हमारे समाज में विभिन्न विषय व्याप्त हैं जिनके बारे में बात की जाए तो एक होता है शुद्ध विषय और दूसरा होता है प्रायोगिक विषय। हम में से बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो बचपन से ही गणित से डरते आ रहे हैं या फिर उसके ठीक उलट उससे प्यार करते चले आ रहे हैं। गणित विषय भी दो विभागों में बंटा हुआ है प्रायोगिक और शुद्ध, इस लेख के माध्यम से हम शुद्ध गणित के विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे और इसमें रोजगार के क्या पैमाने हैं उसे भी जानने की कोशिश करेंगे।
शुद्ध गणित, गणित की एक ऐसी धारणा है जो अध्ययन में किसी भी अन्य धारणाओं का प्रयोग सर्वथा नहीं करता है। यह बुनियादी गणितीय सिद्धांतों के माध्यम से तार्किक परिणामों को समझने का कार्य करता है। शुद्ध गणित के इतिहास की बात करें तो यह प्राचीन ग्रीस तक जाता है जहाँ तक इसकी तिथि की बात आती है तो इसकी अवधारणा का विस्तरीकरण करीब 1900 सन के करीब हुआ था। इस गणित में कालांतर में इसकी कठोरता से सम्बंधित अवधारणा को नये तौर पर लिखा गया तथा इसमें स्वयंसिद्ध विधियों का व्यवस्थित प्रयोग होना शुरू हुआ, इस प्रकार की अवधारणा ने ज्यादा गणितज्ञों को शुद्ध गणित की ओर आकर्षित किया। अब जब बात करते हैं कि शुद्ध गणित की अवधारण या नाम किस प्रकार से आया तो इसके लिए 19वीं शताब्दी के मध्य में स्थापित सैडलिरियन चेयर के पूर्ण शीर्षक में ही सैडलेरियन प्रोफेसर ऑफ़ प्योर मैथेमेटिक्स में यह शब्द आया था। गॉस के समय में शुद्ध और प्रायोजिक गणित में कोई बड़ा अंतर नहीं बताया गया था। यह 20वीं शताब्दी थी जब शुरूआती गणितज्ञों ने स्वयंसिद्ध पद्धति अपनाई, यह सिद्धांत डेविड हिल्बर्ट के उदाहरण से काफी हद तक प्रभावित था। बर्टेड रसेल द्वारा सुझाए गए मात्रात्मक संरचना के सन्दर्भ में जिस प्रकार से तार्किक सूत्रीकरण को बड़े पैमाने पर माना गया था। इन्ही बिन्दुओं से यह माना गया की अभियांत्रिकी पढ़ाई में शुद्ध गणित ज्यादा उपयोगी है। प्रायोगिक गणित वास्तविक दुनिया पर ध्यान केन्द्रित करता है जिसमे अभियांत्रिकी, अर्थशास्त्र, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, ज्योतिषशास्त्र आदि आते हैं वहीँ शुद्ध गणित सिर्फ गणित के लिए कार्य करता है, जबकि यह पहेली, पैटर्न और अमूर्तता के विषय में अध्ययन करता है, यह विचारों का अध्ययन करता है, यह किसी भी सवाल को ज्यादा से ज्यादा अन्दर तक ले जाता है जिससे ज्यादा से ज्यादा बिंदु निर्दृष्ट हों।
आज के कंप्यूटर शुद्ध गणित की ही देन हैं, यह एक जटिल विषय है जो कि अत्यधिक दिमाग के साथ समय लेता है परन्तु इसका कभी न कभी किसी न किसी प्रकार के यंत्र बनाने में मदद ली जा सकती है। भारत के विषय में बात करें तो यहाँ पर अभियांत्रिकी की पढ़ाई के कारण गणित के ज्ञान में बड़ी कमी को देखा गया है। यहाँ पर दुनिया भर की कंपनियां अभियांत्रिकी क्षेत्र से जुडी आ रही हैं जो कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर मशीन लर्निंग के क्षेत्र में कार्यरत हैं परन्तु फिर भी भारत के महत्वपूर्ण गणितज्ञों ने इसमें कई ऐसी बातें निहित की हैं जो कि अध्ययन के लिए जरूरी हैं। इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर व्याप्त हैं जिसमे शुद्ध गणित भी शामिल है। गणितीय अध्ययन और शुद्ध गणित के लिए कई दरवाजें हैं जो बेहतर रोजगार मुहैया कराने का माद्दा रखते हैं।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में एक व्यक्ति को गणितीय सूत्रों के साथ दिखाया गया है। (Needpix)
2. दूसरे चित्र में गणित के सोचपरक गणित को इमोजी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। (Prarang)
3. तीसरे चित्र में गणित के जटिल प्रश्न का संयुक्त चित्रण है। (Youtube)
4. अंतिम चित्र में एक नोटबुक, कलम और किताब के साथ गणित को प्रस्तुत किया गया है। (Freepik)
सन्दर्भ :
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Pure_mathematics
2. https://putitallonred.com/2014/08/11/if-i-reacted-to-other-peoples-careers-the-way-they-react-to-me-becoming-a-mathematician/
3. https://mathwithbaddrawings.com/2015/02/24/why-do-we-pay-mathematicians/
4. https://economictimes.indiatimes.com/jobs/mathematics-is-on-decline-in-india-reason-excessive-focus-on-engineering/articleshow/69938324.cms?from=mdr
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