चीनी मिट्टी के बर्तनों से है चीन का घनिष्ठ सम्बन्ध

लखनऊ

 21-07-2020 03:33 PM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

भारत के अधिकांश स्थानों में, पोर्सिलेन (Porcelain) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, जो चीनी मिट्टी से बनी वस्तुओं को संदर्भित करता है। इसका नाम स्पष्ट रूप से इसके स्रोत को चीन से होने का संकेत देता है। प्राचीन काल में भारत के राजाओं द्वारा बढ़िया चीनी मिट्टी के बर्तन भारत में आयात किए जाते थे। इसका नाम चीनी मिट्टी इसलिए है क्योंकि इसका सबसे पहले प्रयोग चीन में हुआ। यह एक प्रकार की सफेद और सुघट्य मिट्टी है, जो प्राकृतिक अवस्था में पाई जाती है तथा इसका रासायनिक संघटन जलयुक्त ऐल्यूमिनो-सिलिकेट (Alumino-silicate) है। चीनी मिट्टी मुख्य रूप से दो प्रकार की है, पहली जो विघटनस्थल पर पाई जाती है, तथा दूसरी वह जो विघटन के स्थान से बहकर दूसरे स्थान में जमी पाई जाती है। इसकी विशेषताओं की यदि बात करें तो गीली होने पर इसे मनचाही आकृति दी जा सकती है, यह सूखने पर कठोर हो जाती है, ऊँचे ताप पर गलती नहीं तथा सूखने या आग में पकने पर भी दी गयी आकृति ज्यों का त्यों बनी रहती है। चीनी मिट्टी के बर्तन शब्द में चीनी का अर्थ चीन का होता है, इससे जाहिर होता है कि चीनी मिट्टी के बर्तन का चीन से घनिष्ट संबंध है, अर्थात चीनी मिट्टी का बर्तन चीन का आविष्कार है। पुरातत्व सामग्रियों से सिद्ध हुआ है कि चीनी मिट्टी के बर्तन का पूर्व रूप प्राचीन काल में उत्पादित नीले रंग की मिट्टी का बर्तन था, जो मिट्टी के बर्तन से चीनी मिट्टी के बर्तन के रूप में बदलने की बीच की वस्तु थी। चीन में प्राचीनतम नीले रंग की मिट्टी के बर्तन उत्तरी चीन के शानसी प्रांत की शास्यान काऊंटी में स्थित प्राचीन लुंगशान सभ्यता स्थल में प्राप्त हुए, जो आज से 4200 साल पुराने हैं। चीन में असली अर्थ का चीनी मिट्टी का बर्तन पूर्व हान राजवंश के काल (ईस्वी 25-220) में आविष्कृत हुआ था, सर्वप्रथम वह दक्षिण चीन के चेच्यांग प्रांत में उत्पादित हुआ, इस के बाद दक्षिण से उत्तर चीन में आया। इस के बाद सफेद रंग का चीनी मिट्टी बर्तन नीले रंग के मिट्टी के बर्तन के विकास से उत्पन्न हुआ। चीनी मिट्टी के बर्तन के विकास में पहले एकल रंग के ग्लेज (Glaze) वाला बर्तन बनाया जाता था, फिर बहु रंगीन ग्लेजेड बर्तन का विकास हुआ। दसवीं ईस्वी से 13वीं शताब्दी तक चीन के थांग और सुंग राजवंशों में चीनी मिट्टी के बर्तन की उत्पादन तकनीक लगातार विकसित होती गई तथा मिंग राजवंश ( ईस्वी 1368--1644) और छिंग राजवंश ( ईस्वी 1644-1911) में चीन में चीनी मिट्टी के बर्तन के विकास का स्वर्ण युग रहा। चीनी मिट्टी के बर्तनों का विदेशों में निर्यात आठवीं शताब्दी से शुरू हुआ। चीनी मिट्टी के बर्तन शुरू-शुरू में मुख्यतः एशियाई देशों को निर्यात किये जाते थे। 17 वीं शताब्दी से यूरोपीय देशों के राजमहलों में चीनी मिट्टी के बर्तनों का अत्यधिक संग्रहण किया गया। अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार 17वीं शताब्दी में चीन हर साल यूरोप को दो लाख से ज्यादा चीनी मिट्टी के बर्तन बेचता था तथा 18 वीं शताब्दी में चीनी मिट्टी के बर्तनों की वार्षिक निर्यात मात्रा दस लाख तक पहुंची थी। मुग़ल राजवंशियों द्वारा पोर्सिलेन से निर्मित वस्तुओं का अत्यधिक इस्तेमाल किया गया। चीनी मिट्टी के बर्तनों के विकास की शानदार सफलता और उसके विश्व भर में पसंदीदा होने के कारण चीन का नाम और चीनी मिट्टी के बर्तन के नाम हमेशा के लिए एक दूसरे से घनिष्ट रूप से जुड़ गये। समय के साथ, कई भारतीयों ने इस व्यापार को सीखा और इनका आयात बंद हो गया। लखनऊ के करीब चिनहट मिट्टी के बर्तनों का एक बड़ा केंद्र बन कर उभरा। चिनहट का नाम चीनी मिट्टी के साथ इसके संबंध का स्पष्ट संकेत देता है। अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए प्रसिद्ध लखनऊ शहर, चिनहट मिट्टी के बर्तनों के रूप में इसका एक और रचनात्मक आयाम है। चिनहट पॉटरी (Pottery) मुख्य रूप से चिनहट क्षेत्र में की जाती है जो लखनऊ शहर के पूर्वी इलाके में फैजाबाद रोड पर स्थित है। यह स्थान उत्तर प्रदेश राज्य में मिट्टी के बर्तनों के लिए एक प्रसिद्ध केंद्र के रूप में उभरा है जिसने पर्यटकों को भी आकर्षित किया है। चिनहट मिट्टी के बर्तनों की एक सुंदर और रचनात्मक कला है। यहां मिट्टी के बर्तनों को बनाने का शिल्प बहुत पुराना है जिसे राज्य योजना विभाग के योजना अनुसंधान और कार्य संस्थान द्वारा लॉन्च (Launch) किया गया और पायलट प्रोजेक्ट (Pilot project) के साथ शुरू किया गया। चिनहट के स्थानीय लोगों ने इस परियोजना की मदद से मिट्टी के बर्तनों के निर्माण में इसे बड़ा और लाभदायक बनाने की क्षमता देखी। संस्थान को 5000 आवेदन प्राप्त हुए और जल्द ही प्रयासों को सफलता के फल मिलने लगे। उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छी तरह से प्राप्त किया गया था। चिनहट मिट्टी के बर्तनों में ग्लेज़ेड टेराकोटा (Glazed terracotta) पॉटरी और चीनी मिट्टी (Ceramics) की चीज़ें आती हैं। ग्लेज़ आमतौर पर हरे और भूरे रंग के होते हैं, जबकि डिज़ाइन को सामान्य सफेद आधार पर बनाया जाता है। बर्तनों को 1180 से 1200 सेल्सियस (Celsius) तक तपाया जाता है। इसके उत्पादों में मग, कटोरे, फूलदान, कप और सॉसर (saucers) शामिल हैं। इसके डिजाइन ज्यामितीय आकृतियों में होते हैं और चिनहट के कुम्हारों द्वारा बनाई गई रचनात्मकता, कौशल और कड़ी मेहनत अंतिम उत्पाद के रूप में प्राप्त होते हैं। कुम्हारों के लिए, मिट्टी के बर्तन बनाना केवल आजीविका कमाने का व्यवसाय नहीं है, यह उनका वो काम है जिसे वे पूजते हैं। हालांकि, बाजारों में सस्ते चीनी उत्पादों की उपलब्धता में हालिया तेजी और अधिकारियों की अनदेखी ने कुम्हारों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। आज चिनहट पॉटरी के समक्ष कई चुनौतियां हैं। 1957 में शुरू हुई अकेली सरकारी इकाई को 1997 में बंद कर दिया गया था क्योंकि अधिकारियों ने इसे घाटे का व्यवसाय बताया। इसे पुनर्जीवित करने के लिए सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किए गए। चिनहट क्षेत्र में कभी पॉटरी का कारोबार होता था, लेकिन अब यह पॉटरी उद्योग बंद है। इस क्षेत्र में कुछ ही कारोबारी इस काम को कर रहे हैं। उद्योग के पास अभी भी राज्य के लिए एक बड़े लाभदायक व्यवसाय में बदलने की बड़ी क्षमता है, लेकिन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर शिल्प को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह लखनऊ शहर के साथ-साथ स्थानीय कारीगरों के लिए भी एक बड़ी क्षमता रखता है।

संदर्भ:
http://lucknowpulse.com/chinhat-pottery-making/
https://hi.quora.com/%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%80 http://hindi.cri.cn/chinaabc/chapter20/chapter200313.htm
https://www.swadesi.com/news/chinhat-pottery/
https://www.jagran.com/uttar-pradesh/lucknow-city-special-story-on-pottery-technology-centre-at-chinhat-17784692.html
https://www.academia.edu/17564487/The_Maritime_Trade_in_Chinese_Porcelain_to_India

चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में चिनहट पॉटरी को दिखाया गया है। (Youtube)
दूसरे चित्र में चिनहट पॉटरी के माध्यम से बनायीं गयी गणेश प्रतिमा को दिखाया गया है। (Prarang)
तीसरे चित्र में लखनऊ में चिनहट पात्रों की बिक्री को दिखाया गया है। (Prarang)
चौथे चित्र में चिनहट में बनाये गए विभिन्न पात्रों और मूर्तियों को देखते हुए एक ग्राहक और एक कुम्हार (कलाकार) को चिनहट का काम करते हुए दिखाया गया है। (Youtube)
पांचवे चित्र में चीन के पात्रों को दिखाया गया है, जो चीनी मिटटी द्वारा तैयार किये गए हैं। (Wikiwand)


RECENT POST

  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन बॉलीवुड गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id