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हाल ही में राहत पैकेज (Package) और नीतियों के पुनर्गठन के मद्देनजर वित्तीय निबंधन काफी चर्चा में हैं, उदाहरण के लिए सहिष्णुता (सहिष्णुता का शाब्दिक अर्थ है "रोकना")। ऐतिहासिक रूप से, ग्राहकों को सहिष्णुता अस्थायी या अल्पकालिक वित्तीय कठिनाई के समय प्रदान की जाती है। यह एक प्रकार से ऋणदाता या लेनदार द्वारा दी गई पुनर्भुगतान राहत का एक रूप है। कोरोनवायरस (Coronavirus) के प्रकोप के कारण अचल संपत्ति, आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्रों के व्यवसाय मालिकों द्वारा भुगतान में देरी होने और पिछले ऋणों के पुनर्गठन की तलाश करने के लिए बैंकों (Banks) को अपने ऋण अनुबंध में "एक्ट ऑफ गॉड (Act of God)" अनुच्छेद का हवाला दिया जा रहा है। जिसे देखते हुए बैंकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर मुख किया गया है। वहीं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और किफायती आवास खंडों को उनके द्वारा दिए गए ऋणों पर विनियामक प्रतिबंध की मांग की जा रही है। साथ ही बैंकिंग (Banking) उद्योग के अनिश्चित स्थिति में होने पर बैंककर्मियों को यह उम्मीद है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक उद्योग व्यापक परिसंपत्ति वर्गीकरण की सहिष्णुता दी जाएगी।
ऋण अवधि के दौरान एक अधिस्थगन अवधि एक वो समय है जब उधारकर्ता को किसी भी पुनर्भुगतान की आवश्यकता नहीं होती है। जिसके अनुसार समान मासिक किस्तों के अनुसार पुनर्भुगतान शुरू होता है। आम तौर पर, ऋण चुकाने के बाद पुनर्भुगतान शुरू होता है और भुगतान हर महीने करना पड़ता है। हालांकि इस अधिस्थगन अवधि के कारण, भुगतान कुछ समय बाद शुरू होता है। शिक्षा ऋण यह सुविधा प्रदान करते हैं। इसका कारण यह है कि छात्रों द्वारा शिक्षा ऋण नौकरी लगने और अपने वित्त का निर्माण करने के बाद चुकाया जाता है। वहीं एक छात्र की पढ़ाई पूरी होने और नौकरी मिलने के बीच समय का अंतराल होता है, जिस वजह से ही अधिस्थगन अवधि का प्रावधान दिया जाता है। शिक्षा ऋण की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता पुनर्भुगतान की संरचना है। शिक्षा ऋण में छात्रों को ऋण का भुगतान तब तक नहीं करना होता जब तक वो अपना पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर लेते हैं। वहीं अधिस्थगन अवधि के दौरान, शिक्षा ऋण पर बैंक साधारण ब्याज के आधार पर छात्र के ऋण पर ब्याज की गणना करते हैं। ब्याज की गणना केवल उतनी ही राशि पर की जाती है जितनी छात्र को व्यय की गई है, इसमें एक बार में संपूर्ण ऋण राशि में ब्याज की गणना नहीं की जाती है।

वहीं एक अधिस्थगन अवधि को कभी-कभी एक समान मासिक किस्त छुट्टी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस अवधि के दौरान किसी भी समान मासिक किस्त का भुगतान नहीं करना पड़ता है। यह छात्र ऋण आवेदकों के साथ-साथ वेतनभोगी ऋण आवेदकों को भी दिया जाता है। कई लोगों द्वारा एक अधिस्थगन अवधि मिलने के कारण व्यक्तिगत ऋण के बजाए एक शिक्षा ऋण का चयन करना पसंद करते हैं, जब उन्हें देश में या किसी विदेशी देश में शैक्षणिक कार्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम शुल्क का भुगतान करने के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है।
जब कोई व्यक्ति व्यक्तिगत ऋण के लिए आवेदन करता है तो उसे अधिस्थगन अवधि के लाभ नहीं मिलते हैं। व्यक्तिगत ऋण में एक व्यक्ति को शुरुआत से ही ऋण चुकाने की आवश्यकता होती है और यह छात्रों द्वारा चुकाना काफी मुश्किल होता है। अधिस्थगन अवधि का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ऋण आवेदक ऋण चुकाने के लिए वित्तीय रूप से तैयार हो। ऐसे ही इस लॉकडाउन (Lockdown) की अवधि में भारतीय रिजर्व बैंक ने घोषणा की है कि सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Company) द्वारा सभी प्रकार के ऋण पर 3 महीने की मोहलत देने की अनुमति दी गई है। साथ ही यह सभी सहकारी बैंकों, ग्रामीण बैंकों, क्षेत्रीय बैंकों और एनबीएफसी (NBFC) के लिए लागू है।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में पार्श्व में पैसे और स्टॉपवॉच के द्वारा बैंक द्वारा ऋण में दिए जाने वाले नियामक समय को दिखाया गया है। (Prarang)
2. दूसरे चित्र में शिक्षा ऋण का कलात्मक अभिव्यक्तव्य है। (Picsql)
संदर्भ :-
1. https://bit.ly/2ZRptSW
2. https://bit.ly/2XjVXDu
3. https://bit.ly/2ZXPXCm
4. https://www.bankbazaar.com/personal-loan/moratorium-period.html