City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2615 | 441 | 0 | 0 | 3056 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
कोविड-19 के इस दौर में शहरी क्षेत्रों ने अपनी चमक कहीं खो सी दी है, लोगों की चहल-पहल और समारोह में जमाव आदि लगभग सभी बंद से हो गये हैं। कोविड के संक्रमण के डर से लोगों ने अपने घरों से निकलना बंद कर दिया है। अब लोग अपने घरों में रहने के लिये विवश से हो गये हैं। कुछ लोग तो इससे परेशान हो कर उपनगरों से भाग रहे हैं और किसी शांत जगह में जा कर रह रहे हैं। ऐसे में लोगों को ऑफ-ग्रिड (Off-grid) जीवन शैली अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। ऑफ-द-ग्रिड या ऑफ-ग्रिड सार्वजनिक सुविधाओं या उपयोगिताओं पर निर्भर हुए बिना स्वतंत्र तरीके से बनाई गई इमारतों और जीवन शैली की एक विशेषता है। इन इमारतों में पानी, सौर बिजली, तापमान, सीवेज (Sewage) और यहां तक कि खाद्य उत्पादन के प्रबंधन भी शामिल हैं।
ऑफ-द-ग्रिड लिविंग (Living) लोगों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है, जो कि उन स्थानों के लिये फायदेमंद है, जहां सामान्य सुविधाओं तक नहीं पहुंचा जा सकता है। यह उन लोगों के लिये भी फायदेमंद है जो कम लागत में प्रकृति के करीब रहने के लिये अपना घर बनवाना चाहते हैं। ऑफ-ग्रिड शब्द का प्रचलन सबसे पहले 1990 के दशक के मध्य में हुआ जिसका श्रेय पर्यावरणविद निक रोसेन (Nick Rosen) को दिया जाता है, जो ऑफ-ग्रिड.नेट (Off-Grid.net) के संस्थापक थे। इस शैली के अंतगर्त पुनर्नवीनीकरण सामग्री का उपयोग करके घरों का निर्माण किया जाता है, जिन्हे “अर्थशिप (Earthship)” के नाम से भी जाना जाता हैं। “अर्थशिप” घर के निर्माण की एक शैली को संदर्भित करता है, जिसे आत्मनिर्भर तरीके से और ऑफ-ग्रिड बनाया गया है। इस अवधारणा का नेतृत्व न्यू मैक्सिको (New Mexico) के आर्किटेक्ट माइकल रेनॉल्ड्स (Architect Michael Reynolds) ने किया था, जिसे उन्होंने 40 साल पहले "अर्थशिप बायोटेक्चर" (Earthship Biotecture) कहा।
इन्होंने अपनी ग्रीन होम बिल्डिंग (Green Home Building) को सीमेंट और पुनर्नवीनीकरण सामग्री जैसे कांच की बोतलें, पुराने टायर और बीयर के डिब्बों से डिजाइन किया था। ये अर्थशिप घर ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर होते हैं, इनमें वर्षा जल इकट्ठा करने की सुविधा भी होती है, इसका उपयोग सिंचाई और सीवेज प्रक्रिया में होता है, और इसमें संलग्न ग्रीनहाउस की भी सुविधा होती है, जिससे खाद्य उत्पादन की समस्या भी हल हो जाती है। रेनॉल्ड्स ने अपनी अर्थशिप बायोटेक्चर फर्म के माध्यम से कई लोगों के लिये कम लागत में (लगभग 180 डॉलर और 250 डॉलर प्रति वर्ग फुट के बीच, परंतु यह मॉडल और स्थान के आधार पर भिन्न भी हो सकती हैं) पुनर्नवीनीकरण सामग्री से 1,000 से अधिक घरों का निर्माण किया। रेनॉल्ड्स अर्थशिप अकादमी भी चलाते हैं, जो नवोदित वास्तुकारों और जिज्ञासु शौकियों को पुनर्नवीनीकरण सामग्री से घरों का निर्माण सिखाता है। आज रेनॉल्ड्स के छात्र दुनिया भर के समुदायों के लिए अर्थशिप घरों का निर्माण कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे आपदा से पीड़ित लोगों के लिए घर बना कर उनकी मदद कर रहे हैं और साथ ही साथ पर्यावरण को भी बचा रहे हैं।
क्योंकि ऑफ-ग्रिड इमारतें और समुदाय मुख्य रूप से नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर होती हैं, इसलिये आम तौर पर इनका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। परन्तु इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। कई जगह बिजली उत्पादन के लिये डीजल जनरेटर का उपयोग होता है, जिससे हानिकारक गैसें निकलती हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं, इसके अलावा कई लोग बैटरी का भी उपयोग करते हैं जोकि प्राकृतिक वातावरण में कई तरह के प्रदूषण को बढ़ाते हैं। परंतु ध्यान देने योग्य बात यह है कि, यदि इन नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों का निवारण कर दिया जाये तो ये घर पर्यावरण के लिये वरदान सिद्ध हो सकते हैं क्योंकि इन घरों को संपूर्ण रूप से पुनर्नवीनीकरण सामग्री से बनाया जाता है, जिससे व्यर्थ कचरा हट जाता है, और इन घरों में हर चीज प्राकृतिक रूप से प्राप्त की जाती है। इस कारण पर्यावरण नकारात्मक रूप से प्रभावित भी नहीं होता है।
इसके अलावा यहां लोग मनोवैज्ञानिक रूप से अपनी समस्याओं को दूर करने और सुलझाने में सशक्त बन जाते हैं। इन घरों में अपने हाथों से उगाया हुआ भोजन उन्हें डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से कई ज्यादा स्वादिस्ट, संतोषजनक और बौद्धिक रूप से स्फूर्तिदायक लगता है। यहां आकर वे तनाव और चिंता रहित जीवन का अहसास करते हैं। साथ ही साथ यहां वे स्वंय के कार्यों के लिये किसी भी प्रकार की तकनीक पर निर्भर नहीं होते, जिस वजह से इनकी कसरत भी होती रहती है और इनका स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है। मेयो क्लिनिक (Mayo Clinic) के अनुसार शहर में रहने वाले लोगों की तुलना में इन लोगों को हृदय रोग, मधुमेह, और कैंसर जैसी बिमारियां होने की संभावना कम होती है।
यहां जल प्रबंधन के लिये वर्षा जल, स्थानीय जल निकाय या कुएँ तथा झरने का अधिकतम उपयोग किया जाता है। छत पर बरिश का पानी या पहाड़ियों से अपवाह से पानी लिया जाता है और रासायनिक उपचार, पराबैंगनी प्रकाश या अन्य किसी माध्यम से फ़िल्टर किया जाता है। पीने, स्नान करने और बर्तन धोने के लिए पानी को एक भंडारण टैंक में पंप किया जाता है। परंतु इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि जिस स्थान का चयन घर बनाने के लिये किया जा रहा है, उसके पास एक प्राकृतिक जल स्रोत हो। इन घरों में वर्षा जल संग्रह प्रणाली का उपयोग आमतौर पर उचित होता है। जल संचयन के लिए जमीन में भूमिगत टैंक आदि भी बनाये जाते हैं, और ज़रूरत पड़ने पर आपके घर में इस जल को पंप कर दिया जाता है। किन्तु यह पानी हानिकारक हो सकता है। इसके लिए पानी को शुद्ध करने की तकनीक को अपनाकर पानी को पीने योग्य बनाया जा सकता है।
ऑफ़ ग्रिड लिविंग के लिए अपशिष्ट का उपयुक्त निपटारन भी आवश्यक है, नहीं तो बीमारियां हो सकती हैं। ग्रिड की सीवर लाइन के निवारण का सबसे अच्छा तरीका सेप्टिक सिस्टम स्थापित करना है। सेप्टिक सिस्टम मूल रूप से एक बड़ा धातु टैंक है, जो आपके अपशिष्ट जल को पहले इकट्ठा करता है और बाद में बाहर निकाल देता है। टैंक में बैक्टीरिया ठोस अपशिष्ट और जल को अलग अलग कर देते है। इसके बाद इस जल को आगे बहा दिया जाता है। ध्यान रहे कि इस टैंक को एक वर्ष में एक बार पेशेवर द्वारा खाली करवा दिया जाना चाहिए।
इन घरों में बिजली सौर पैनलों, हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली, माइक्रो हाइड्रो, सौर फोटोवोल्टिक, पवन ऊर्जा आदि के माध्यम से उत्पन्न होती है। सौर ऊर्जा का उपयोग करने वाले आवासीय घरों में आमतौर पर छत या घर के पास स्थित फोटोवोल्टिक (पीवी) सौर पैनल लगे होते हैं। इन पैनलों में सिलिकॉन अर्धचालकों से बनी सेल होती हैं, जब सूर्य का प्रकाश इन पैनलों से टकराता है, तो ये अर्धचालक ऊर्जा एकत्र करते हैं और इससे इनमें इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होने लगता है, जिससे विद्युत प्रत्यक्ष धारा (डीसी) बनती है। इसके बाद इस विद्युत प्रत्यक्ष धारा (डीसी) को एक इन्वर्टर के माध्यम से पारित किया जाता है, जो डीसी धारा को एसी धारा में परिवर्तित करता है, जिसका उपयोग घरों में किया जाता है। कई लोग सौर ऊर्जा के लिये दुनिया की सबसे साफ और सस्ती ऊर्जा “पवन ऊर्जा” का उपयोग करते हैं। इन घरों में 50 से 120 फुट ऊंचे टॉवर लगे होते है। जब हवा चलती है, तो ब्लेड घूमना शुरू कर देते हैं और एक शाफ्ट को घुमाते हैं जो रोटर (Rotor) से एक जनरेटर की ओर जाता है। जनरेटर रोटेशन (Rotation) से उत्पादित ऊर्जा लेता है और इसे बिजली में बदल देता है।
वर्तमान में इस तरह की इमारतों का उपयोग बढ़ता जा रहा है। वरमोंट लॉ स्कूल (Vermont Law School) में ऊर्जा सुरक्षा और न्याय कार्यक्रम के संस्थापक निदेशक बेंजामिन सोवाकोल (Benjamin Sovacool) का अनुमान है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 300,000 लोग इस प्रकार की जीवन शैली को अपनाते हैं, जिनमें से 70% से 75% लोग गरीबी के कारण ऐसा करते हैं, अन्य लोग या तो दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं या फिर नगरपालिका सुविधाओं के उपयोग को बदलने या कम करने के लिए एक जागरूक विकल्प को चुनते हैं। परंतु इन घरों को बनाना न तो आसान है और न ही उतना सस्ता जितना कि दिखता है। इस घरों में पीने योग्य पानी हासिल करना और मानव अपशिष्ट का निपटान करना एक जटिल कार्य है। साथ ही साथ बिजली उत्पादन के लिये एक पवन टरबाइन या सौर पैनल जो सामान्य घरेलू बिजली को बनाने में सक्षम हैं, इनका खर्च 25,000 से 30,000 डॉलर तक आता है, जबकि इसमें बैटरी का खर्च शामिल नहीं है। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर नगरपालिका के स्वास्थ्य और भवन विभागों के स्थानीय जल आपूर्ति और बिजली प्रदाता से न जुड़ना अवैध हो सकता है। केप कोरल की निवासी, फ्लोरिडा को उसके अपने घर से निकाल दिया गया था क्योंकि उसने स्थानीय जल आपूर्ति और बिजली प्रदाता से जुड़ने से इनकार कर दिया था। परंतु कठिनाइयों के बावजूद, ये घर प्रकृति को अपने में समेटे हुये है, और यहां रहकर व्यक्ति स्वयं ही भीड़-भाड़ वाले इलाकों से आइसोलेट (Isolate) हो जाता है, जोकि कोरोना काल में जरूरी भी है। ये जीवन शैली जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करती है, जोकि हमारे स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक भी है और ये शायद, हमारी प्रजातियों के अस्तित्व को लम्बे समय तक बनाये रखने के लिये भी उपयोगी है।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.