गोवलिया टैंक मैदन बैठक से 1942 क्रांति की अनदेखी छवियां, जहां गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन का भाषण दिया था

आधुनिक राज्य : 1947 ई. से वर्तमान तक
15-08-2020 01:42 PM
गोवलिया टैंक मैदन बैठक से 1942 क्रांति की अनदेखी छवियां, जहां गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन का भाषण दिया था

गौवालिया टैंक मैदान का इस्तेमाल शुरुआत में गायों को नहलाने के लिए किया जाता था। गो-वालिया मराठी / गुजराती शब्द गाई (गाय) वाला (पशुओं का मालिक) से आता है। पशुपालक गायों को टैंक (Tank) के पानी में नहलाते थे। वर्तमान में वहां मौजूद मैदान, टैंक के ऊपर बनाया गया था, जो आज भी भूमिगत है। गोवालिया टैंक, एक बहुत ही प्रमुख ट्राम टर्मिनस (Tram Terminus) था। ट्राम इसी स्टेशन (Station) से शुरू होती थी और इसी पर समाप्त। कोई भी व्यक्ति यहां से प्रिंस ऑफ़ वेल्स संग्रहालय (Prince of Wales Museum) की छह पैसे में यात्रा कर सकता था।


गांधीजी एक शांत मूड में महिला अध्यक्ष, कमलादेवी के साथ एक सुखद बातचीत का आनंद ले रहे हैं वही उनके दाईं ओर जवाहर लाल नेहरू, बाईं ओर सरदार वल्लभभाई पटेल हैं, जबकि आचार्य नरेंद्र देव उनके सामने एक कागज देखते हुए मुस्कुरा रहे हैं तथा सोच रहे हैं कि अब स्वतंत्रता का मार्ग सुचारू हो जाएगा।


कांग्रेस के इतिहासकार नए इतिहास को दर्ज करने के लिए तैयार थे, जिसे यह सत्र बनाने वाला था।


सरोजिनी नायडू उस पल में शांत थीं, जबकि आचार्य नरेंद्र देव "लोगों की लड़ाई" पर मुंहतोड़ जवाब की तैयारी कर रहे थे।


साहब और बेटा


चित्र सन्दर्भ:
1942 की ज्वाला (The flames of 1942 book)