हर साल मानसून की पहली वर्षा होते ही घने जंगलों में भारी मात्रा में कटरुआ कवक निकलना शुरू हो जाता है, जिसे उत्तर प्रदेश में आसानी से देखा जा सकता है। कटरुआ प्रोटीन से भरपूर एक तरह का मशरूम है। खाने में स्वादिष्ट और पौष्टिकता से भरपूर कटरुआ देश की प्रमुख मंडियों में अपनी जगह बना चुका है। स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के कारण यह महंगे दामों में बिकता है तथा स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का अच्छा साधन माना जाता है। दिखने में यह एक काले और सफेद कंकड़ जैसा दिखता है, जो प्रायः काली मिट्टी की परतों में ढंका हुआ पाया जाता है। यह ज्यादातर साल वृक्षों (Sal Trees) के आसपास उगता है और बरसात के मौसम में प्रतिवर्ष प्रस्फुटित होता है। कटरुआ एक जंगली मशरूम है, जो कंदकवक या ट्रफल (Truffle) का एक प्रकार है। कंदकवक मुख्य रूप से वंशक्रम कंद की कई प्रजातियों में से एक एस्कोमाइसीटी (Ascomycetes) कवक का फलीय भाग है।
कंद के अलावा, कवक के कई अन्य वंश को कंदकवक के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें जियोपोरा (Geopora), पेजिजा (Peziza), चोइरोमाइसेस (Choiromyces), ल्यूकांगियम (Leucangium) और अन्य सौ से अधिक प्रजातियां शामिल हैं। कंदकवक बाह्य माइकोराइजल (Mycorrhizal) कवक हैं इसलिए आमतौर पर पेड़ों की जड़ों के साथ इनका घनिष्ठ संबंध होता है। इनका बीजाणु फैलाव ऐसे जीवों के द्वारा किया जाता है, जो कवक को खाते हैं। इन कवकों की पोषक तत्वों के चक्रण और अनावृष्टि सहिष्णुता में महत्वपूर्ण पारिस्थितिक भूमिकाएं हैं। इनकी महक बहुत तीव्र होती है तथा यह अनियमित, खुरदरी सतह वाले आलू से मिलता जुलता है। कुछ कंदकवक प्रजातियां भोजन के रूप में अत्यधिक बेशकीमती हैं।
फ्रांसीसी गैस्ट्रोनोम (Gastronome) जीन एंटेलम ब्रिलैट-सवरिन (Jean Anthelme Brillat-Savarin) ने कंदकवक को ‘रसोई का हीरा’ तक कहा है। खाद्य कंदकवकों को फ्रांसीसी, इतालवी (Italian), क्रोएशियाई (Croatian), स्लोवेनियाई (Slovenian), ओटोमन (Ottoman), मध्य पूर्वी और स्पेनिश (Spanish) व्यंजनों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय उच्च श्रेणी के व्यंजनों में भी बेहतरीन भोजन के रूप में स्वीकार किया जाता है। कंदकवकों की खेती अन्य कवक के भांति की जाती है तथा इन्हें इसके प्राकृतिक आवासों से भी प्राप्त किया जा सकता है। यूरोप में कंदकवक की लगभग 30 प्रजातियां हैं। वे सफेद, पीले, गहरे भूरे या काले आदि रंग के होते हैं। इटली एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ पाँच प्रकार के कंदकवक उगते हैं, जिनमें सफेद शीत कंदकवक, सफेद वसंत कंदकवक, काला शीत कंदकवक, काला ग्रीष्म कंदकवक तथा काला शरद ऋतु कंदकवक शामिल हैं। इनकी कीमत दो कारकों द्वारा निर्धारित की जाती है, पहली इनकी उपलब्धता और दूसरा आकार। अन्य किस्मों की तुलना में काला और सफेद शीत कंदकवक का उत्पादन कम है और इसलिए इनकी मांग और लागत अधिक है। इसके अलावा, क्योंकि छोटे कंदकवक आम हैं, इसलिए बड़े आकार के कंदकवक का मूल्य अधिक होता है।
आपने चॉकलेट ट्रफल (Chocolate Truffle) का नाम तो अवश्य सुना होगा, लेकिन इस बारे में शायद नहीं जानते होंगे कि इसका नाम कंदकवक या ट्रफल के नाम पर ही रखा गया है। यूं तो यह एक प्रकार की चॉकलेट कन्फेक्शनरी (Confectionery) है, जिसे पारंपरिक रूप से चॉकलेट, कोको पाउडर (Cocoa powder) या कटे हुए बादाम, काजू या नारियल से लेपित कर बनाया जाता है, लेकिन अपनी गोलाकार, शंक्वाकार, या घुमावदार संरचना जो कि कंदकवक के समान है, के कारण इसे चॉकलेट ट्रफल नाम दिया गया है। भारत में, कंदकवक काफी नए हैं, लेकिन अपने स्वादिष्ट और पौष्टिक गुणों के कारण यह क्षेत्र में परिचित हो रहा है तथा इसकी मांग बढ़ रही है।
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