यदि आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि आपके मित्र आपसे अधिक लोकप्रिय है, औसतन आप शायद सही हैं। लेकिन थोड़ा धैर्य रखिये, क्योंकि सामाजिक नेटवर्क (Social Network) पर हर कोई ऐसा है। यह आश्चर्य की बात है, लेकिन यह एक गणितीय तथ्य है। यह एक ऐसा विरोधाभास है, जिसे हम मैत्री विरोधाभास या फ्रेंडशिप पैराडाक्स (Friendship Paradox) के नाम से जानते हैं। हम सभी जानते हैं कि विरोधाभास उन परिस्थितिओं को कहा जाता है, जिन पर हम विश्वास नहीं कर पाते हैं, हमें लगता है कि ऐसा नहीं हो सकता है या ये असम्भव है, परंतु वास्तव में वे परिस्थितियां सत्य निकलती हैं। मैत्री विरोधाभास शायद गणितीय सिद्धांतों का सबसे दिलचस्प सिद्धांत है। इस विरोधाभास के अनुसार औसतन आपके दोस्तों के पास आप से अधिक दोस्त होंगे।
आप सोच रहे होंगे परंतु ऐसा कैसे, हमारे दोस्तों के दोस्तों कि संख्या भला हमसे ज्यादा कैसे? हम सभी जानते हैं कि अधिकांश लोगों के पास बहुत कम संख्या में मित्र होते हैं, परन्तु आप कम से कम एक या अधिक लोकप्रिय लोगों के साथ दोस्त बनने की संभावना रखते हैं, जो बहुत लोकप्रिय हैं। इस प्रकार, आपके प्रत्येक मित्र के दोस्तों की औसत संख्या आपके पास मौजूद मित्रों की संख्या से अधिक होगी। फ्रेंडशिप पैराडाक्स को पहली बार समाजशास्त्री स्कॉट एल फेल्ड (Scott L. Feld) द्वारा 1991 में प्रस्तावित किया गया था। इसे सामाजिक नेटवर्क के सामान्य गणितीय रूपों के परिणामस्वरूप समझाया जा सकता है। इसके पीछे का गणित सीधे तौर पर समान्तर माध्य और गुणोत्तर माध्य सम्बन्धी असमिका (Arithmetic-Geometric Mean Inequality) और कैची-श्वार्ज (Cauchy–Schwarz) असमानता से संबंधित है।
इसे स्पष्ट करने के लिए, हम आपको एक अनिर्दिष्ट ग्राफ़ (Unspecified Graph) की सहायता से इसकी गणितीय व्याख्या समझाने की कोशिश करते हैं कि किस प्रकार औसतन आपके दोस्तों के पास आप से अधिक दोस्त होंगे। इस ग्राफ़ में लोग वर्टिक्स (Vertices) अर्थात शीर्ष हैं, और एक धार (Edge) दो लोगों को जोड़ता है, यदि वे एक दूसरे के दोस्त हैं।
इस ग्राफ़ के अनुसार,
जहां
V = सभी शीर्ष का समुच्चय है, n= शीर्ष की संख्या है, v= एक एकल शीर्ष है, d(v)= शीर्ष v की डिग्री है।
सरल शब्दों मे समझे तो राम के तीन दोस्त हैं, राहुल और श्याम के दो तथा राकेश का एक दोस्त है। यदि प्रत्येक के दोस्तों की औसत संख्या निकाली जाये तो:
दोस्तों की औसत संख्या = 2
यहां तक तो बात हुई हमारे दोस्तों की औसत संख्या की, आइये अब जानते हैं कि कैसे ये पता करें कि कैसे हमारे दोस्तों के दोस्तों कि संख्या हमसे ज्यादा है? ऊपर के ग्राफ़ में हम देख सकते हैं कि राम के तीन दोस्त हैं और उसके दोस्तों के दोस्तों की संख्या उसके दोस्तों की संख्या से भिन्न है, जैसे राहुल और श्याम के दो तथा राकेश का एक दोस्त है, इस प्रकार हम नीचे दी गई तालिका में सभी के दोस्तों कि संख्या देख सकते है:
अब इनके दोस्तों के दोस्तों की औसत संख्या ज्ञात की जाये, तो निन्म समीकरण का उपयोग किया जायेगा:
यदि इसे भी सरल शब्दों मे समझे तो इसमें दोस्तों के दोस्तों की कुल संख्या को दोस्तों की संख्या से भाग दिया गया है:
दोस्तों के दोस्तों की औसत संख्या = (राम के दोस्तों के दोस्तों की कुल संख्या)+ (राकेश के दोस्तों के दोस्तों की कुल संख्या)+ (राहुल के दोस्तों के दोस्तों की कुल संख्या+((श्याम के दोस्तों के दोस्तों की कुल संख्या))⁄(कुल दोस्तों कि संख्या)
अब आप स्पष्ठ रूप से देख सकते हैं कि आपके प्रत्येक मित्र के दोस्तों की औसत संख्या आपके पास मौजूद मित्रों की संख्या से अधिक होगी। जहां दोस्तों की औसत संख्या = 2 थी, तो वहीं इसमें दोस्तों के दोस्तों की औसत संख्या = 2.25 है। हाल ही में, शोधकर्ताओं ने अपने नवीनतम शोध में पाया है कि औसतन, हमारे दोस्तों के हमसे ज्यादा दोस्त होते हैं। हमारी तुलना में, वे अपने दोस्तों के समूह में अक्सर प्रभावशाली होते हैं, जो वास्तव में " मैत्री विरोधाभास" का मुख्य कारक है। शोधकर्ताओं ने 58 लाख उपयोगकर्ताओं द्वारा लिखे गए 20 करोड़ ट्वीट्स (Tweets) और सामाजिक ब्लॉगों (Blogs) का विश्लेषण करके, प्रत्येक उपयोगकर्ता के सामाजिक प्रभाव को ट्रैक (Track) किया।
लगभग सभी ने सोशल मीडिया पर "मैत्री विरोधाभास" का अनुभव किया है। विरोधाभास ने ट्विटर (Twitter) पर भी उसी तरह कार्य किया जैसे कि वह वास्तविक जीवन में करता है। यहां तक कि जो विशेष रूप से सोशल मीडिया (Social Media) में सक्रिय हैं और अपने सामाजिक नेटवर्क में बहुत अधिक प्रभाव डाल सकते हैं, उनकी लोकप्रियता भी उनके दोस्तों की तुलना में कम पाई गई। क्योंकि लोग अधिकतर उस व्यक्ति का अनुसरण करते हैं, जिसकी लोकप्रियता अधिक होती है तथा वे अन्य दोस्तों से भी जुड़ा हुआ होता है। इसका सरल सा अर्थ यह है कि, आपके द्वारा अनुसरण किए जाने वाले लोग आपसे अधिक लोकप्रिय हैं।
वास्तविक जीवन में मैत्री विरोधाभास के अनुप्रयोग
वास्तविक जीवन में मैत्री विरोधाभास का कार्य यह बताना नहीं है कि आप सामाजिक नेटवर्क पर कितने लोकप्रिय हो, बल्कि ऐसे लोगों को ढूंढ निकलना है, जो अधिक लोकप्रिय हैं और ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़े हों। इस गणितीय सिद्धांत के माध्यम से कई कार्यों को अंजाम दिया जा सकता है, जैसे यदि जनसाधारण में किसी सूचना का प्रसार करना हो या किसी भी महामारी को फैलने से कम करना हो आदि। आज के समय में इस सिद्धांत का उपयोग विश्वभर में फैली महामारी को फैलने से रोकने के लिये काफी प्रभावशाली सिद्ध हो सकता है। सामाजिक नेटवर्क के समान ही हम सभी वास्तविक जीवन में एक दूसरे से जुडे हुए रहते हैं, और इस विरोधाभास से हम यादृच्छिक रूप से चयनित व्यक्तियों के दोस्तों के संपर्क के माध्यम से एक ऐसे व्यक्ति को निकाल सकते हैं, जो अधिक से अधिक लोगों से जुड़ा हो, इस प्रकार उस व्यक्ति का टीकाकरण करके महामारी को रोका अथवा धीमा किया सा सकता है या महामारी के फैलने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। निन्म चित्र में आप देख सकते हैं कि किस प्रकार भूरी लाइन वाला व्यक्ति सबसे अधिक लोकप्रिय है अर्थात अधिक से अधिक लोगों से जुड़ा है, यदि हम इस व्यक्ति का टीकाकरण करते हैं, तो महामारी को रोका अथवा धीमा किया सा सकता या फैलने का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
क्रिस्टाकिस और फाउलर (Christakis and Fowler) द्वारा 2010 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि मैत्री विरोधाभास के माध्यम से हम एक सामाजिक नेटवर्क में महामारी के संक्रमण का पूर्वानुमान लगभग 2 सप्ताह पहले से ही लगा सकते हैं। इस प्रकार हम अधिक से अधिक लोगों को महामारी के चपेट मे आने से आसनी से बचा सकते हैं।
सन्दर्भ:
https://www.alexirpan.com/2017/09/13/friendship-paradox.html
https://en.wikipedia.org/wiki/Friendship_paradox
https://bit.ly/2Z1eLIr
https://mathsection.com/friendship-paradox/
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में दोस्तों के एक समूह को दिखाया है। (Freepik)
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