Post Viewership from Post Date to 09-Nov-2020
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2706 249 0 0 2955

This post was sponsored by - " "

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं, अन्तःसमुद्री संचार केबल

लखनऊ

 27-10-2020 01:15 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

अन्तःसमुद्री संचार केबल निश्चित रूप से प्रभावशाली नहीं हैं। लेकिन वास्तव में दुनिया में फाइबर ऑप्टिक केबलों (Fiber Optic Cables) का विशाल तंत्र है, जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित हो रही हमारी अनेक जानकारियों को बनाए रखते हैं। अन्तःसमुद्री संचार केबल भूमि आधारित स्टेशनों (Stations) के बीच समुद्र तल पर बिछायी गयी केबलें है, जो समुद्र और समुद्र के हिस्सों में दूरसंचार संकेतों (Telecommunication Signals) को ले जाने का कार्य करती है। 99% से अधिक इंटरनेट ट्रैफिक (Traffic), उच्च गुणवत्ता वाले फाइबर ऑप्टिक केबल पर ही निर्भर करता है, जो विभिन्न देशों को जोड़ता है तथा आम तौर पर समुद्र के तल पर बिछा होता है। ट्रैफिक का केवल एक छोटा हिस्सा ही उपग्रहों के माध्यम से जाता है। 1839 में विलियम कुके और चार्ल्स व्हीटस्टोन (William Cooke and Charles Wheatstone) ने जब अपने टेलीग्राफ (Telegraph) को पेश किया, तब अटलांटिक महासागर में अन्तःसमुद्री संचार केबल को बिछाने के बारे में सोचा जाने लगा। 1842 सैमुअल मोर्स (Samuel Morse) ने टेरेड हेम्प (Tarred hemp) और भारतीय रबड से इंसुलेडेट (Insulated) तार को न्यू यॉर्क हार्बर (Newyork Harbor) के पानी में डूबा दिया और इसके द्वारा टेलीग्राफ किया। पहली अन्तःसमुद्री केबल टेलीग्राफी के लिये 1850 की शुरूआत में बिछायी गयी थी। पहली ट्रांसकॉन्टिनेंटल (Transcontinental) केबल को 1858 में आयरलैंड (Ireland) से न्यूफाउंडलैंड (Newfoundland) तक बिछाया गया और इंग्लैंड और कनाडा के बीच टेलीग्राफ संचार संभव हुआ। यद्यपि संचार महंगा था और केवल कुछ शब्द प्रति घंटे के हिसाब से सीमित था, लेकिन उस समय संचार की गति अद्वितीय थी। त्वरित संचार इसकी एक बड़ी व्यावसायिक सफलता थी, और इसने केबल बिछाने की गति को प्रेरित किया। फाइबर ऑप्टिक तकनीक ने बड़ी मात्रा में सूचनाओं को तेजी और लागत प्रभावी तरीके से प्रसारित किया। गति का स्तर केवल समय के साथ बढ़ा है - और अब केबल प्रति सेकंड 160 टेराबिट्स (Terabits) को संचारित कर सकते हैं। आज, 420 से अधिक अन्तःसमुद्री संचार केबल हैं, जो दुनिया भर में 700,000 मील तक फैली हैं।
आधुनिक केबल आमतौर पर लगभग 2.5 सेंटीमीटर व्यास तथा 1.4 टन प्रति किलोमीटर वजन के होते हैं। अन्तःसमुद्री संचार केबल नेटवर्क (Network) को विभिन्न सरकारों और विशाल कंपनियों द्वारा बिछाया गया है, जो इनका रखरखाव भी करते हैं। निवेश की बड़ी लागत के कारण इस तरह की परियोजनाएं आमतौर पर कई कंपनियों द्वारा संचालित की जाती हैं। इसके लिए तीन स्तर बनाए गये हैं: टियर (Tier)-1, टियर-2 और टियर-3। टियर -1 के अंतर्गत वे कंपनियाँ हैं, जिनके पास दुनिया भर में कई केबलों को जोड़ने वाला एक वैश्विक नेटवर्क है। वे दूसरों को शुल्क दिए बिना इंटरनेट पर किसी भी गंतव्य तक पहुंच प्रदान करने में सक्षम होते हैं। यह नेटवर्क इंटरनेट की रीढ़ के रूप में कार्य करता है। टियर-2 के अंतर्गत वे कंपनियां हैं, जिनके पास एक क्षेत्रीय नेटवर्क है और वे एक या एक से अधिक टियर -1 नेटवर्क से जुड़ी हैं। टियर -1 कंपनी के नेटवर्क तक पहुंचने के लिए उन्हें भुगतान करना होता है। टियर-3 इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISPs-आईएसपी) हैं, जिनसे हम अपने ब्रॉडबैंड कनेक्शन (Broadband Connections) खरीदते हैं। ये स्तर अंत में उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट से जोड़ता है। हमारे सभी अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट ट्रैफिक शहरों मुंबई, कोचीन, चेन्नई और तूतीकोरिन (Tuticorin) से होकर जाते हैं। वह स्थान जहाँ अंतर्राष्ट्रीय केबल भूमि से जुड़ते हैं, लैंडिंग (Landing) स्टेशन कहलाते हैं। भारत में 3 लैंडिंग स्टेशन मुंबई, चेन्नई और कोचीन का स्वामित्व टाटा कम्युनिकेशंस (Tata Communications) के पास है तथा यह भारत की एकमात्र टियर -1 कंपनी हैं। टाटा कम्युनिकेशंस के BKC मुंबई लैंडिंग स्टेशन पर अन्तःसमुद्री केबल की बैंडविड्थ (Bandwidth) 3.6 टेराबिट प्रति सेकेंड (Terabytes per second-Tbps) के आस-पास है। भारती एयरटेल (Airtel) के 2 लैंडिंग स्टेशन चेन्नई और मुंबई में हैं। इसके अलावा रिलायंस ग्लोबलकॉम (Reliance Globalcom), सिफि टेक्नॉलोजिस (Sify Technologies) का एक-एक लैंडिंग स्टेशन मुंबई में और बीएसएनएल (BSNL)‌ का तूतीकोरिन में है, जो श्रीलंका से जुड़ा हुआ है। पूर्व की ओर, केबल चेन्नई को सिंगापुर से जोड़ती है। पश्चिमी की तरफ मुंबई से हम संयुक्त अरब अमीरात से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं।
तथा दक्षिण की ओर हम दक्षिण अफ्रीका से आने वाली केबलों से जुड़े हैं। भारत में एक गैर लाभकारी सरकारी संगठन भी है, जिसे नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (National Internet Exchange of India-NIXI) कहा जाता है, यह भारतीय इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को विदेशी सर्वर (Server) का उपयोग करने के बजाय एक दूसरे के नेटवर्क को प्रभावी तरीके से उपयोग करने की अनुमति देता है। भारत में कई नेटवर्क हैं, जिनमें से एक रेलटेल (RailTel) भी है। ये केबल 400 गीगाबिट प्रति सेकेंड (Gigabit per second-Gbps) तक की बैंडविड्थ (Bandwidth) के लिए सक्षम हैं। इसके पास 30,000 किलोमीटर से अधिक का नेटवर्क है। 2014 में भारत ने प्रति माह 967 पेटाबाइट्स (Petabytes) का इस्तेमाल किया था, जो उसके बाद और प्रति वर्ष 33% की दर से बढ़ रहा है। 1 पेटाबाइट्स = 1000 टेराबाइट्स (Terabytes) या 1000 ट्रिलियन बाइट्स (Trillion Bytes) होता है। 2013 की एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल अंतर्राष्ट्रीय बैंडविड्थ 33,900 Gbps की है। अन्तःसमुद्री संचार केबल लैंडिंग स्टेशन सर्वर (Server) के लेन (LAN port) पोर्ट में प्लग (Plugged) की गयी होती हैं, यदि इस केबल को हटा दिया जाता हैं, तो भारत का वैश्विक इंटरनेट से जुडाव टूट जायेगा और हम इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। वीडियो (Video) से लेकर फेसबुक (Facebook), ऑनलाइन बैंकिंग (Online banking) आदि सभी के लिए हमें इंटरनेट की आवश्यकता होती है। इस प्रकार इन सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में अन्तः-समुद्री संचार केबल बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

संदर्भ:
https://www.visualcapitalist.com/submarine-cables/
https://www.mumbai-ix.net/blog/role-of-submarine-cables-for-growth-of-internet-in-india/
https://bit.ly/344ouPb
https://en.wikipedia.org/wiki/Submarine_communications_cable#Early_history:_telegraph_and_coaxial_cables
https://www.quora.com/How-is-India-connected-to-the-internet
चित्र सन्दर्भ:
पहली छवि में अरब सागर के पानी के नीचे से 'पनडुब्बी इंटरनेट केबल' बाहर निकाला जा रहा है।(indian times)
दूसरी छवि पनडुब्बी केबल दिखाती है।(visual capitalist)
तीसरी छवि वर्ष 2020 तक दुनिया भर में पनडुब्बी केबलों के नक्शे को दिखाती है।(submarine cable map)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id