गणेश चतुर्थी को यादगार बनाता है 'मोदक'। चावल के आटे से बने मोदक में नारियल, गुड़ और केसर भरकर भाप में पकाया जाता है। इसके अलावा इस अवसर के कुछ प्रमुख व्यंजन और भी होते हैं, जैसे- पूरनपोली-भरवा मीठी रोटी, जिसमें चना दाल, चीनी और जायफल को भरा जाता है; बूंदी के लड्डू, खीर आदि। गणेश चतुर्थी में भोजन का खास महत्व होता है। कई प्रकार के लज़ीज़ व्यंजन बनते हैं, जिनका गणेश जी को भोग लगाने के बाद परिवारजनों के मध्य वितरण होता है। गणेश जी को अर्पित किए जाने वाले पदार्थों की भी कहानी होती है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी शनिवार, 22 अगस्त 2020 को है।
वर्षा ऋतु के त्योहारों रक्षाबंधन और जन्माष्टमी के बाद अब बारी है गणेश चतुर्थी की। भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान गणेश की स्मृति में मनाया जाने वाला यह पर्व 10 दिन तक चलता है। कोई भी पूजा बिना गणपति के स्मरण किए आरंभ नहीं होती। ऐसी मान्यता है कि गणेश उत्सव के इन पवित्र दिनों में स्वयं गणपति भक्तों के बीच विचरण करते हैं।
गणेश चतुर्थी के भोग: मोदक, केले और लड्डू
गणेश चतुर्थी से 10 दिन के गणेश उत्सव की शुरुआत होती है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहते हैं। पर्व की शुरुआत गणपति की प्रतिमा की घर में प्राण प्रतिष्ठा से होती है। अन्य भगवानों की तरह इस अवसर पर भी स्वादिष्ट पकवान बनते हैं। अधिकतर चीजें वही बनाई जाती हैं, जो गणेश जी पसंद करते हैं। इसी पर्याय से उनका नाम 'मोदक प्रिय' ही रख दिया गया क्योंकि उन्हें मोदक बहुत पसंद हैं। एक हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवी पार्वती ने अपने दोनों बेटों कार्तिक और गणेश को एक मोदक खाने के लिए दिया। दोनों बेटे उसे पूरा खाना चाहते थे और आपस में बांटना नहीं चाहते थे। इस पर देवी पार्वती ने एक प्रतियोगिता रखी। दोनों बेटों को दुनिया के तीन चक्कर लगाने को कहा तथा जो जीतेगा वह मोदक पाएगा। कार्तिक जी अपने मोर पर बैठकर दुनिया के चक्कर लगाने निकल पड़े, जबकि गणपति वहीं रुके रहे। फिर उन्होंने अपने माता-पिता की तीन बार परिक्रमा की। इसका मतलब पूछा गया तो भगवान गणेश का उत्तर था कि उनके माता-पिता ही उनकी दुनिया हैं। उनके जवाब से प्रभावित होकर माता पार्वती ने उन्हें मोदक दे दिया। तब से मोदक भगवान गणेश को प्रिय हो गया। मोदक के अलावा बूंदी के लड्डू का भोग भी गणपति को लगाया जाता है। कहीं-कहीं फूलों की माला भी भगवान गणेश को अर्पित की जाती है।
एक बार एक दंपत्ति ने गणेश जी को गणपति पूजन के लिए आमंत्रित किया लेकिन वह गणपति जी को प्रसन्न नहीं कर पाए। एक से एक स्वादिष्ट व्यंजनों के बावजूद गणेश संतुष्ट नहीं हुए। तब समाधान के तौर पर भगवान शिव ने एक युक्ति सुझाव की कि पूर्ण समर्पण के साथ एक मुट्ठी चावल गणेश को प्रस्तुत किए जाए। सिर्फ उन्हें खाते ही गणेश जी की भूख शांत हो गई। यानी गणेश जी अपने भक्तों से पूर्ण समर्पण का भाव चाहते हैं ना कि पैसे का दिखावा।
गणेश पूजन में दूर्वा घास का महत्व
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार एक राक्षस के साथ युद्ध में गणेश जी ने उसको निगलकर युद्ध समाप्त कर दिया, इससे उनके पेट में बहुत जलन होने लगी, जब किसी उपचार से उन्हें लाभ नहीं हुआ तो संतो के एक समूह ने गणपति को दूर्वा घास के पत्ते भेंट किए, उन्हें खाने के बाद गणेश जी को तुरंत आराम मिल गया। तब से दूर्वा घास उनको अति प्रिय हो गई। अतः गणेश पूजन में दूर्वा का होना अति आवश्यक होता है।
सन्दर्भ:
https://food.ndtv.com/food-drinks/ganesh-chaturthi-2020-time-date-and-foods-2279017
https://economictimes.indiatimes.com/magazines/panache/ganesh-chaturthi-the-importance-of-modaks-bananas-laddoos/
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में गणपति और गणपति के पसंदीदा आहार मोदक को दिखाया गया है। (Unsplash)
दूसरे चित्र में भाप से पकाये गए मोदक का चित्रण है। (Youtube)
तीसरे चित्र में गणेश चतुर्थी के पर्व पर भगवान् गणेश को लगाए जाने भोग को दिखाया गया है। (Pexels)
अंतिम चित्र में दूर्वा घास के साथ गणपति प्रेम का सांकेतिक चित्रण है। (Prarang)