दिवाली को रोशनी का त्योहार कहतें हैं जो हर्ष और उन्नति लेकर आता है। हिन्दू, सिख और जैन धर्म के लोगों के लिये इसके कई सारे प्रभाव और महत्ता है। यह पाँच दिनों का उत्सव है जो हर साल दशहरा के 21 दिनों बाद आता है। 
दीपावली को बृहदारण्यक उपनिषद की यह प्रार्थना विशिष्ट रूप से चित्रित करती है। 
असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
उपर दिये गये श्लोक को हिन्दी में निम्नलिखित रूप से लिखा जा सकता है। 
असत्य से सत्य की ओर। अंधकार से प्रकाश की ओर। 
मृत्यु से अमरता की ओर (हमें ले जाओ)। ॐ शांति शांति शांति॥ 
उपरोक्त दिये गये श्लोक से दिवाली के अर्थ को समझा जा सकता है। 
रामपुर में दिपावली को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।