हाल ही में लुप्तप्राय प्रजाति के बारहसिंगा हिरणों के एक बड़े झुंड को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जुलाई की शुरुआत में देखा गया। उत्तर भारत में पाई जाने वाली यह दुर्लभ प्रजाति कई देशों से विलुप्त हो चुकी है और इसे देखा जाना एक सुखद आश्चर्य है। दरसल निरीक्षण करते समय जानसठ, (मुजफ्फरनगर में एक तहसील) के समीप लुप्तप्राय बारहसिंगा के एक बड़े झुंड को देखा गया था। शिकारियों द्वारा पिछले कुछ दशकों में इस प्रजाति का अत्यधिक शिकार करके इन्हें पश्चिमी उत्तरप्रदेश की आद्रभूमि व हिमालय की सीमा से लगे तराई क्षेत्रों से लगभग समाप्त कर दिया था। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत, बारहसिंगा के शिकार पर रोक होने के बावजूद भी शिकारियों द्वारा अवैध रूप से बड़ी संख्या में बारहसिंगा का शिकार किया गया। जिसके परिणामस्वरूप चार दशक पहले बारहसिंगा की संख्या घटकर 66 रह गयी थी।
बारहसिंगा प्रायः गंगा नदी के मैदानी इलाकों में बहुतायत में पाये जाते हैं, जिस कारण इसे दलदली हिरण (Swamp Deer) भी कहा जाता है। यह हिरण की एक प्रजाति है जिसकी ऊंचाई 44 से 46 इंच तक हो सकती है। शरीर पर प्रायः पीले या भूरे रंग के बाल पाये जाते हैं। तराई इलाकों में बारहसिंगा दलदलीय क्षेत्रों में रहता है और मध्य भारत में यह वनों के समीप स्थित घास के मैदानों में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह उत्तर पूर्वी भारत के असम में भी पाया जाता है। असम में स्थित काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में यह पशु आसानी से देखा जा सकता है। भारत में बारहसिंगा की मुख्य रूप से तीन उप-प्रजातियां पायी जाती हैं, जिन्हें संकटग्रस्त जीव की श्रेणी में रखा गया है। इन प्रजातियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के तहत शामिल किया गया है। मध्य प्रदेश स्थित कान्हा नेशनल पार्क जो कि 940 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, में भी इस जीव के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क में पर्यटक बारासिंगा को जंगल में देख सकते हैं।
बारहसिंगा का सबसे विलक्षण अंग इसके सिर पर लगे सींग (Horns) हैं। वयस्क नर में इन सींगों की शाखाओं की संख्या 10-14 के बीच होती है और यही कारण हैं कि इन्हें बारहसिंगा के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'बारह सींग वाला'। इसके सींग सामान्य सीगों की अपेक्षा अलग होते हैं, क्योंकि यह युग्मित तथा शाखाओं वाली संरचना है, जो पूरी तरह से हड्डी से बनी होती है। इन्हें एंटीलर्स (Antlers) कहा जाता है, जिनमें पानी और प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। पर्यावरणीय परिवर्तनों के परिणामस्वरूप इसकी संरचना भी बदलती जाती है। इसके विपरीत सामान्य सींग अशाखित व अयुग्मित होते हैं तथा केराटिन (Keratin) नामक पदार्थ द्वारा आवरित किए जाते हैं। यह स्थायी होते हैं तथा विभिन्न प्रजातियों में लगातार बढ़ते जाते हैं। बारहसिंगा के सींगों में पाये जाने वाले प्रोटीन और अन्य उपयोगी तत्वों के कारण वर्तमान समय में इनकी मांग बहुत अधिक है।
हालांकि इनके संरक्षण के लिए उन अभ्यारण्यों जहां ये जीव पाये जाते हैं, में संरक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बारहसिंगा की आबादी को बचाने के लिए 1954 में बारहसिंगा के लाइसेंस (License) प्राप्त शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था किंतु यह प्रतिबंध उन शिकारियों के खिलाफ अत्यधिक अप्रभावी था जिनके पास लाइसेंस नहीं था। ऐसे शिकारियों की संख्या लाइसेंस प्राप्त शिकारियों की तुलना में बहुत अधिक थी। लेकिन संरक्षित क्षेत्रों के बाहर दलदली हिरणों की आबादी और मौसमी प्रवासी आबादी को स्थानीय बाजारों में बेचे जाने वाले एंटलर और मांस के लिए अवैध शिकार से खतरा है। साथ ही दलदली हिरणों की अधिकांश प्रजाति आवास, घास के मैदानों की कमी तथा भोजन की अनुपलब्धता आदि कारकों की वजह से संकटग्रस्त श्रेणी में आई हैं। केवल इतना ही नहीं संरक्षित क्षेत्रों में नदी की गतिशीलता में परिवर्तन, गर्मियों के दौरान पानी के प्रवाह में कमी, गाद में वृद्धि, और स्थानीय लोगों द्वारा घास, लकड़ी, ईंधन और सरकारी भूमि पर अवैध खेती द्वारा उनके भोजन को और अधिक कम कर दिया जाता है।
संदर्भ :-
https://www.kaziranganationalpark.com/barasingha.htm
https://en.wikipedia.org/wiki/Barasingha
https://frontline.thehindu.com/environment/conservation/barasingha-breaks-new-ground/article9559741.ece
https://www.outlookindia.com/newsscroll/ups-wild-west-rare-sighting-of-endangered-swamp-deer/1883419
https://www.discoverwildlife.com/animal-facts/mammals/whats-the-difference-between-horns-and-antlers/
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में बारहसिंगा को दिखाया गया है। (Pexels)
दूसरे चित्र में किशोर बारहसिंगा को दिखाया गया है। (Unsplash)
तीसरे चित्र में दलदल के बीच से गुज़रते हुए बारहसिंगा को दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
अंतिम चित्रों में बारहसिंगा के झुण्ड को दिखाया गया है। (Flickr)
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