पश्चिमी प्रांतों के लेफ्टिनेंट-गवर्नर और 15 नवंबर, 1878 को अवध के मुख्य आयुक्त थे। कैनिंग कॉलेज 1867 से अगले 20 वर्षों तक कलकत्ता विश्वविद्यालय के तहत एक मान्यता प्राप्त संस्थान के रूप में कार्य करता रहा, 1888 में यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में आ गया।
1905 में, सरकार ने गोमती नदी के उत्तर में लगभग 90 एकड़ में फैले हुए चारदीवारी के बगीचे को कॉलेज के लिए सौंप दिया, इस बगीचे को बादशाह बाग के नाम से जाना जाता था, जो मूल रूप से राजा नसीरुद्दीन हैदर का बगीचा था। अवध में शांति के बाद यह कपूरथला के महाराजा का निवास स्थान बना। इस बाग में स्थित कुछ पुराने अवशेष जैसे पुरानी शाही इमारत लाल बारादरी, बुलंद और सुंदर द्वार,एवं नहर इसकी ऐतिहासिकता की याद दिलाते हैं। इस इमारत के निर्माण का कार्य वास्तुकार सर स्विंटन जैकब (Sir Swinton Jacob) को सौंपा गया, इन्होंने ही इंडो-सरसेनिक शैली (Indo-Saracenic Style) में एक प्रभावशाली डिजाइन तैयार किया था। यह डिजाइन इतना आकर्षक था कि 1911 में लंदन में आयाजित समारोह की प्रदर्शनी में इसे दिखया गया। इसकी छत ऊंची और सिढि़यां लकड़ी से बनी हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय की परिकल्पना महमूदाबाद के राजा सर मोहम्मद अली मोहम्मद खान, खान बहादुर ने की थी। उन्होंने तत्कालीन लोकप्रिय अखबार द पायनियर (The Pioneer) में लखनऊ में एक विश्वविद्यालय की नींव रखने हेतु लेख लिखे। मोहम्मद खान की शैक्षिक मामलों में विशेष रूचि थी, 10 नवंबर 1919 को गवर्नमेंट हाउस में शिक्षाविदों और और विश्वविद्यालय शिक्षा में रूचि रखने वाले व्यक्तियों की एक सामान्य समिति में बैठक हुई, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय की नींव रखी गयी। इस समिति की अध्यक्षता सर हरकोर्ट बटलर (Sir Harcourt Butler) ने की थी, जो उस समय संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट-गवर्नर थे, इन्होंने ही इस समिति की अध्यक्षता की और नए विश्वविद्यालय के लिए प्रस्तावित योजना की रूपरेखा तैयार की। सर हरकोर्ट बटलर को विशेष रूप से सभी मामलों में मोहम्मद खान का निजी सलाहकार नियुक्त किया गया। एक विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि लखनऊ विश्वविद्यालय एकात्मक, शिक्षण और आवासीय विश्वविद्यालय होना चाहिए, जैसा कि कलकत्ता विश्वविद्यालय मिशन, 1919 द्वारा अनुशंसित है, और इसमें ओरिएंटल स्टडीज (Oriental Studies), साइंस (Science), मेडिसिन (Medicine), लॉ (Law) सहित कला के संकाय भी शामिल होने चाहिए।
लखनऊ विश्वविद्यालय को 12 अगस्त, 1920 को विधान परिषद में पेश किया गया था। इसे एक चुनिंदा समिति के लिए भेजा गया था। 8 अक्टूबर, 1920 को संशोधनों के बाद इसे पारित कर दिया गया। कैनिंग कॉलेज को इसाबेला थोबर्न कॉलेज (Isabella Thoburn College) और किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (King George Medical College) के साथ विश्वविद्यालय बनाने के लिए मिला दिया गया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्रो-वाइस-चांसलर जीएन चक्रवर्ती को 16 दिसंबर, 1920 को लखनऊ विश्वविद्यालय का पहला कुलपति बनाया गया। पहला शैक्षणिक सत्र जुलाई 1921 में शुरू हुआ और अक्टूबर 1922 में पहला दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। आज यह हसनगंज में 225 एकड़ में फैला है और इसके परिसरों और संबद्ध कॉलेज में 1.5 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। विश्वविद्यालय का मुख्य परिसर बादशाहबाग, और दूसरा परिसर जानकीपुरम में स्थित है। लखनऊ विश्वविद्यालय में कला, विज्ञान, वाणिज्य, शिक्षा, ललित कला, विधि और आयुर्वेद सात संकायों से सम्बद्ध, 59 विभाग हैं। इन संकायों में लगभग 196 पाठ्यक्रम संचालित है, जिसमें 70 से अधिक व्यावसायिक पाठ्यक्रम स्ववित्तपोषित योजना में संचालित हैं। विश्वविद्यालय का केंद्रीय पुस्तकालय टैगोर लाइब्रेरी देश के समृद्ध पुस्तकालयों में से एक है। इसमें 5.25 लाख किताबें, 50,000 जर्नल और लगभग 10,000 प्रतियां अनुमोदित पीएच.डी. और डी.लिट. लघु शोध प्रबंध संग्रहित हैं। यह पुस्तकालय कम्प्यूटरीकृत है और इसकी अपनी वेब साइट भी है।
विश्वविद्यालय में व्यक्तिगत विभागीय पुस्तकालयों के अतिरिक्त एक सहकारी पुस्तकालय भी है। शिक्षा और व्यावसायिकता की बढ़ती आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने स्नातक पाठ्यक्रमों के शिक्षण के लिए 48 संबद्ध कॉलेजों को मान्यता दे दी है। इनमें से कुछ कॉलेजों को विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर शिक्षण की भी अनुमति दी गई है। शिक्षकों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के बीच एक स्वस्थ संबंध बनाने के लिए, विश्वविद्यालय ने तीन स्वतंत्र निकाय लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ और लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद बनाए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अकादमिक और पाठ्येतर क्षेत्रों में अपनी उत्कृष्टता के मामले में देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में एक प्रतिष्ठित स्थान हासिल किया है।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.