Post Viewership from Post Date to 10-Nov-2020 32nd Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2466 22 10 15 2513

This post was sponsored by - "Irfan"

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

कोरोना संकट के परिणामस्वरूप उत्पन्न शारीरिक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियां

लखनऊ

 10-10-2020 03:32 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

चीन के शहर वुहान से शुरू होकर विश्वभर में फैले गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) संक्रमण और कोरोनोवायरस रोग 2019 (COVID-19) के परिणामस्वरूप सामाजिक-आर्थिक संकट और मनोवैज्ञानिक संकट से लगभग सभी देश गुजर रहें हैं। संक्रमित व्यक्तियों के साथ-साथ सामान्य व्यक्तियों में भी तनाव, भय और चिंता की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिसका सीधा असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर देखा जा सकता है। कई लोगों को अस्थायी बेरोजगारी का सामना करना पड़ा है, तो कई लोग अलगाव (Isolation) के कारण महीनों से अपने सगे-सम्बन्धियों से मिल नहीं पाए हैं। ऐसे में तनाव होना एक आम बात है। कोरोना वायरस के चलते सभी विद्यालय, शिक्षण संस्थान इत्यादि बंद होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हालाँकि अध्यापकगण इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं (Online Classes) ले रहे हैं परन्तु आज भी ऐसे कई विद्यार्थी हैं जो सुदूर क्षेत्रों में निवास करते हैं और उनके लिए हाई स्पीड इंटरनेट (High Speed Internet) चला पाना सम्भव नहीं है, उनमें से कई ऐसे भी हैं जिनके पास स्मार्ट फ़ोन (Smart Phones) तक उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में उन्हें शिक्षा-ग्रहण करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाना और ऑनलाइन कक्षा में ध्यान देने के लिए बाध्य करना शिक्षक और अभिभावक दोनों के लिए वास्तव में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
इटली और स्पेन में कोरोना संक्रमण के मामलों की भयानक तीव्रता को देखते हुए महत्वपूर्ण लॉकडाउन प्रतिबंधों को चीन के बाद अधिकांश यूरोपीय देशों में लागू किया गया। यह सत्य है कि कई लोग घर से ऑफिस का काम करने के पक्ष में हैं क्योंकि इससे ऑफिस आने-जाने के समय की बचत, परिवहन का किराया या गाड़ी में पेट्रोल, डीजल के खर्चे से मुक्ति और साथ ही काम के साथ-साथ घर के कार्यों में भी मदद कर पाना आदि सम्भव हो सका है परन्तु यह भी सत्य है कि घर में ऑफिस जैसा माहौल बनाना आसान नहीं है। इसके अलावा, आस-पास परिवारजनों की उपस्थिति से ऑफिस के कार्यों में ध्यान लगाना कठिन हो जाता है, जिसका सीधा असर कार्य कुशलता पर पड़ता है। ऑफिस में भी व्यक्ति कई लोगों से घिरा हुआ होता है किन्तु एक-समान कार्य करने की वजह से ऑफिस का वातावरण कार्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। वहीँ दूसरी और घर में हर छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान व्यक्ति को स्वयं ही खोजना पड़ता है। पूरे परिवार के दिन-भर घर पर रहने के कारण गृहणियों का काम भी दोगुना बढ़ गया है। यह सारी परिस्थितियां यह सिद्ध करती हैं कि यह बीमारी कैसे मनुष्यों के शरीरिक स्वस्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वस्थ्य को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है। लगातार बढ़ती बेरोजगारी न सिर्फ लोगों को तनाव और भय की स्थति में डाल देती है बल्कि समाज में आतंक का कारण भी बन सकती है। हाल ही की रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में घरेलू हिंसा के मामले पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष अधिक हैं, इसका एक कारण लोगों में तनाव, हताशा और अवसाद की भावना है।
एक अध्ययन के अनुसार कोविड-19 के मनोवैज्ञानिक लक्षणों में भावनात्मक अशांति, अवसाद, तनाव, मनोदशा में बदलाव और चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, अभिघातजन्य के बाद तनाव (Post-Traumatic Stress) के लक्षण और भावनात्मक थकावट जैसी स्थितियों का पता चला है। आज परिस्थिति यह है कि दो में से एक व्यक्ति क्रोध, चिंता और अनिद्रा, भ्रम, दु: ख और स्तब्धता जैसी मानसिक स्थिति से जूझ रहा है। इस प्रकार, समाज में जीवन की गुणवत्ता पर अल्पकालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक अवधि के लिए प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

इसके अलावा बुनियादी वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति में देरी या कमी भी लोगों में चिंता और भय की मनोवैज्ञानिक स्थिति पैदा करती है। हालाँकि सरकार द्वारा जनता के स्वास्थ्य हित में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं किन्तु फिर भी स्वास्थ सेवाओं की मौजूदा हालत से कई लोग निराश हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों से प्राप्त हुई गलत या अपर्याप्त जानकारी ने भी लोगों में क्रोध और भ्रम का भाव उत्पन्न किया है।

इस वैश्विक तनावपूर्ण माहौल में स्वयं को और अपने परिवार को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है कि कोविड-19 से बचने के लिए सरकार द्वारा सुझाए गए नियमों का पालन करें और साथ ही अपनी दिनचर्या में योग, व्यायाम, ध्यान इत्यादि को सम्मलित करें। घर तथा आस-पास शांति व स्वस्छता बनाए रखें और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। घर में विशेष कर बच्चे और बूढ़े व्यक्तियों का ध्यान रखें। शरीरिक रूप से सुरक्षित और मानसिक रूप से शांत रह कर ही इस बीमारी के प्रकोप से बचा जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण कदम अधिकारियों और नीति निर्माताओं द्वारा उठाया जाना चाहिए जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए व्यवहारिक रणनीतियों को लागू करना, प्रभावी संचार को लागू करना, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से स्वास्थ्य शिक्षा को फैलाना इत्यादि।

संदर्भ:
https://academic.oup.com/qjmed/article/113/8/531/5860841
https://www.who.int/teams/mental-health-and-substance-use/covid-19
https://ideas.repec.org/p/pra/mprapa/100765.html
चित्र सन्दर्भ:
पहली छवि से पता चलता है कि कोरोना के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान है।(canva)
दूसरी छवि एक व्यक्ति को इस महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की पवित्रता बनाए रखने के लिए योग करते हुए दिखाती है।(canva)
तीसरी छवि एक व्यक्ति को लॉकडाउन के कारण दुखी दिखाती है।(canva)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id