कला के क्षेत्र में विस्थापित होता, मृद्भाण्डों का साम्राज्य

लखनऊ

 16-05-2020 09:30 AM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

मृद्भांड या मिट्टी का बर्तन एक ऐसी वस्तु है जो कि प्राचीन काल से लेकर आज वर्तमान काल तक हमारे साथ है। आज भी सम्पूर्ण भारत में एक बड़ी आबादी ऐसी है जो कि मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करती है। मिट्टी के बर्तन मनुष्य द्वारा बनाए जाने वाले सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण कला के नमूनों में से एक है। भारत में मृद्भांड बनाने की परंपरा की शुरुआत मध्य पाषाण काल से शुरू हुयी थी। भारत में सबसे प्राचीन मृद्भांड के अवशेष लहुरदेवा नामक पुरास्थल से प्राप्त होते हैं, यहाँ से प्राप्त मृद्भांड की तिथि 7,000 ईसा पूर्व की आंकी गयी है। तब से लेकर लौह युग तक मिट्टी की कला में अनेकों विकास आये।

सिन्धु सभ्यता से होते हुए मौर्य, कुषाण, शुंग और गुप्त काल में मिट्टी के बर्तनों के साथ ही साथ मिट्टी के खिलौनों का भी निर्माण किया गया। रामपुर के समीप ही बसे अहिक्षेत्र नामक पुरास्थल से मिट्टी के खिलौने बड़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं। रामपुर रजा पुस्तकालय के संग्रहालय में भी मिट्टी के बर्तनों और खिलौनों को रखा गया है जो की कला के इन अद्भुत नमूनों को प्रस्तुत करने का कार्य कर रही हैं। भारत में विश्व की अन्य सभ्यताओं से भी एक लम्बा रिश्ता रहा है जिसका उदाहरण यहाँ की मृद्भांड शैली पर देखने को मिलता है। चीनी मिट्टी के बर्तन (Porcelain) को हम इसी श्रेणी में डाल सकते हैं।

प्राचीन भारत में मिट्टी के मुखौटों आदि को भी बनाया जाता था जिसका उदाहरण हमें शुंग और गुप्त काल में दिखाई देने लगता है। गुप्त काल में मंदिर बनाने के लिए भी पके ईंटों और मूर्तियों का निर्माण किया जाता था, कानपुर के भीतरगाँव से इसके अवशेष हमें मिलते हैं। अहिक्षत्र से मिली गंगा और यमुना की मिट्टी की मूर्तियाँ उस समय के कला को प्रदर्शित करने का कार्य कर रही हैं।

आज वर्तमान समय में मिट्टी के कला के प्रतिमान प्रयोग के साथ ही साथ शौक का एक विषय बन चुके हैं। आज यह एक व्यवसाय के रूप में जन्म ले चुका है जो एक बहुत ही बड़े स्तर पर लोगों और कलाकारों को रोजगार मुहैया कराने का साधन बन चुका है। मिट्टी के बर्तन बनाने की कला अब कुम्हारों तक ही सीमित नहीं रही है बल्कि यह बड़े बड़े कलाकेन्द्रों तक पहुँच चुकी है। स्टूडियो पॉटरी (studio pottery) एक ऐसा संस्थान है जहाँ पर शौकिया कलाकारों या कारीगरों द्वारा छोटे समूहों या खुद अकेले मिट्टी के बर्तन आदि बनाए जाते हैं।

इस प्रकार के संस्थानों में मुख्य रूप से खाने और खाना बनाने आदि के ही मिट्टी के बर्तन बनाये जाते हैं परन्तु इसके अलावा यहाँ पर सजावटी सामान भी बनाए जाते हैं। यह प्रचलन सन 1980 के बाद से एक बड़े पैमाने पर प्रसारित होना शुरू हुआ और आज एक बहुत बड़े स्तर पर यह विभिन्न देशों में विद्यमान है। बीसवीं सदी के बाद से चीनी मिट्टी के बर्तनों की कला पूरी दुनिया में एक बेहद ही मूल्यवान वस्तु के रूप में निखर कर सामने आई। चीनी मिट्टी के बर्तन रोजाना प्रयोग में लायी जाने वाले बर्तनों के साथ ही साथ सजावटी सामानों के रूप में भी दुनिया भर में इकत्रित की जाती है।

आज मिट्टी के बर्तनों की लोकप्रियता की वानगी ही है जो 100 फीट सड़क इंदिरानगर में स्थित मनोरा गैलरी में विभिन्न मिट्टी के बनाए कला के नमूनों पर प्रदर्शिनी का आयोजन भी किया गया है। इस प्रदर्शिनी में विभिन्न कलाकारों द्वारा बनाए गए मिट्टी की कला के प्रतिमानों को जगह प्रदान की गयी। जैसे विभिन्न धातुओं के दाम आसमान छू रहे हैं ऐसे में मिट्टी के बर्तन रोजगार को एक नया आयाम प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा लोगों का मिट्टी की कला के प्रति हो रहा झुकाव आज इस क्षेत्र में बरकत लाने का कार्य कर रहा है।
भारत में कार्य कर रहे कुम्हारों के लिए यह एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण समय है जब वे अपनी मिट्टी की कलाओं और बर्तनों को एक बड़े स्तर पर ले जाने का कार्य कर सकते हैं।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में आधुनिक सिरेमिक कलाकारी को मुख़ातिब किया गया है।
2. दूसरे चित्र में रामपुर की शाही मुहर (चिन्ह) के साथ तैयार की गयी सिरेमिक प्लेट दिखाए गए हैं।
3. तीसरे चित्र में रामपुर के स्थानीय कुम्हारों द्वारा मृद्भाण्डों की बिक्री को दृश्यांवित किया गया है।
4. चौथे चित्र में एक कलाकार द्वारा तैयार मृद्भाण्डों की प्रस्तुति है।
5. पांचवे चित्र में रामपुर में तैयार मिटटी के घड़े और खिलोने दिखाये गए हैं।
6. अन्तिम चित्र में चीनी मिटटी से तैयार आधुनिक और अलंकृत मृदभांड हैं।
सन्दर्भ :
1. https://bit.ly/3dPLm8R
2. https://bit.ly/2T2hf65
3. https://bit.ly/2WDaSZn
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Studio_pottery



RECENT POST

  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM


  • जानिए, क्या हैं वो खास बातें जो विदेशी शिक्षा को बनाती हैं इतना आकर्षक ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     11-11-2024 09:38 AM


  • आइए,आनंद लें, फ़्लेमेंको नृत्य कला से संबंधित कुछ चलचित्रों का
    द्रिश्य 2- अभिनय कला

     10-11-2024 09:36 AM


  • हमारे जीवन में मिठास घोलने वाली चीनी की अधिक मात्रा में सेवन के हैं कई दुष्प्रभाव
    साग-सब्जियाँ

     09-11-2024 09:32 AM


  • पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान और स्थानीय समुदायों को रोज़गार प्रदान करती है सामाजिक वानिकी
    जंगल

     08-11-2024 09:28 AM


  • राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस: जानें प्रिसिशन ऑन्कोलॉजी नामक कैंसर उपचार के बारे में
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     07-11-2024 09:26 AM


  • परमाणु उर्जा के उत्पादन और अंतरिक्ष की खोज को आसान बना देगा नेपच्यूनियम
    खनिज

     06-11-2024 09:17 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id