कोरोना (Corona) संक्रमण के दौरान विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ देश की प्रत्येक गतिविधियां भी बाधित हो रही हैं। कोरोना संक्रमण ने सभी देशों की अर्थव्यवस्था को एक साथ रोक सा दिया है। प्रारंभिक रिपोर्टों (Reports) से पता चलता है कि अपने देश की अर्थव्यवस्था जहाँ विमुद्रीकरण (Demonetization) की मार झेल रही थी, वहीं अब करोना के वजह से दोहरी मार झेल रही है। परिवहन सम्बन्धी समस्या, प्रवासी श्रम समस्या और कृषि कटाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन तमाम कारणों से खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान के साथ-साथ फल, सब्जियों के दामों में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है। वहीँ इस वैश्विक महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन (Lock-down) की घोषणा की गयी थी, जिस कारण से मिठाई और चाय के रेस्त्रां (Restaurants) बंद होने की वजह से डेयरी (Dairy) आपूर्ति में भी भारी कमी देखी गयी। दूसरी ओर सोशल मीडिया (Social Media) पर भ्रामक जानकारी की बदौलत पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) को कोरोना का संवाहक माना गया, जिस कारण इस क्षेत्र में भी भारी गिरावट आई। इस एपिडेमिक (Epidemic) कि सबसे बुरी मार रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदारों और मजदूरों पर पड़ी है, जो रोजाना दिहाड़ी कमाते हैं। शुरुआत में देश में 21 दिनों के पूर्णरूपेण बंदी के कारण उनके सामने मात्र अंधेरा दिख रहा था।
यह एक ऐसा दौर था, जब भारी संख्या में मजदूरों के पलायन को भी देखा गया था। कारखानों और मिलों के बन्द होने से भी यूपी, बिहार के मजदूर पलायन को मजबूर हो गए थे। हालांकि उन्हें रोकने के लिए अन्य राज्य सरकारो द्वारा प्रयास किये गए, मगर वो सभी निरर्थक साबित हुए। इन मजदूरों के सामने अब वित्तीय असुरक्षा के साथ साथ खाद्य असुरक्षा का भी दबाव था, जिस कारण उन्हें पलायन को मजबूर होना पड़ा। हालांकि सरकार ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तुरंत राहत पैकेज (Package) की घोषणा की, जिसका सीधा फायदा बैंक (Bank) के माध्यम से श्रमिको को होना था। सरकार ने उन्हें इस विषम स्थिति से उबारने के लिए, वित्तीय और खाद्य स्थिरता प्रदान करने पर जोर दिया। ताकि उनके सामने जीवन की उदासीनता का भाव पैदा न हो। पहली बंदी में उनके खाद्य आपूर्ति पर बल दिया गया, वहीँ दूसरी बंदी में उनके राज्य और शहर के भीतर ही रोजगार देने का कार्यक्रम शुरू किया गया। सरकार ने उनकी सुरक्षा को मद्देनज़र रखते हुए, पुनः नए दिशानिर्देश जारी किये, और उनके काम पर लौटने का कार्यक्रम शुरू किया। उनके कार्यस्थल पर सरकारी दिशानिर्देशों का व्यवस्थित रूप में पालन करा, उन्हें रोजगार का अवसर देना शुरू कर दिया है।
सरकार ने खाद्य पदार्थों को कालाबाजारियों से बचते हुए बड़ी कड़ाई के साथ, लोगो के लिए वाजिब दाम में सुलभ कराया। खाद्य आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इनका आवागमन जारी रखा। इन सभी कारणों से एक राहत की स्थिति उभर कर सामने आई है। भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए किसानों की स्थिति पर जोर देने की और आवश्यकता है।
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