लखनऊ के कला प्रेमी नवाब और उनकी सोने की किताब

लखनऊ

 14-07-2020 04:52 PM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

कला किसे नहीं पसंद है? कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को कला की परख ना हो वो व्यक्ति, व्यक्ति नहीं रह जाता। हमारे आस पास हर स्थान पर कला और प्रेम हमें दिखाई देता है, वृक्षों में किसी को कला दिखाई देती है तो किसी को पत्थरों में, किसी को किताबों में तो किसी को कहीं और। कला के विषय में सदैव से यह कहा गया है कि नजर होनी चाहिए देखने वाले में, कला तो हर स्थान पर ही व्याप्त है। हमारा लखनऊ ऐसा शहर है, जो कि मानो किसी शायर द्वारा सजाया गया हो, यहाँ की इमारतों से लेकर यहाँ की गलियां आदि इसी का उदाहरण पेश करती हैं। लखनऊ को कला के रंग में रंगने वाला कोई और नहीं बल्कि यहाँ का अंतिम नवाब वाजिद अली शाह था, वाजिद अली शाह कला का प्रेमी होने के साथ साथ एक हुनरमंद लेखक और शायर भी था। आज भी हम कहीं न कहीं वाजिद अली शाह द्वारा लिखी शायरियों को सुनते रहते हैं-

उल्फत ने तिरी हम को रक्खा ना कहीं का।
दरिया का ना जंगल का समा का ना ज़मीं का।।
ऐसी ही ना जाने कितनी ही शायरियां और गजलें यहाँ के आखिरी नवाब ने लिखी हैं। ऐसी ही एक पुस्तिका है जो कि वाजिद अली शाह द्वारा लिखी गयी है, ये है 'इश्कनामा' जो की वर्तमान समय में लन्दन के विंडसर कैसल (Windsor Castle) में रखी गयी है। यह किताब सन 1851 में वाजिद अली शाह द्वारा लिखी गयी थी, जो कि उनकी आत्मकथा का बोध कराती है, यह पुस्तक अपने में ही एक कला का नमूना है, जिसमे अनेकों चित्र बनाए गए हैं। इन चित्रों में अवध के आखिरी नवाब के प्रेम को देखा जा सकता है। इस पुस्तक में बने चित्रों में रंगमंच से लेकर चित्रकारी आदि का संयोग देखने को मिलता है, जो कि अपने में अत्यंत ही दुर्लभ है। ये चित्र पारंपरिक शैली और नवीन उत्पन्न शैलियों के मिश्रण को दिखाने का कार्य करते हैं।

यह पुस्तक भूरे रंग के जिल्द के साथ पुष्पों को उकेर कर गिल्ट (Gilt), सोने और चांदी के सजावटी कार्य से तैयार की गयी है। यह पुस्तक वाजीद अली शाह के कला प्रेम को दिखाने का कार्य करती है तथा इसको देखने से यह जीवंत प्रतीत होती है।

इस पुस्तक में बनी महिलाओं के चित्रण उस समय की महिलाओं की स्थिति तथा उनके प्रेम को प्रदर्शित करने का कार्य करती है, हांलाकि इसमें जिस प्रकार से चित्रों को दर्शाया गया है, वो पारंपरिक रूप से तथा सामाजिक औरतों के भिन्न हैं। वाजिद अली शाह के अफ़्रीकी (African) मूल की महिलाओं के प्रति उठने वाले प्रेम को भी यह पुस्तक दिखाने का कार्य करती है। नवाब वाजिद अली शाह के पास अपना खुद का एक फोटो स्टूडियो (Photo Studio) था, जिसके कारण इस पुस्तक में बने चित्र उनके वास्तविक पोट्रेट हैं। इस पुस्तक में हम नवीन उभरती हुई फोटोग्राफी तकनीकी और इस्लामिक सचित्र पाण्डुलिपि की प्रणाली को देख सकते हैं। यह पांडुलिपि या किताब सन 1858 में सिखों द्वारा जब लखनऊ पर धावा बोला गया था, तो उन्होने इसे लखनऊ की रॉयल लाइब्रेरी (Royal Library) से उठा लिया था तथा सिखों द्वारा ही इसे सर जॉन लोरेंस (Sir John Lawrence) को भेंट में दे दिया गया था। लोरेंस ने सन 1859 में यह किताब महारानी विक्टोरिया (Queen Victoria) को भेंट स्वरुप दे दी थी।

नवाब वाजिद अली शाह स्त्रियों के अत्यंत ही नजदीक रहना पसंद करते थे और यही कारण है कि उन्होंने परीखाने का निर्माण करवाया था। वर्तमान समय में जिस स्थान पर भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय है, कभी वही वाजिद अली शाह का परीखाना हुआ करता था। परीखाने में वे औरतें रहा करती थी, जिनपर वाजिद अली शाह का दिल आ जाता था। वाजिद अली शाह एक दिलफेंक इंसान थे तथा भारतीय इतिहास में वे पहले ऐसे नवाब हुए जो अपना एक स्तन कपड़ों के ऊपर दिखाने वाला वस्त्र पहनते थे। यह 1857 की क्रान्ति थी जिसने पूरे अवध के साम्राज्य को ढहा दिया और इसी तरह से एक कला प्रेमी और शायर नवाब पूर्ण रूप से टूट गया। अभी हाल ही में परीनामा नामक पुस्तक लिखी गयी है, जिसमे वाजिद अली शाह के जीवन के विषय में और भी जानकारियाँ प्रदान की गयी हैं। आज भी वाजिद अली शाह द्वारा लिखित किताबों और लेखों से उनके जीवन के विभिन्न आयामों के विषय में हमें जानकारी प्राप्त होती है।

चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में इश्क़नामा के अंदर के चित्रण और लिखावट से परिपूर्ण पन्नों को दिखाया गया है। (Royal Trust, England)
द्वितीय चित्र में इश्क़नामा के अंतर्गत परीखाना के चित्रण को दिखाया गया है। (Royal Trust, England)
तीसरे चित्र में इश्क़नामा के आवरण को संदर्भित किया गया है। (Royal Trust, England)
चौथे चित्र में इश्क़नामा के आंतरिक पृष्ठों में समाहित चित्रों को दृश्यांवित किया गया है। (Royal Trust, England)
अंतिम चित्र में इश्क़नामा के अंदर दिए गए अधेड़ उम्र की औरत और नवाब के चित्रण को दिखाया गया है। (Royal Trust, England)
सन्दर्भ
https://www.rct.uk/collection/1005035/ishqnamah
https://academies.hypotheses.org/7225
https://www.thehindu.com/society/history-and-culture/debauchery-dissipation-and-low-pursuits/article18712603.ece
http://historiesandmystery.com/2018/09/05/nawab-wajid-ali-khan-and-his-parikhana/
https://gulfnews.com/entertainment/books/wajid-ali-shahs-decadent-life-1.1349230
https://www.livemint.com/Leisure/QHhVHqpy4HnPWouVFmFC1H/The-story-of-Wajid-Ali-Shah-from-riches-to-rags.html
https://aajtak.intoday.in/story/parikhana-book-review-wajid-ali-shah-1-923080.html
https://www.rekhta.org/Poets/wajid-ali-shah-akhtar/all



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id