परदेशी शब्द किसको नहीं पता? इस शब्द पर भारत में कई गाने भी बन चुके हैं इन्हीं गानों में से एक गाना अत्यंत ही प्रसिद्ध है “परदेशी परदेशी जाना नहीं” । भारत आज दुनिया का पहला ऐसा देश है जहाँ के नागरिक दुनिया के अन्य किसी भी देश से ज्यादा विदेशों में रहते हैं। ये परदेशी अप्रवासी भारतीय के रूप में जाने जाते हैं। यदि संख्या बल की बात करें तो यहाँ के करीब 18 मिलियन (Million) लोग विदेशों में रहते हैं इतनी बड़ी आबादी विदेश में रहने के बावजूद भी भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है जिसकी संख्या कुल 1.39 बिलियन (Billion) है। भारत इस समय दुनिया के सबसे बड़े आबादी वाले देश चीन से कुछ ही संख्या से कम है और यह माना जाता है कि सन 2027 तक यह दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
अब जब हम बात करते हैं कि भारत के लोग का विदेश कब से जाना शुरू हुआ या इनका रिश्ता कब से विदेशियों के साथ जुड़ा तो यह इतिहास करीब 5000 वर्ष पुराना है तथा इसकी प्रमाणिकता सिन्धु सभ्यता से ही मिलने लग जाती है। गुजरात के लोथल में स्थित सिन्धु सभ्यता के समय का बंदरगाह इसकी प्रमाणिकता को और भी मजबूत करता है। मुख्य रूप से प्राचीन काल में जो भारतीय विदेशों में जा कर बस गए वे वहां पर व्यापार की दृष्टिकोण से गये, अरब देशों से लेकर रूस (Rusia) तक भारतीय व्यापारी 17वीं शताब्दी में बड़ी संख्या दूसरे देशों में गए। 19वीं शताब्दी के मध्य में तथा 20वीं शताब्दी के दौरान बहुत ही बड़ी संख्या में अप्रवासी भारतीयों की संख्या बढ़ी जिसका कारण रहा था मजदूरी, विश्व युद्ध और व्यापार आदि।
आज भारत में करीब 176 मिलियन गरीब आबादी निवास करती है जो कि धीरे-धीरे सुधर रही है तथा इसकी संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है। भारत से बाहर रहने वाले अप्रवासी भारतीयों का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान यहाँ के आर्थिक विकास में है। भारत से बाहर रहने वाले अप्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में धन भारत में भेजने का कार्य करते हैं जिससे यहाँ की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। अब बात अगर आंकड़ों में करें तो सन 2018 में अप्रवासी भारतीयों द्वारा भारत में करीब 80 बिलियन डालर (Billion Dollar) की रकम प्राप्त हुयी थी। इतनी बड़ी रकम प्राप्त करने के साथ में ही भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया था जो कि इतनी बड़ी रकम अप्रवासी जनसँख्या से प्राप्त कर पाने में सक्षम था।
वर्तमान विश्व कोरोना (Corona) नामक महामारी की चपेट में आ चुका है जिसका प्रभाव अप्रवासी भारतीयों के साथ अन्य देश के अप्रवासियों के ऊपर देखने को मिल रहा है। कई देशों से लोग अब अपने वतन की तरफ रुख कर रहे हैं वहीँ इस महामारी से लड़ने के लिए अप्रवासियों से एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान की भी बात की जा रही है। विभिन्न देशों में कई भारतीय या अन्य देशों के लोग निवास करते हैं जिन्होंने अपनी मेनहत के दम पर एक मुकाम हासिल किया है ऐसे में उनका योगदान इस महामारी से निपटने के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण साधन के रूप में दिखाई दे रहा है।
अमेरिका (America) में भारतीय अप्रवासियों को उनके इस महामारी के साथ लड़ने में दिए गए योगदान को लेकर बड़े पैमाने पर सराहा गया है। अप्रवासी भारतीय गल्फ (Gulf) देशों से लेकर अन्य देशों में इस महामारी के दौरान एक अत्यंत ही अहम् योगदान का निर्वहन कर रहे हैं जिसका उदाहरण वहां की सरकारे दे रही हैं।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में भारतीय इकोनॉमी को पार्श्व में रखकर एक अप्रवासी भारतीय का चित्र है जो उपरोक्त स्थिति को बयाँ कर रहा है। (Prarang)
2. दूसरे चित्र में एक अप्रवासी भारतीय को रिलीफ फण्ड, इनकम टैक्स, प्रवासी देश का टैक्स इतियादी महत्वपूर्ण कारकों को संदर्भित करते हुए बनाया गया है। (Prarang)
3. अंतिम चित्र में इकोनॉमी के साथ अभिवदनित अप्रवासी भारतीय महिला है।(Prarang)
सन्दर्भ :
1. https://www.weforum.org/agenda/2019/09/india-has-the-world-s-biggest-diaspora-here-s-where-its-emigrants-live/
2. https://www.deccanherald.com/business/coronavirus-pandemic-could-fuel-demand-for-diaspora-bonds-says-world-bank-829606.html
3. https://www.thelede.in/write-in/2020/04/01/covid-19-indias-diaspora-challenges
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Non-resident_Indian_and_person_of_Indian_origin
5. https://bit.ly/3d2KUUT
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