भारत में पक्षियों की कई प्रजातियों में देखी जा रही है गिरावट

लखनऊ

 15-05-2020 02:45 PM
पंछीयाँ

भारत लगभग 1200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों का घर है, जिनमें से 42 भारतीय उपमहाद्वीप में स्थानिक हैं। वहीं पक्षियों की इन प्रजातियों में से लगभग 400 प्रजातियाँ लखनऊ में पाई जा सकती हैं, लखनऊ चिड़ियाघर में ही पक्षियों की 298 प्रजातियाँ हैं। परंतु पक्षियों की आबादी के संदर्भ में स्टेट ऑफ़ इंडियाज बर्ड्स (State of India’s Birds) के पहले बड़े विवरण के अनुसार, भारत में इन पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियां क्षीण हो रही हैं। पक्षियों के शिकार और जलपक्षी के आवास विनाश के कारण इन्हें विशेष रूप से आघात का सामना करना पड़ रहा है। स्टेट ऑफ़ इंडिया बर्ड्स का विवरण भारत में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की स्थिति का मूल्यांकन करने की सर्वप्रथम कोशिश है। ऐसा करना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि पक्षी पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं, जो परागण, बीज फैलाव, मूंगा भित्तियों को जीवित रखने और यहां तक कि कीट नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 17 फरवरी को जारी की गई स्टेट ऑफ़ इंडिया बर्ड्स का विवरण, विश्व भर में पक्षियों के देखे जाने के ऑनलाइन भंडार 'eBird' में दर्ज किए गए पक्षी प्रेमियों के 10 मिलियन से अधिक अवलोकनों पर निर्भर करती है।

वहीं 10 सरकारी और गैर-लाभकारी अनुसंधान और संरक्षण समूहों के शोधकर्ताओं ने 261 पक्षी प्रजातियों के लिए दीर्घकालिक रुझानों का विश्लेषण करने के लिए eBird के विवरण का उपयोग किया है। जिससे पता चलता है कि 1993 के बाद से देखी गई घटनाओं की आवृत्ति में आनुपातिक परिवर्तन हुआ था। जबकि उन्होंने पाया कि 2000 के बाद से उन प्रजातियों में से आधे से अधिक में गिरावट आई है। शोधकर्ताओं ने पक्षियों की बहुतायत और श्रेणी में गिरावट और प्रकृति की लाल सूची के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ पर उनकी स्थिति के आधार पर 101 प्रजातियों को उच्च संरक्षण चिंतन के रूप में और अन्य 319 प्रजातियों को मध्यम संरक्षण चिंतन के रूप में वर्गीकृत किया है।

चील और हैरियर बाज की प्रजातियों सहित कई रैप्टर (शिकारी पक्षी) की आबादी कम हो गई है, लेकिन गिद्ध सबसे गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। भारत में पाए जाने वाले गिद्धों की नौ प्रजातियों में से सात की संख्या 1990 के दशक के बाद से घट रही है, जिसका मुख्य कारण है पशुधन अनुत्तेजक दवा ‘डाइक्लोफेनाक’ जो उनके लिए जहर के समान है। वहीं रैप्टर की आबादी में गिरावट भी बहुत चिंताजनक है। साथ ही टिटहरी, मुर्गाबी और प्लोवर्स की प्रजातियों सहित प्रवासी शोरबर्ड की संख्या में भी तेजी से गिरावट आई है, हालांकि विवरण में पाया गया कि कई निवासी प्रजातियां बतख, गीज़ और कुररी में भी तेज गिरावट देखी गई है।

जहां एक तरफ पक्षियों की कई प्रजातियाँ घट रही है, दूसरी ओर हाउस स्पैरो जैसी प्रजातियां पहले की तुलना में बेहतर रूप से बढ़ रही हैं। भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर की प्रजाति में भी वृद्धि को देखा जा सकता है। आम रूप से पाई जाने वाली घरेलु गौरैया की देश भर में आबादी स्थिर हो गई है, लेकिन अभी भी बेंगलुरु, दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में इनकी आबादी में गिरावट को देखा जा सकता है। वहीं लगभग 90% आबादी और श्रेणी खो जाने के बाद संरक्षण के माध्यम से भारत में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को भी विलुप्त होने के कगार से वापस लाया गया।

विवरण द्वारा बताई गई अग्रेषित कार्रवाई में स्टेट ऑफ इंडिया बर्ड्स का उपयोग करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा प्रकृति के संरक्षण के लिए प्रकाशित लुप्तप्राय प्रजातियों की लाल सूची में एक अद्यतन शामिल है, जिसमें मौजूद विवरण द्वारा अंतराल को दूर करने पर विशेष जोर देने के साथ वैज्ञानिकों और नागरिकों द्वारा सहयोगात्मक शोध किया गया है। यदि देखा जाए तो पक्षियों की संख्या में आने वाली गिरावट के कारणों (ज्ञात कारणों के अलावा जैसे निवास स्थान का नुकसान और विखंडन) के लिए लक्षित अनुसंधान होना महत्वपूर्ण है। साथ ही सरकार को इस तरह के शोध कार्य के वित्तपोषण के संरक्षण में अपने प्रयासों को बढ़ाना चाहिए।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में दाना खाती हुई गौरैया दिखाई दे रही है।
2. दूसरे चित्र में हरियर बाज दिखाया गया है।
3. तीसरे चित्र में गिद्ध को दिखाया गया है।
4. अंतिम चित्र में द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड दिख रही है।
संदर्भ :-
1. https://www.nature.com/articles/d41586-020-00498-3
2. https://bit.ly/3boJAKf
3. https://bit.ly/3fQgZRx



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id