सलात या नमाज़ (इस्लामिक प्रथा) इस्लाम धर्म की रीढ़ की हड्डी है, नमाज़ के बिना इस्लाम धर्म की कल्पना करना मुश्किल है। आमतौर पर इस्लाम में प्रतिदिन 5 बार नमाज़ अदा करने का प्रबंध है परंतु त्यौहार के दिन इसका महत्व और भी बढ़ जाता है खासकर दो त्यौहारों में पहला ईद अल-फितर, जो कि रमज़ान के पवित्र महीने में उपवास के बाद इस्लामी महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है, दूसरा ईद अल-अधा, जो हज तीर्थयात्रा के मौसम के मुख्य दिन आराह के दिन के बाद धू अल हिजाह के दसवें दिन मनाया जाता है। इन दोनों त्यौहारों में पारम्परिक रूप से एक विशेष सलात होती है जिसमें बड़ी सभाओं में नमाज़ अदा की जाती है, जिसके लिए लोग खुली जगहों में जमा होते है, जिन्हें ईदगाह या मुस्सला कहा जाता है। यहां एक ईद की साथ नमाज़, जिसे सलात अल-ईद और अलत अल-दायन के रूप में जाना जाता है, अदा की जाती है।
विभिन्न विद्वान ईद की नमाज़ के महत्व की अलग-अलग व्याख्या करते हैं। सलात अल-ईद हनफ़ी विद्वानों के अनुसार वजीब, सुन्नत अल-मुक्कदह के अनुसार मलिकी और शफ़ी के न्यायशास्त्र और हडबली विद्वानों के अनुसार यह फ़र्द हैं। कुछ विद्वानों का कहना है कि यह फ़ार्ड अल-ऐन है और कुछ लोग कहते हैं कि यह फ़ार्ड अल-किफ़या है। सलात अल-ईद या ईद की नमाज़ का समय तब शुरू होता है जब सूर्य क्षितिज से लगभग दो मीटर ऊपर पहुंच जाता है, ईद अल-फ़ितर की प्रार्थना का समय और ईद अल-अधा का समय तय करने के लिए सुन्नत का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। त्यौहारों की प्रार्थना जल्दबाजी में की जाती है, इसलिए ईद-उल-फितर की नमाज से पहले फितरा वितरण की सुविधा दी जाए और ईद अल-अधा की नमाज के बाद कुर्बानी दी जाए। हदीस किताबों में अच्छी तरह से नियमावलियों को प्रस्तुत किया गया है।
आमतौर पर नमाज़ के लिए मस्जिद की स्थापना की जाती है जहाँ पर अजान के बाद नमाज़ अदा की जाती है। परंतु ईदगाह और ईदगाह की नमाज़ का अलग महत्व है। ईदगाह हिंदी शब्द है, जो कि फारसी शब्द عیدگاه और उर्दू शब्द عید گاہ का रूपांतरण है। यह आमतौर पर एक सार्वजनिक स्थान होता है, जो कि शहर के बाहर ईद अल-फितर और ईद अल-अधा की नमाज के लिए आरक्षित होता है, इसका उपयोग वर्ष के अन्य समय में प्रार्थना के लिए नहीं किया जाता है। प्राचीन समय में ईदगाह मदीना कि मस्जिद अल नबवी से 1000 क़दम की दूरी पर बाहरी इलाक़े में स्थित था, जिसमें शरीयत के अनुसार प्रथना की जाती थी। जिसने एक परंपरा का रूप ले लिया, जिसके बाद से ईद के दिन नमाज़ के लिए शहर के बाहरी इलाक़े में ईदगाह का निर्माण किया जाना लगा। रामपुर मे ईदगाह स्थित है जो कि यहां के लोगों द्वारा प्रार्थना के लिए प्रयोग मे लायी जाती है।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में मोरक्को में ईद के दौरान प्रार्थना का दृश्य है। (Pexels)
2. दूसरे चित्र में सलात का दृश्य है। (Youtube)
3. तीसरे चित्र में 12 सिलवटों में एक पैनोरामिक दृश्य है, जिसमें सम्राट बहादुर शाह के जुलूस को दर्शाया गया है, जो सं 1843 का ईद का पर्व है। (Wikimedia)
4. अंतिम चित्र में दिल्ली में ईद की प्रार्थना का चित्र है। (Vimeo)
संदर्भ
1. https://bit.ly/2LA7loj
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Eidgah
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Eid_prayers
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