ब्लैक होल- अंतरिक्ष की एक रहस्यमय दुनिया

लखनऊ

 15-09-2020 02:07 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

अंतरिक्ष एक ऐसा स्थान है, जिसके प्रारंभ एवं अंत के विषय में आज तक हमें कुछ भी ज्ञान नहीं हुआ है, किन्तु हम यह जानते हैं कि सभी ग्रह, तारे, आकाशगंगाएं, नक्षत्र आदि इसी अंतरिक्ष का हिस्सा हैं। सालों से वैज्ञानिक इस अंतरिक्ष के रहस्यों को सुलझाने में लगे हैं। इसी के चलते हर दिन उन्हें वहां कुछ न कुछ अद्भुत व विचित्र चीज़ों के होने का ज्ञान होता है। एक तथ्य के अनुसार यह सिद्ध हो गया है कि अंतरिक्ष में हर रोज़ कई नए तारे व उन्ही के जैसे कई पिंड बनते हैं और कई पुराने तारे व ग्रह नष्ट होते हैं। यह प्रक्रिया अनगिनत वर्षों से चली आ रही है और आगे भी चलती रहेगी। इन नई संरचनाओं में से एक विचित्र व रहस्यमय संरचना है - ब्लैक होल (Black Hole)।
ब्लैक होल
यह अंतरिक्ष में उपस्थित एक खाली स्थान होता है, जो अन्य स्थानों से पूरी तरह भिन्न है। इस क्षेत्र के कई दूर तक कोई भी तारे, ग्रह यहाँ तक की कोई प्रकाश भी विद्द्यमान नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी ग्रह व तारा इस ब्लैक होल के समीप से होकर गुजरता है, वह इसी ब्लैक होल में ही सदैव के लिए विलुप्त हो जाता है, जैसा कि किसी बड़े और गहरे से कुँए में एक छोटी सी गेंद गिर जाए, तो उसे ढूंढ़ना असम्भव हो जाता है। ब्लैक होल के बारे में वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए तर्कों का विश्लेषण करें तो ब्लैक होल अंतरिक्ष के ऐसे क्षेत्र को कहते हैं, जहां गुरुत्वाकर्षण सबसे अधिक होता है, सबसे तेज़ गति से चलने वाले कण यहां तक कि प्रकाश भी इस में प्रवेश कर बाहर नहीं आ सकता।
कार्ल श्वार्ज़चाइल्ड (Karl Schwarzschild) नामक एक जर्मन भौतिक विज्ञानी और खगोलविद ने 1915 में आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के अनुमान का सटीक समाधान देते हुए, एक ब्लैक होल के आधुनिक संस्करण का प्रस्ताव रखा। ब्लैक होल से कोई प्रकाश बाहर नहीं आता इसीलिए इस ब्लैक होल को नंगी आँखों से देखा नहीं जा सकता। वे अदृश्य होते हैं। परन्तु वैज्ञानकों के द्वारा विशेष उपकरणों व दूरबीनों का प्रयोग करके अंतरिक्ष के ब्लैक होल को खोजने में मदद मिल सकती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे छोटे ब्लैक होल सिर्फ एक परमाणु जितने छोटे होते हैं, लेकिन इनमें एक बड़े पहाड़ जितना द्रव्यमान होता है। एक अन्य प्रकार के ब्लैक होल को "तारकीय" (Stellar) कहा जाता है। इसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 20 गुना अधिक हो सकता है। पृथ्वी की आकाशगंगा "मिल्की वे (Milky Way)" में भी कई तारकीय द्रव्यमान वाले ब्लैक होल हो सकते हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) उन उपग्रहों और दूरबीनों का उपयोग कर रहा है, जो ब्लैक होल के बारे में अधिक से अधिक जानकारी इकठ्ठा करने के लिए अंतरिक्ष में यात्रा कर रहे हैं। ये अंतरिक्षयान वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के बारे में कई सवालों के जवाब देने में मदद करते हैं।
ब्लैक होल को और स्पष्ट रूप से समझने के लिए आइए एक काल्पनिक अंतरिक्ष यात्रा पर चलते हैं। मान लीजिए कि इस यात्रा के दौरान हम देखते है कि चारों ऒर छोटे-बड़े तारे उपस्थित हैं, कुछ तारे हमारे सूर्य जितने या उससे भी अधिक विशालकाय हैं, कई ग्रह उन विशालकाय तारोँ का चक्कर लगा रहे हैं, और इन ग्रहों के चन्द्रमा अपने ग्रहों का। यात्रा में आगे बढ़ते हुए हमें दूर पर स्थित एक खाली स्थान दिखाई देता है। ग्रह, नक्षत्रों के प्रकाश से चमकदार अंतरिक्ष में इस अँधेरे खाली स्थान को और नजदीक से जानने के लिए हम इसके समीप जाते हैं। हमें ज्ञात होता है कि इस खाली स्थान के आस-पास से गुजरने वाला कोई भी तारा या ग्रह इस अँधेरे खाली स्थान में विलुप्त हो जाता है और बाहर नहीं आ पाता। मानो यहाँ एक भयानक राक्षस हो, जो तारों को निगल रहा हो। अब हम देखते हैं कि कोई प्रकाश भी इधर से गुजरता हुआ इसी क्षेत्र में अदृश्य हो जाता है। इसी क्षेत्र को ब्लैक होल नाम दिया गया है, जहाँ गुरुत्वाकर्षण इतना तीव्र है कि कोइ भी चीज़ इसमें प्रवेश करती है तो बाहर नहीं आ सकती या कहें की उसका अस्तित्व वहीँ समाप्त हो जाता है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा की ब्लैक होल ज्ञात ब्रम्हाण्ड (Observable Universe) की अब तक की खोजी गयी सबसे प्रभावशाली और खतरनाक संरचना है।
यदि हम इस ब्लैक होल के कई मीलों दूर से भी गुजरते हैं, तो भी निश्चित रूप से हम इसके अंदर गिर जाएंगे और विलुप्त हो जाएंगे। परन्तु अभी तक यह नहीं कहा जा सका है कि इस ब्लैक होल के अंदर क्या है? क्या वहां एक अलग ब्रह्माण्ड है अथवा यह सिर्फ एक द्वार है, जो हमें दूसरी दुनिया में ले जाएगा? अभी के लिए बस यह मानना सही है कि ब्लैक होल में गिरने के बाद कोई भी वस्तु या व्यक्ति अनंत काल तक शून्य में खो जाता है।
अब तक ऐसा माना जा रहा था कि ब्लैक होल के होने का एक ठोस सबूत हासिल करना असंभव है क्योंकि कोई भी तकनीकी उपकरण इतने प्रकाश वर्ष दूर से इसकी छवि नहीं ले सकता, किन्तु अंतर्राष्ट्रीय खगोलविदों की एक टीम जो एक दशक से भी अधिक समय से ब्लैक होल की छवि लेने का प्रयास कर रही थी, आख़िरकार सफल रही। उन्होंने ईवेंट होरिजन टेलीस्कोप (Event Horizon Telescope) द्वारा आकाशगंगा M87 के केंद्र के अवलोकनों का उपयोग कर ब्लैक होल के सिल्हूट (Silhouette) की पहली छवि प्राप्त की है। छवि एक चमकीले वलय को दर्शाती है, जो एक काले छिद्र के रूप में चमकता है, यह सूर्य से 6.5 अरब गुना अधिक विशाल है। इस घटना को वर्ष 2019 की सबसे दिलचस्प विज्ञान की खोजों में से एक माना गया है।

सन्दर्भ:
https://www.sciencealert.com/black-holes
https://go.nasa.gov/3ij4SNH
https://bbc.in/2DYnCTS
https://bit.ly/3k5z3s0
https://go.nasa.gov/3medkAb

चित्र सन्दर्भ:

मुख्य चित्र में ब्रह्मांड के मध्य में एक काले बिंदु के रूप में मौजूद ब्लैक होल (Black Hole) को दिखाया गया है। (Pikist)
दूसरे चित्र में तारकीय ब्लैक होल (Stellar Black Hole) को दिखाया गया है। यह चित्र साइग्नस एक्स -1(Cygnus X-1) नामक ब्लैक होल का कलात्मक चित्र है। इस ब्लैक होल का गठन तब हुआ जब एक बड़े तारे ने इसके अंदर प्रवेश किया। (Nasa.gov)
अंतिम चित्र में इवेंट होराइजन (Event Horizon) द्वारा लिया गया ब्लैक होल का चित्र है। (Youtube)


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