ज़्यादातर मच्छर विकर्षक और बहुत से कीट विकर्षक सिट्रोनेला (Citronella) और यूकेलिप्टस तेल (Eucalyptus oil) का प्रयोग करते हैं। ये दोनों नैसर्गिक सामग्री से बनते हैं लेकिन आज बहुत से विकर्षक सिर्फ़ कृत्रिम सामग्री से बनते हैं। इन दोनों में क्या फ़र्क़ है यह जानना ज़रूरी है, साथ ही यह जानना भी कि इनका प्राणियों और पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है। कीट विकर्षक जिसे साधारण तौर पर कीटनाशक भी कहते हैं, एक पदार्थ है जिसे त्वचा, कपड़ों और दूसरी सतहों पर लगाने से कीड़े वहाँ न तो उतर पाते और न ही कूदफाँद नहीं करने पाते। विकर्षक कीड़ों के काटने से होने वाले रोगों जैसे मलेरिया, लाइम रोग, डेंगू बुख़ार,प्लेग (plague), रिवर ब्लाइंडनेस (River Blindness) और वेस्ट नील फ़ीवर (West Nile Fever) आदि बीमारियों से बचाव करते हैं। कीट पशु (Pest Animals) सामान्य रूप से पिस्सू, मक्खी और मच्छर बीमारियों के वाहक होते हैं। कुछ कीट विकर्षक कीटनाशक भी होते हैं, लेकिन आमतौर पर ये कीटों को वापस भगा देते हैं जबकि कीटनाशकों की थोड़ी सी मात्रा कीड़ों को समाप्त कर देती है।
कितने कारगर हैं, विकर्षक ?
कृत्रिम विकर्षक प्राकृतिक विकर्षकों के मुक़ाबले ज़्यादा प्रभावी और दीर्घजीवी होते हैं। मच्छरों के काटने से बचने के लिए यू.एस. सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (USCDC) ने DEET, पिकारिडिन (Picaridin), लैमन युकलिप्टस तेल (Lemon Eucalyptus Oil) की संस्तुति की है। 2015 में न्यू मेक्सिको स्टेट विश्वविद्यालय में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध 10 विकर्षकों के मच्छरों पर प्रभाव की जाँच की गई। एडिस ईजिप्टी (Aedes Aegypti) जो ज़ीका वायरस (Zika Virus) का वाहक था, पर एक विकर्षक जिसमें DEET नहीं था, 240 मिनट तक प्रभावी रहा।2004 के एक तुलनात्मक अध्ययन में यह पता चला कि एडिस ईजिप्टी ( Aedes Aegypti) मच्छर के विरुद्ध इथाइल ब्यूटीलेसथाइलअमीनोप्रोपीओनेट (Ethyl Butylacethylaminopropionate), DEET से ज़्यादा प्रभावी थी जबकि जर्मन डॉक्टरों का मानना था कि मलेरिया के लिए DEET ज़्यादा प्रभावी है। फिर भी, कुछ वनस्पति आधारित विकर्षक काफ़ी कारगर साबित हुए हैं। सुगंध तेल (Essential Oil) विकर्षक कम देर असर करते हैं क्योंकि इनका पूरी तरह वाष्पीकरण हो जाता है।सारे कृत्रिम विकर्षक 100 प्रतिशत सुरक्षा पहले 2 घंटों में देते हैं, जबकि प्राकृतिक विकर्षक पहले 30-60 मिनट ही प्रभावी रहते हैं। बार-बार लगाने पर इनका प्रभाव भी बढ़ जाता है। बिल्लियों के लिए बेहद विषैले प्रभाव वाली परमीथ्रिंन (Permethrin) विकर्षक को मच्छरों से सुरक्षा के लिए कपड़ों, सामान या मच्छरदानियों पर लगाया जाता है। 2006 में प्रकाशित घर और बाहर के सर्वेक्षण पर आधारित रिपोर्ट में यह बताया गया है कि एक विकर्षक जिसमें 40 प्रतिशत नीलगिरी तेल था, उस विकर्षक के सामान प्रभावी था जिसमें DEET की उच्च सांद्रता थी। रिसर्च यह भी बताती है कि नीम का तेल मच्छरों के आक्रमण से 12 घंटे सुरक्षा देता है। सिट्रोनेला (Citronella) तेल की मच्छररोधी सुरक्षा प्रमाणित हो चुकी है। इसमें 30-60 मिनट के बाद फिर से विकर्षक लगाना पड़ेगा।
सामान्य कीट विकर्षक
मिथाइल एंथ्रानाइलेट (Methyl Anthranilate)
बेंज़ालडीहाईड Benzaldehyde (मक्खियों के लिए)
डीट DEET (N-N- diethyl- m- toluamide)
डाईमिथाइल कार्बेट (Dimethyl Carbate)
मेटोफ्लूथ्रिन (Metofluthrin)
एक नया ताज़ा विकर्षक जिस पर शोध चल रहा है वह है -SS-220, यह DEET से भी ज़्यादा सुरक्षा देता है।
ट्राईसाइक्लोडीसीनाइल एल्लाइल ईथर (Tricyclodecenyl allyl ether), यह अक्सर कृत्रिम ख़ुशबुओं में पाया जाता है।
प्राकृतिक स्रोत से प्राप्त विकर्षक
अचिलिया अल्पिना (Achillea alpina) (मच्छररोधी)
अल्फा टेरपीनीन Alpha-terpinen (मच्छररोधी)
कलिकारपा अमेरिकाना (Calicarpa americana)
ब्रेडफ्रुट Breadfruit (कीट एवं मच्छररोधी)
केम्फर (Camphor, कपूर) (मच्छररोधी)
सीडर आयल (Cedar oil)
चिन्नमन (Chinnamon) ( मच्छर रोधी)
नीम आयल (Neem oil)
लहसुन (Garlic)
मेंथोल (Peppermint)
प्राकृतिक विकर्षक साइट्रोनेला (Citronella) और यूकेलिप्टस तेल (Eucalyptus Oil)
19 वीं शताब्दी में यह खोजा गया कि सगंध तेल (Essential oils) की ख़ुशबू , जिसे लोग ख़ुशनुमा कहते हैं, वह मच्छरों के लिए एक तीखी गंध है जिसे सूंघते ही वो भाग जाते हैं। इससे सगंध तेलों के मच्छरों और दूसरे कीटों के विरुद्ध विकर्षक बनने का इतिहास दोबारा शुरू हुआ। साइट्रोनेला और यूकेलिप्टस तेल मच्छररोधी विकर्षक आज बहुत प्रचलन में हैं। साइट्रोनेला एक लेमन ग्रास (Lemon Grass) प्रजाति के पौधे की पत्तियों और तने से बनता है। इसे सीधे त्वचा पर लगाते हैं या स्प्रे करके भी प्रयोग कर सकते हैं। इसका रंग पीला होता है, ख़ुशबू घास और पेड़ जैसी होती है।यूकेलिप्टस तेल पूरे विकसित यूकेलिप्टस पेड़ से निकाला जाता है। इसकी कई क़िस्में हैं जो समान प्रभावी हैं। इसे भी त्वचा पर लगा सकते हैं, स्प्रे कर सकते हैं। यह सुनहरे भूरे रंग का तीखी महक वाला तेल होता है।
विकर्षक : सुरक्षा और सावधानियां
1. विकर्षकों के इस्तेमाल के समय बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चों में विकर्षकों के प्रयोग से विपरीत प्रभावों की सम्भावना अधिक होती है।
2. विकर्षकों को बच्चों की पहुँच से दूर रखना चाहिए।
3. बच्चों को खुद विकर्षक लगाने की छूट नहीं देनी चाहिए।
4. बच्चों पर थोड़ी मात्रा में विकर्षक लगाने चाहिए।
5. बच्चों के हाथों पर ना लगाएँ, इससे आँखों में जाने पर विपरीत असर की सम्भावना बढ़ जाती है। विकर्षकों के प्रयोग को कम करने के लिए बच्चों को पूरी आस्तीन की क़मीज़, पूरी पैंट, जूते मोज़े पहनाकर रखा जा सकता है।
6. रसायनों के प्रभाव से बचने के लिए सामान्य तौर पर, गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भ की सुरक्षा के लिए इनसे दूर रहना चाहिए।
कुछ विशेषज्ञ DEET और सनस्क्रीन को साथ में लगाने से मना करते है क्योंकि इससे DEET का असर ज़्यादा गहराई तक चला जाता है। कैनेडियन शोधार्थी सिओचेन गु (Xiaochen Gu), मैनिटोबा वि.वि. के फ़ार्मेसी विभाग के प्रोफ़ेसर के अनुसार DEET 30 मिनट या और देर से लगानी चाहिए। वह यह सुझाव भी देते हैं कि त्वचा पर लोशन लगाने के बजाय स्प्रे का इस्तेमाल करना चाहिए।लोशन को खाल पर रगड़ने से त्वचा के अणुओं पर दबाव पड़ता है। किसी भी विकर्षक के प्रयोग से पहले उस पर लिखे निर्देश ध्यान से पढ़ने चाहिये।कुछ विकर्षक बच्चों के लिए प्रतिबंधित होते हैं।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में कीटों से सुरक्षा प्रदान करने वाला स्प्रे दिखाया गया है।
2. दूसरे चित्र में घरों में आमतौर प्रयोग होने वाली कछुआ छाप या मैट दिख रही है।
3. तीसरे चित्र में सगंध तेल (Essential Oil) दिख रहा है।
4. अंतिम चित्र में कीड़ों को मारने के लिए सीधे उपयोग में लायी जाने वाली स्प्रे है।
सन्दर्भ:
1. http://www.researchinformation.co.uk/pest/2001/B106296B.PDF
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Insect_repellent
3. https://www.goodknight.in/understanding-natural-mosquito-repellents-citronella-eucalyptus-oil/
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