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जलवायु परिवर्तन का प्रभाव धरती पर रहने वाले प्रत्येक जीव-जंतु पर पड़ता है, जिसका अवलोकन विशेषज्ञों द्वारा प्रति वर्ष किया जाता है। आधुनिक विकास की दिशा में जब हमें लगभग हर तरह की तकनीक और सुविधा कुछ मिनटों में ही उपलब्ध हो जाती है, फिर भी समय-समय पर हमारा परिचय ऐसे कई जटिल रोगों से होता रहता है, जिनका इलाज़ खोजना पूरी मानव-जाति के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है। उदाहरण के लिए कोविड-19। वर्तमान समय में कोरोनावायरस के प्रकोप से सभी देश जूझ रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि सर्दी के मौसम में रोगों का प्रसार अन्य मौसम की अपेक्षा अधिक होता है। एलिजाबेथ मैकग्रा (Elizabeth McGraw) जिन्होंने पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिजीज डायनामिक्स (Center for Infectious Disease Dynamics at Pennsylvania State University) को निर्देशित किया है, उनका मानना है कि सर्दियों में लोग बाहर खुले में घूमने की अपेक्षा घर के अंदर अधिक समय व्यतीत करते हैं, जिससे रोगाणुओं के फैलने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि हवा से फैलने वाले रोगाणु खुले स्थान की तुलना में बंद जगहों पर इकट्ठा हुई भीड़ में अधिक शीघ्रता से फलते हैं और ऐसे में यदि एक भी व्यक्ति संक्रमित होता है, तो अन्य लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार भारत में कोविड-19 का संक्रमण मानसून से सर्दियों के मौसम में अधिक ते़जी से फैलने की संभावना है। यद्यपि अलग-अलग रोगों के पनपने और विस्तार के लिए अलग-अलग कारक उत्तरदायी होते हैं, किंतु शोधकर्ताओं के अनुसार हवा में वायरस किस प्रकार जीवित रहेगा और किस तरह शरीर में घुसने के लिए अपना रास्ता बनाएगा, यह उस स्थान के तापमान और आर्द्रता पर भी निर्भर करता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ अनुसंधान के द्वारा फ़्लू के वायरस पर किये गए एक राष्ट्रीय शोध में पता चला है कि एक शरीर के बाहर एक वायरस के लचीलापन के लिए उसके लिपिड (Lipid) खोल की कठोरता, सर्द हवा में जेल (Gel) जैसी प्रकृति वाला एक वसायुक्त पदार्थ महत्वपूर्ण होता है। शुष्क हवा वायरस को फैलने में मदद करती है।
न्यूयॉर्क सिटी (New York City) में माउंट सिनाई स्कूल ऑफ मेडिसिन (Mount Sinai School of Medicine) के 2007 में फ्लू पर हुए एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि कम आर्द्रता नाक के सुरक्षात्मक बलगम को बाहर निकाल देती है, जिससे वायरस के कणों को लंबे समय तक शरीर में रहने का मार्ग मिल जाता है, और क्योंकि वे शुष्क वातावरण के कारण पानी के रूप में बाहर नहीं आ पाते हैं। इसलिए संभवतः वायरस अधिक सक्रिय हो जाते हैं। हालाँकि, यह तथ्य वायरस की प्रकृति पर निर्भर करता है, साथ ही यह तथ्य अभी तक सार्वभौमिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है। यह भी स्पष्ट करने के लिए अभी तक पर्याप्त शोध होना शेष है कि यह कथन कोविड-19 पर लागू होता है य नहीं।
रोगाणु, किसी संक्रमित व्यक्ति के खाँसते और छींकते समय उसके शरीर से निकल कर अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और वह व्यक्ति भी रोग का शिकार हो जाता है। कोरोनावयरस के फैलने का खतरा सर्दियों में अधिक है क्योंकि अन्य सर्दी जुकाम के रोगाणु की भाँति इस वायरस को भी संक्रमित व्यक्ति के खाँसने और छींकने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने का अवसर मिल जाता है।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या गर्मियों में कोरोना वायरस का संक्रमण कम हो जाता है? कई शोधकर्ताओं का ऐसा अनुमान है परंतु सटीक प्रमाण अभी तक किसी के पास नहीं है। साथ ही यह दावा किया जाता है कि वायरस सतहों पर चार दिनों से अधिक जीवित नहीं रह सकता है। ब्रिटेन के ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (University of East Anglia) में पॉल हंटर (Paul Hunter) सहित कुछ शोधकर्ताओं का ऐसा मानना है कि कोरोनोवायरस गर्म स्थितियों में अधिक लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाएगा और अपने आप ही नष्ट हो जाएगा। हालाँकि कुछ अन्य शोधकर्ताओं का मानना है कि यह वायरस सर्दियों में पुन: सक्रिय हो जाएगा। चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Chinese Center for Disease Control and Prevention) के अनुसार, कोविड-19, 4 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रहता है और शून्य से नीचे 60 डिग्री तक जीवित रह सकता है। उच्च तापमान में, इसका प्रतिरोध कम हो जाता है, लेकिन तापमान वायरस के संक्रमित करने की क्षमता को नहीं बल्कि केवल इसके अस्तित्व के समय को प्रभावित करता है। एसएआरएस रोग (SARS) केवल बुखार के माध्यम से रोगियों द्वारा दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है, परंतु कोविड-19 का वायरस किसी भी लक्षण को प्रदर्शित किए बिना ही दूसरे व्यक्ति के शरीर में रोग का प्रसार कर सकता है, जिससे इसको नियंत्रित करना और भी कठिन हो जाता है। हालाँकि कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में अभी तक कोई ख़ास कमी दर्ज नहीं की गई है, किंतु वायरस को निष्क्रिय करने के उपायों पर निरंतर खोज की जा रही है। फ़िलहाल विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सुरक्षा के लिए बनाए गये नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि इसके संक्रमण से अपने आप को और आस-पास के लोगों को बचाया जा सके।
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