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लखनऊ का भौगोलिक क्षेत्र 2528 स्क्वायर किलोमीटर तथा साक्षरता की दर- पुरुषों में 76 प्रतिशत एवं महिलाओ में 60.5 प्रतिशत है। शहर में चार तहसील और 8 ब्लॉक हैं। 511 ग्राम पंचायतें हैं, खेती वाला इलाका 1,38,148 हेक्टेयर है। जनसंख्या 3647.84 हजार है। यहां खेती के लिए अधिकतर चिकनी बलुई मिट्टी( दोमट मिट्टी) मिलती है।
लखनऊ की जलवायु नम और सब-ट्रॉपिकल (Sub-tropical) है, जिसमें ठंड मध्य नवंबर से फरवरी तक होती है। उसके बाद सूखी गर्मियों का मौसम देर मार्च से जून तक होता है। बरसात का मौसम जुलाई से मध्य सितंबर तक होता है। मुख्य फसलें हैं- गेहूं, चावल, मेंथा, मटर, सरसों, गन्ना इत्यादि। यहाँ वर्षा पर आधारित मुख्य फसलें हैं- उरद, अरहर, मूंगफली इत्यादि। फलों में मुख्य उपज है- आम, केला, अमरूद, पपीता इत्यादि। सब्जियों में शामिल हैं- आलू, बैंगन, भिंडी, हरी मटर, पत्ता गोभी आदि। फूलों में प्रमुख हैं- ग्लेडियोलस, मेरीगोल्ड, गुलाब इत्यादि। पशुपालन में प्रमुख हैं- गाय, भैंस, बकरी और सूअर। लखनऊ में रबी और खरीफ की फसलें होती हैं। बढ़ते शहरीकरण के कारण किसानों को लखनऊ जिले में कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। रिहायशी इलाके बढ़ रहे हैं, खेती की जमीन सिकुड़ती जा रही है। फसलों के संरक्षण के लिए कोल्डचेन का अभाव है। अशिक्षा, मजदूरों का पलायन, बेरोजगारी, खराब स्वास्थ्य व्यवस्था, महंगा इंधन, उत्पादन की कम दरें, ऊंची मार्केटिंग कीमतें, गुणवत्ता के आधार पर कीमतों का निर्धारण ना होना, बिचौलियों द्वारा शोषण, नील गाय द्वारा फसलों का नुकसान इत्यादि मुख्य समस्याएं हैं।
चिकनी बलुई मिट्टी के सर्वश्रेष्ठ उत्पाद
चित्र संदर्भ:
1. मुख्य चित्र में हुसैनाबाद के पीछे होने वाली खेती को दिखाया गया है। (Prarang)
2. दूसरे चित्र में लखनऊ जिले के अंतर्गत आने वाले बाराबंकी में स्थित एक खेत को दिखाया गया है। (Wikimedia)
3. तीसरे चित्र में लखनऊ की चिकनी बलुई मिटटी में धान की रोपाई करते हुए किसानों को दिखाया गया है। (Pickero)
4. अंतिम चित्र में गेहूं की खेती के बाद थ्रेसर की मदद से गेहूं की छन्नाई प्रक्रिया और बैठे हुए किसान को दिखाया गया है। (Pexels)