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                                            दुनिया भर में अलग-अलग स्थान पर विभिन्न प्रकार के खाद्य पकवान बनाए जाते हैं और इन खाद्य पदार्थों को भिन्न भिन्न तकनीकों के नाम से जाना जाता है जैसे की अवधी, मुगलई, रामपुरी आदि। अवधी खाना इन सभी में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अवधी खाने को बनाने की कई विधियाँ वर्तमान समय में मौजूद हैं, उन्ही विधियों में से एक विधि है 'दम देना'। अवध के खाने में दम की तकनीक को लेकर एक दिलचस्प किस्सा भी जुड़ा हुआ है, जो इस विधि की महत्ता को और बढ़ने का कार्य करता है। दम देने की तकनीक को दो नामों से जाना जाता है, एक है 'दम' जिसका अर्थ है धीमी आंच पर भोजन को पकाना तथा इस तरह से पकाने पर खाने का स्वाद और सुगंध दोनों अत्यंत ही उम्दा रूप से बढ़ जाते हैं और दूसरा शब्द है 'पुख्त' जिसका अर्थ है पकाने की प्रक्रिया अर्थात दोनों शब्दों का अर्थ हुआ धीमी आंच पर खाना पकाने की विधि या प्रक्रिया।
दम पुख्त देने के लिए बर्तन को आंटे की लोई से सील (Seal) किया जाता है, जिसके कारण किसी भी प्रकार से बर्तन की भाप बाहर नहीं जा पाती है और खाना बेहतर तरीके से पक जाता है। दम पुख्त से झींगा दम निशा, काकोरी कबाब, हरा कबाब, दुदिया कबाब, सीक निलोफरी, बिरियानी आदि प्रकार के व्यंजन बनाये जाते हैं। दम पुख्त की कला प्राचीन प्रथा से व्यंजन बनाने की विधि से जुड़ी हुई है तथा यह मुगलई खानों से काफी मिलती जुलती है। यह माना जाता है की यह विधि फ़ारसी (Persian) या मध्य एशिया (Central Asia) से आई है, हांलाकि इस विधि को लेकर कई कहानियाँ है परन्तु जो सबसे दिलचस्प कहानी है, वह हमारे लखनऊ से जुड़ी हुई है। माना जाता है कि नवाब आसफ़ुद्दौला(Asaf-ud-Daula) के समय में अवध में एक भीषण अकाल ने जन्म लिया था, जिसके कारण बड़े से बड़े साहूकार भी घुटने टेक दिए थे। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग भुखमरी का शिकार हो रहे थे।
ऐसी संकट की घड़ी में यहाँ के नवाब ने धर्मार्थ कार्य करने की योजना बनायी, जिससे सभी को खाने और रोजगार के अवसर उत्पन्न हो और उसी का नतीजा है आज लखनऊ में शान से खड़ा हमारा बड़ा इमामबाड़ा। यहाँ पर इस निर्माण कार्य के लिए बड़ी भारी संख्या में लोगों ने कार्य करना शुरू किया तथा दिन और रात दोनों समय इसका निर्माण होना शुरू हुआ। यहाँ पर लोगों को खिलाने के लिए रसोइये लगाए गए, जिन्होंने दम पुख्त विधि से खाना बनाना शुरू किया। इस विधि में एक बड़ी हांडी में सब्जी, मांस, चावल और मसाले आदि रखा जाता था तथा उस हांडी को आटे से सील कर दिया जाता था, इस तकनीक से कम मसाले में, ज्यादा लोगों को स्वादिष्ट भोजन प्राप्त हो जाता था। ऐसे ही एक बार नवाब ने धीमे आंच से पकने वाले पकवान की सुगंध को सूंघा और अपने रसोइये को वही पकवान बनाने का आदेश दिया तथा मुख्य रसोइये ने उसमे कुछ फेर बदल कर के इस नई तकनीक को जन्म दिया। आज यह तकनीक हैदराबाद, कश्मीर, भोपाल आदि स्थानों पर शाही रसोइयों द्वारा उपयोग की जाती है।

सन्दर्भ :
https://guide.michelin.com/en/article/dining-in/kitchen-language-what-is-dum-pukht
https://www.wikiwand.com/en/Dum_pukht
https://food.ndtv.com/food-drinks/the-art-of-dum-cooking-1781434
https://in.toluna.com/opinions/2119312/Dum-Pukht-.....A-cooking-technique-of-Awadh-region-of
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में दम पुख्त विधि के द्वारा पकाया गया व्यंजन दिखाया गया है। (Youtube)
दूसरे चित्र में दम बिरयानी दिखाई दे रही है। (Flickr)
तीसरे चित्र में दम विधि से तैयार अवधी मांस व्यंजन दिखाया गया है। (Pikist)
अंतिम चित्र में चूल्हे पर धीमी आंच में दम पुख्त विधि से तैयार होता व्यंजन दिखाया गया है। (Pixiano)