मधुमक्खी पालन: बढ़ती मांग

तितलियाँ और कीट
16-10-2020 05:57 AM
Post Viewership from Post Date to 09- Nov-2020
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2295 506 0 2801
* Please see metrics definition on bottom of this page.
मधुमक्खी पालन: बढ़ती मांग

लखनऊ शहर में फूलों की भरमार के कारण, यहां पर मधुमक्खी पालन के लिए परिस्थितियां बहुत अनुकूल हैं। लखनऊ के चौक में मशहूर फूलों की मंडी भी थी, जो अभी हाल में गोमती नगर स्थानांतरित की गई है। मधुमक्खियों और उनके छत्तों से आर्थिक रूप से कमाई के कई उत्पाद हो सकते हैं। भारत में मधुमक्खी पालन का व्यवसाय काफी समय से चल रहा है। इसमें इनका नियोजित ढंग से फॉर्म (Farm) बनाकर आर्थिक लाभ का एक जरिया तलाशा गया है। जीविका के लिए बहुतों का यह भी एक साधन है।


भारत में मधुमक्खी पालन: एक परिचय

ज्यादातर लोग मधुमक्खी का नाम सुनते ही डर जाते हैं और हो भी क्यों ना, यह जब डंक मारती है तो उसकी जलन से आदमी बदहाल हो जाता है। लेकिन ऐसा वे आत्मरक्षा में करती है, जब लोग उनके छत्तों को व्यवसायिक कमाई या किसी भी वजह से तोड़ते हैं। यह चार पंखों वाली मक्खियां प्रकृति का वरदान है और यह दुनिया की सबसे मीठी चीज बनाती हैं- शहद। 20 मई को विश्व मक्खी दिवस इन्हीं मधुमक्खियों की याद में मनाया जाता है।

मधुमक्खी पालन: एक पारंपरिक व्यवसाय

मधुमक्खी पालन भारत के लिए नया विचार नहीं है। इस प्राचीन ग्रंथों और बौद्ध धर्म की पवित्र पुस्तक में मिलता है। लेकिन इसे लोकप्रियता हाल के कुछ वर्षों में मिली है। इस समय भारत में लगभग 35 लाख की कॉलोनियां (Colonies) हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। अखिल भारतीय खादी और ग्रामोद्योग विभाग ने शहद के उद्योग को संगठित करने का प्रयास शुरू किया। मधुमक्खी सिर्फ शहद ही नहीं बनाती, वह पुष्पों में निषेचन के जरिए उत्पादन बढ़ाने और उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने का भी काम करती है। फूलों के परागण की कीटों से रक्षा करती हैं। इसलिए मधुमक्खी पालन आज के समय का सबसे बढ़िया व्यवसाय है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में यह अतिरिक्त आय का साधन हो सकता है। मधुमक्खी पालन से शहद के अलावा शाही जेली (Royal Jelly) के उत्पादन से इंसानों के कई रोग ठीक हो जाते हैं। मक्खियों से बने मोम, परागकण, गोंद और विष भी काम की चीजें होती हैं। एक समय था जब किसान मधुमक्खी पालन वालों को अपने खेत के आसपास फटकने नहीं देते थे, आज किसान उन्हें ढूंढ कर अपने खेतों के पास उनकी कॉलोनी बनवा रहे हैं। जब फसलों में फूल आने लगते हैं तब किसान उनकी रक्षा के लिए मधुमक्खी पालक की मदद लेते हैं।

मधुमक्खी पालन: कुछ सुझाव

मधुमक्खी पालन करने के इच्छुक को अपना व्यवसाय सही समय से शुरू करना चाहिए, जब मधुमक्खियों को फूलों से पूरा पराग मिल सके।

यूँ तो मधुमक्खी पालन कभी भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन मधुमक्खियां गर्मी का मौसम पसंद करती हैं इसलिए बसंत ऋतु सबसे उपयुक्त होती है।
व्यवसाय की शुरुआत के लिए मधुमक्खियों की दो कॉलोनी पर्याप्त होती हैं।
7 से 10 दिन पर मधुमक्खी पालक को छत्तों की जांच करनी चाहिए। धीरे-धीरे करके यह परिणाम देने लगता है।
जानिए मधुमक्खी परिवार को
मधुमक्खियां बहुत सामाजिक होती हैं। एक तो यह कॉलोनी में रहती हैं। एक कॉलोनी में हजारों कामकाजी मक्खियां होती हैं, एक रानी मक्खी होती है और सैकड़ों नर मधुमक्खियां होती हैं। कामकाजी मक्खियां मादा होती हैं, लेकिन प्रजनन नहीं करती। वे रानी उसके अंडों की देखरेख करती है। शहद एकत्र करना, छत्ता बनाना, उसकी रक्षा करना, सफाई रखना और शहद का उत्पादन करना उसकी अन्य जिम्मेदारियां होती हैं।
रानी मक्खी सिर्फ प्रजनन करती है। उसका मुख्य काम अंडा देना (अनिषेचित) और कर्मचारी (निषेचित अंडा) कॉलोनी के लिए देना होता है।
इसके अलावा नर मधुमक्खी होते हैं। उनका मुख्य काम रानी को निषेचित करना और उसमें सफल होने पर मृत हो जाना होता है। एक कॉलोनी के अस्तित्व के लिए तीनों प्रकार की मधुमक्खियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।

सन्दर्भ:
https://krishijagran.com/agripedia/beekeeping-in-india-a-complete-guide-to-beekeeping-for-beginners/
https://en.wikipedia.org/wiki/Beekeeper
https://www.farmingindia.in/beekeeping-in-india-honey-bee-farm/

चित्र सन्दर्भ:

पहली और दूसरी छवि मधुमक्खी की तस्वीर दिखाती है। (canva)
तीसरी छवि एक मधुमक्खी पालक की है।(wikipedia)