लसोड़ा, लसोडा,गोंडी, नरुविली और sebastian plum , यह कुछ सामान्य नाम है cordia dichotoma या cordia myxa के, एक पेड़ जो पूरे भारत में मिलता है। पेड़ के विभिन्न हिस्से आंतरिक और बाहरी दोनों रूपों मैं औषधियों के रूप में इस्तेमाल होते रहे हैं। यह लसोड़ा पेड़ लखनऊ में भी पाया जाता है। पेड़ के प्रमुख अंगो, छाल, पत्ती, फल कि अपनी खूबियां होती हैं। औषधीय उपयोग और विषाक्तता भी खासे महत्वपूर्ण हैं।
लसोड़ा मराठी का पतझड़ी,40-50 फीट ऊंचा और टेढ़ा मेढ़ा पेड़ होता है । इसकी छाल सिलेटी है भूरे रंग की, सिकुड़न भरी,रोएंदार और करीब आधा इंच मोटी होती है। पत्तियां साधारण,6 -10.5 सेंटीमीटर लंबी, 4.75 सेंटीमीटर चौड़ी, अंडाकार और पतली होती हैं। सफेद रंग किस के फूल सामान्य होते हैं। गुठली दार, चेहरे की तरह के आकार का फल होता है। लसोड़ा भारत, श्रीलंका, मलेशिया, दक्षिण चीन, जावा, न्यू गिनी, फिलीपीन, और ऑस्ट्रेलिया के गर्म भागों में पाया जाता है।
लसोड़ा के विभिन्न उपयोग
खाद्य संबंधी
इसका
कच्चे और पका कर दोनों तरह से प्रयोग किया जाता है। पका हुआ फल स्वाद मीठा और चिपचिपा होता है। कम पके फल या कच्चे फलों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बीज तैलीय होते हैं । फूलों पत्तियों और युवा तनो से भी सब्जियां पकाई जाती हैं।
औषधीय संबंधी:
लसोड़ा की छाल, पत्तियों और फल सभी में औषधीय गुण होते हैं। इनसे मूत्र संबंधी अवरोध दूर होते हैं; शांति प्रदान करते हैं; पेट संबंधी दर्द, कब और छाती में जकड़न दूर करते हैं। बुखार में लसोड़े की छाल का रस पिया जाता है। इसे नारियल तेल में मिलाकर लेने से उदर शूल ठीक हो जाता है। इसकी छाल बहुत शक्तिशाली होती है। इसे टूटी हुई हड्डियों पर प्लास्टर से पहले लगाने से जल्दी स्वास्थ्य लाभ होता है। हाल के पाउडर को शरीर के ऊपर लगाने पर त्वचा संबंधी बीमारियां दूर हो जाती हैं। लसोड़े की पत्तियों को भिगो कर लेने से नींद ना आने की बीमारी ठीक हो जाती है। मक्खियों के काटने पर वहां इसी पानी को लेप की तरह लगाया जाता है। पत्तियों के रस को लगाने से सर दर्द, घाव और अल्सर में आराम मिलता है। लसोड़े के फल को ऊपर से लगाने पर फोड़े, स्नायु दर्द और दाद का उपचार होता है। पत्तियों में stereols और गोंद पाया जाता है।
कृषि वानिकी संबंधी:
अर्ध शुष्क क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए लसोड़े के पौधे लगाए जाते हैं। काफी पौधों की रक्षा के लिए छायादार पेड़ की तरह इनका इस्तेमाल किया जाता है।
अन्य उपयोग
लसोड़े के तने की छाल से निकले रेशे से रस्सी, डोरियां तो बनाई जाती है, इसकी पुट्टी सेनाओं की मरम्मत भी की जाती है। पत्तियों और फलों से रंग बनाए जाते हैं। रेशेदार छाल से भी डोरियां बनती हैं। युवा शाखाओं की राख से साबुन बनाया जाता है। हल्का चिपचिपा- लसदार गूदा गोंद बनाने के काम आता है। लकड़ियों का इस्तेमाल ईंधन के रूप में होता है। लसोड़े की पीली भूरी लकड़ी मुलायम होते हुए भी मजबूत होती है। इसका उपयोग फर्नीचर, अलमारी, नावो और खेती संबंधी औजारों के निर्माण में होता है।
चिकित्सकीय उपयोग:
पादपरासयनिक जांच में पाया गया की लसोड़े के फलों में तेल, ग्लाइकोसाइड्स, फ्लेवोनॉयड्स, sterols,सपोनिन, तारपीन, अलकालॉयड्स, फेनोलिक एसिड,coumarins, टैनिन,रेसिन्स, गोंद और mucilage मिलते हैं। औषधीय जांच के अनुसार लसोड़े में पीड़ा नाशक, सूजन रोधी, रोग रोधी, रोगाणु रोधी, एंटीपैरासाइटिक, हार्ट संबंधी, श्वसन संबंधी, जगरांत्र संबंधी और बचाव संबंधी प्रभाव होते हैं।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में लसोड़ा की पत्तियों को दिखाया गया है। (Wikimedia)
दूसरे चित्र में लसोड़ा के फूलों को दिखाया गया है। (Flickr)
तीसरे चित्र में लसोड़ा के फल और कलियों को दिखाया गया है। (Wikipedia)
अंतिम चित्र में लसोड़ा वृक्ष के फलों को दिखाया गया है। (pexels)
सन्दर्भ:
https://www.bimbima.com/herbs/lasora-cordia-dichotoma-medicinal-used-and-health-benefits/11/
https://en.wikipedia.org/wiki/Cordia_myxa#Fruit
http://tropical.theferns.info/viewtropical.php?id=Cordia+myxa
https://www.researchgate.net/publication/313742890_The_Pharmacological_and_therapeutic_importance_of_Cordia_myxa-A_review