सिंधु घाटी सभ्यता दक्षिण एशिया के उत्तर पश्चिम क्षेत्र की पीतल युगीन सभ्यता थी जो 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक थी। मानव इतिहास में उदित होने वाली मेसोपोटामिया, वह पहली सभ्यता थी, जो 10000 ईसा पूर्व के आसपास की थी। इसका क्षेत्र टिगरिस (Tigris) और यूफ्रेट्स (Euphrates) नदियों के बीच एशियन माइनर और फारस की खाड़ी के बीच था। सिंधु घाटी सभ्यता और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं के मध्य कई प्रकार के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध थे।
सिंधु घाटी सभ्यता के व्यापारिक संबंध खाड़ी में सुमेरियन व्यापारी सक्रिय थे, इसके कोई प्रमाण नहीं है कि वह कभी सुदूर दक्षिण पहुंचे। वे केवल पश्चिमी तट तक पहुंचे थे। हड़प्पा के उत्पाद शुरुआती दिनों में मेसोपोटामिया में दिखने शुरू हो गए थे, जैसे- कार्नेलियन, मनके आदि। माना जाता है कि कुछ सिंधु घाटी के कारोबारी खाड़ी में से होते हुए मेसोपोटामिया के तटों तक पहुंचे। मेसोपोटामिया के लोग सिंधु घाटी वालों को मेलुहा नाम से जानते थे। मेलुहा तीनों क्षेत्रों में सबसे दूर था और इससे आयात के बारे में सुमेरियन और अक्कदियन लेखों में उल्लेख मिलता है, जैसे की लकड़ी, कार्नेलियन और हाथी दांत- हड़प्पा में पाए जाने वाले साधनों- सामग्रियों से मिलते जुलते थे। विज्ञापन- मेलुहा के पास बड़ी नावे थी और लंबी यात्राओं के लिए ठोस जानकारियां भी। व्यापार के लिए लंबे सफर पर निकलने की यह जरूरी शर्त थी। सिंधु घाटी के लोग गल्फ सी (Gulf Sea) की गलियों में चलते थे और मेसोपोटामिया के बंदरगाहों पर लंगर डालते थे। मेसोपोटामिया के सिंधु घाटी से आयात क्या थे जो सामग्री मेलुहा से आया करती थी, इनमें विभिन्न प्रकार की लकड़ी, पत्थर, धातु, हाथी दांत और पशु शामिल थे। इनमें से कुछ चीजें तो मूल सिंधु घाटी की थी तथा कुछ चीजें सिंधु घाटी क्षेत्र की नहीं थी। ये वे चीजें थी, जिन्हें हरप्पन ने आयात किया और मेसोपोटामिया से व्यापार कर उन्हें बेच दिया। इसके अतिरिक्त लेख ऐसी कुछ चीजों का संदर्भ भी देते हैं, जिन्हें मेसोपोटामिया के लोग दिलमुन से आयात किया करते थे और जो स्पष्ट रूप से वहां की बनी नहीं थी, उनमें से बहुत सी चीजें मूल रूप से सिंधु घाटी क्षेत्र की थी। कुछ अन्य चीजें जो सिंधु घाटी से मेसोपोटामिया पहुंची उनमें शामिल हैं- कार्नेलियन (लाल पत्थर, जिसकी खानें सिंधु घाटी में थी), लेपिस लजूली (बहुत कीमती आयातो में से एक, जिससे मंदिरों का श्रृंगार होता है), तिल का तेल, धातुओं में तांबा, भारतीय हाथियों के दांत, भैंस, हाथी दांत की बनी चिड़िया, कार्नेलियन बंदर, सोना इत्यादि। सिंधु घाटी और मेसोपोटामिया के बीच संबंध सिंधु घाटी और मेसोपोटामिया के बीच आपसी संबंध तीसरे मिलेनियम ईसा पूर्व के दूसरे चरण में काफी प्रगाढ़ हो गए थे। इनके बीच के व्यापारिक रास्ते काफी छोटे थे क्योंकि उन दिनों समुद्री तल काफी नीचे था । 1900 ईसा पूर्व के बाद सिंधु घाटी सभ्यता के विलुप्त हो जाने पर भी यह संबंध बने रहे। मेसोपोटामिया पहले ही लेपिस लजूली के व्यवसाय में दक्षिण एशिया और मिस्र के बीच लगभग 3200 ईसा पूर्व से मध्यस्थ था। प्राचीन व्यापार ने कैसे दुनिया बदली आपके पास सोना है, मुझे अपने हार के लिए चाहिए और मेरे पास सिल्क है, जो आप अपने लबादे के लिए चाहते हैं। तो क्या किया जाए? आजकल, अगर आपको कुछ चाहिए, आप अपने नजदीक के मॉल में चले जाते हैं, कुछ पैसे खर्च करके सामान घर ले आते हैं। हजारों साल पहले, यह प्रक्रिया इतनी आसान नहीं थी। अगर आपकी या शहर में किसी दूसरे की इच्छा इस तरह पूरी ना होती तो या आप अपनी मांग भूल जाते या फिर उसके लिए लंबी यात्राएं करनी पड़ती। उस समय शहरों के लिए व्यापार करना बड़ा श्रम साध्य था। ऐसे शहरों के नाम हमारी इतिहास की किताबों में मुश्किल से ही मिलते हैं। 5000 साल पहले जब पहली सभ्यताओं ने आपस में व्यापार शुरू किया, बहुत सारे लोग बहुत जल्दी धनी हो गए। विभिन्न सांस्कृतिक संपर्क को एक नए स्तर पर लाने के लिए व्यापार और आपसी संवाद एक वरदान था-। विलासिता के सामान जब लोग मेसोपोटामिया और मिस्र के बड़े शहरों में ठीक से व्यवस्थित व आत्मनिर्भर हो गए, तो व्यापार का विचार किया गया। अब एक किसान स्थानीय बाजार में अनाज का व्यापार एक बर्तन दूध के लिए कर सकता था, जो कि कभी-कभी बहुत दूर पड़ता था। अन्य शहरों ने भी इसी तरह काम करना शुरु कर दिया। उन्होंने महसूस किया कि इस तरह के शहरों से उन चीजों को मंगा सकते हैं, जो अपने पास नहीं है क्योंकि वहां की जलवायु और प्राकृतिक संसाधन अलग-अलग तरह की चीजों का निर्माण करते हैं। यह लंबी दूरी का व्यापार धीमा और जोखिम भरा था लेकिन उस बिचौलिए के लिए बहुत फायदेमंद था जो यात्रा करने को तैयार था। इतिहासकारों के अनुसार पहला लंबी दूरी का व्यापार मेसोपोटामिया और सिंधु घाटी के बीच 3000 ईसा पूर्व के आसपास हुआ। लंबी दूरी के यह व्यापार शुरुआत में खासतौर पर विलासिता की सामग्री, मसाले, कपड़े और महंगी धातु तक सीमित थे। जहां इस तरह की सामग्री का भंडार था वह आर्थिक रूप से समृद्ध हो गए और दूसरे क्षेत्रों तक गहने, कपड़े और आयातित दुर्लभ पदार्थ पहुंचा कर उन्हें भी संतुष्ट कर देते। इतिहास में पहली बार यह हुआ कि पूरे महाद्वीप में व्यापार संबंधों के आदान-प्रदान से अलंघनीय संस्कृतियों का आपसी जुड़ाव हुआ।चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में मेसोपोटामिया और सिंधु घाटी (दोनों) सभ्यताओं के मध्य के सम्बन्ध को प्रदर्शित किया गया है। (Prarang)
2. दूसरे चित्र में सिंधु घाटी से प्राप्त नौका के चित्रावशेष और मेसोपोटामिया से प्राप्त नौका के चित्रावशेष लगभग एक समान नौकाओं को दिखाते हैं। (Prarang)
3. तीसरे चित्र में मेसोपोटामिया के पुरास्थल से प्राप्त शिलालेख है, जिस पर अंकित बैलों के बारे में मान्यता है कि ये सिंधु सभ्यता को प्रदर्शित करती हैं। (Wikipedia)
4. चौथे चित्र में मेल्हुआ शिलालेख दिखाया गया है। (Wikimedia)
5. अंतिम चित्र में दोनों ही स्थानों से प्राप्त मानकों को दिखाया है, जो व्यापारिक सम्बन्ध को दर्शाते हैं। (Flickr)
सन्दर्भ:
http://www.historydiscussion.net/history-of-india/indus-valley-civilisation/early-indus-civilization-and-its-trade-relations-india-history/7058
https://en.wikipedia.org/wiki/Indus-Mesopotamia_relations
https://www.livescience.com/4823-ancient-trade-changed-world.html
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.