ब्रह्मांड ग्रह, तारे, आकाशगंगाएं, खगोलीय पिण्ड, आकाशगंगाओं के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, इत्यादि का समूह है। सक्रिय आकाशगंगाएं ब्रह्मांड की सबसे चमकदार संरचनाएं हैं, जो कि हमारे ग्रह से अत्यंत दूरी पर मौजूद हैं तथा यह अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित करती हैं। अधिकांश बड़ी आकाशगंगाओें के केन्द्र में एक विशालकाय कालाछिद्र या ब्लैक होल (Black Hole) होता है, जिसका द्रव्यमान लाखों या करोड़ों सौर द्रव्यमानों के बराबर होता है। ब्लैक होल के इर्द-गिर्द एक गैसीय चक्र होता है। जब इस चक्र की गैस ब्लैक होल में गिरती है, तो उससे विद्युतचुंबकीय विकिरण के रूप में ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो कि बहुत भयंकर होती है। अत्यधिक दूरी के कारण इसका प्रकाश हम तक नहीं पहुंच पाता है।
बोस्टन यूनिवर्सिटी (Boston University) के इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिकल रिसर्च (Institute for Astrophysical Research) में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर और IAR के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक जोर्स्टेड, मार्सचर (Scientist Jorstad, Marscher) इसके प्रकाश के मुख्य स्त्रोत को खोजने के लिए आज भी प्रयासरत हैं। सक्रिय आकाशगंगाएं ब्रह्माण्ड में सबसे चमकदार वस्तुएं हैं किंतु इनके प्रकाश के अधिकांश भाग को हम देख नहीं सकते हैं। यह प्रकाश विद्यूत चुंबकीय वर्णक्रम के माध्यम से फैलता है। हालांकि कुछ अस्थायी खगोलभौतिकी घटनाएं कुछ मिनटों या उससे कम समय के लिए सक्रिय आकाशगंगाओं की तुलना में अधिक चमकीली हो सकती हैं, लेकिन सक्रिय आकाशगंगाएं स्थायी रूप से चमकती रहती हैं।
खगोलविदों का मानना है कि सक्रिय आकाशगंगा में आवेशित कण, चुंबकीय क्षेत्र और विकिरण का एक जेट (Jet) है, जो निरंतर घूर्णन चक्र से टकराता रहता है। ब्लैक होल के भीतर गयी कोई भी वस्तु नष्ट हो जाती है, किंतु यह धाराएं किसी तरह से बाहर आ जाती हैं। जब ब्लैक होल के पास तेजी से बढ़ने वाले इलेक्ट्रॉन जेट के अंदर मजबूत चुंबकीय क्षेत्र से मिलते हैं, तो वे कम आवृत्ति वाली रेडियो तरंगों से लेकर उच्च-ऊर्जा एक्स-रे तक सभी तरह के विकिरण का एक व्यापक वर्णक्रम तैयार करते हैं। इस बीच, यह इलेक्ट्रॉन प्रकाश के कणों से भी टकराते हैं, जिन्हें फोटोन (Photon) कहा जाता है, जिससे उन्हें गामा किरणों को बनाने के लिए ऊर्जा का अतिरिक्त स्त्रोत मिल जाता है, जो तीव्र प्रकाश उत्पन्न करता है। किंतु इसके मूल कारण पर अभी भी खोज जारी है। अत्यंत तेजस्वी सक्रीय आकाशगंगा के नाभिक को क्वेसार (Quasar) कहा जाता है।
वर्ष 2010 में वैज्ञानिकों ने सबसे चमकदार आकाशगंगा की खोज की, जिसके क्वेसार को W2246 नाम दिया गया। यह आकाशगंगा हमारी आकाशगंगा से 10,000 गुना ज्यादा चमकदार थी। अत्याधुनिक टेलीस्कोपों की एक श्रृंखला जिसमें अटाकामा लार्ज मिलीमीटर एरे (Atacama Large Millimetre Array), और हबल और हर्शेल स्पेस टेलीस्कॉप्स (Hubble and Herschel Space Telescopes) शामिल हैं, का उपयोग करके 2016 में यह पुष्टि की गयी कि W2246 ब्रह्मांड में सबसे चमकदार आकाशगंगा है। W2246 की ऊर्जा का विस्तार इसके केंद्र में अपेक्षाकृत सघन क्षेत्र से होता है, जो मिल्की वे (Milky Way) से कई गुना छोटा है। तस्वीरों से यह भी पता चलता है कि इस क्षेत्र में गर्म, समान, उच्च दबाव वाली गैस का एक बादल है, जो सभी दिशाओं में बुलबुले के रूप में विस्तार कर रहा है। अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि इसके आसपास की आकाशगंगाएं इससे टकराकर इसमें ही विलिन हो रही हैं, जिन्हें इस सक्रिय आकाशगंगा के ब्लैक होल द्वारा अपने अंदर खींचा जा रहा है। जिस दिन इसके आस-पास की आकाशगंगाएं समाप्त हो जाएंगी तो इसकी चमक भी घटने लगेगी और यह ब्रह्माण्ड में सबसे चमकदार आकाशगंगा होने का स्थान को देगी।
शोधकर्ताओं ने सिएटल में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी (American Astronomical Society American Astronomical Society) की शीतकालीन बैठक में 9 जनवरी 2019 को एक नए सुपर-उज्ज्वल क्वेसार J043947.08 + 163415.7 के खोज की घोषणा की। यह पृथ्वी से 12.8 बिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर है तथा 600 ट्रिलियन सूर्य के बराबर प्रकाश जितना चमकदार है। इस क्वेसार और हमारे बीच एक धुंधली आकाशगंगा मौजूद है। इस आकाशगंगाा का प्रकाश इस क्वेसार के प्रकाश को मोड़ता है, क्योंकि यह गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग प्रभाव के बिना होता है इसलिए यह तीन गुना बड़ा और 50 गुना अधिक चमकदार दिखता है ।
यह इस तरह का पहला क्वेसार है, जिसकी खोज पिछले दो दशक से चल रही थी। जब ब्रह्मांड एक अरब वर्ष से कम वर्ष का था, उस समय क्वेसार विस्फोट की संभावना बनी, लेकिन इसकी कुछ रोशनी अब तक पृथ्वी पर पहुंच रही है। नए अवलोकनों के अनुसार, इस क्वेसार को ब्लैक होल से शक्ति मिल रही है जो सूर्य के द्रव्यमान से कई सौ मिलियन गुना अधिक है। वर्तमान समय में यह ब्रह्माण्ड का ज्ञात सबसे चमकदार क्वेसार है।
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