जलीय जीवों का संसार अत्यंत ही खूबसूरत और मनोरम होता है, इसमें अनेकों प्रकार की मछलियाँ, व अन्य जीव आते हैं। जैसा कि विदित है हम मनुष्य जल में निवास नहीं करते तो उसने संग्रहालयों की तरह ही मछली घरों का निर्माण कराया है। मछली घरों में कई प्रकार की मछलियाँ रखी जाती हैं जिनको देखने अलग-अलग स्थानों से लोग आते हैं।
लखनऊ में स्थित गंगा मछलीघर भारत के सबसे बड़े मछलीघरों में से एक है। इस मछलीघर के निर्माण के पीछे यह उद्देश्य था कि लोगों को इसके माध्यम से जलीय जीवन के विषय में जानकारी देना तथा जलीय जीवन के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना। मछलीघर या एक्वेरियम (aquarium) एक ऐसा स्थान होता है जिसमें एक स्थान पारदर्शी होता है जिसके सहारे अन्दर रखे जीव को बाहर से देखा जा सके। इस प्रकार के स्थान का प्रयोग मछली, जलीय शरीसृप तथा जलीय पौधे आदि रखने के लिए किया जाता है। एक्वेरियम शब्द का जनक फिलिप हेनरी गोसे (Philip Henry Gosse) को माना गया है। यह शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है पानी से सम्बंधित एक स्थान। एक्वेरियम के सिद्धांत का प्रतिपादन सन 1850 में रसायनशास्त्री रोबर्ट वारिंगटन (Robert Warington) द्वारा किया गया था तथा उन्होंने ही पानी के अन्दर पौधे रखने से जीवों को ऑक्सीजन (Oxygen) की प्रचुरता की बात रखी थी।
एक्वेरियम जगत को प्रसिद्धि दिलाने का कार्य गोसे के द्वारा किया गया था जब उन्होंने सन 1853 में विक्टोरियन (Victorian) लन्दन (London) में आम जन मानस के लिए पहले एक्वेरियम का निर्माण लन्दन चिड़ियाघर में किया तथा सन 1854 में द एक्वेरियम: एन एक्वेरियम ऑफ़ द डीप सी (The Aquarium: an aquarium of the deep sea) नामक पुस्तिका का प्रकाशन किया। एक्वेरियम का इतिहास रोमनों तक जाता है जिसमे यह कहा गया है की रोमनों (Romans) ने संगमरमर और कांच की टंकियां बनायी थी जिसमे समुद्री मछलियाँ रखी जाती थी लेकिन इसके सत्यता पर अभी भी प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। हांलाकि जो सत्यापित इतिहास है उसके अनुसार सन 1369 में चीन (China) के होंग्वु (Hongwu) सम्राट ने चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारखाने की स्थापना की जिसमे बड़े आकार के टबनुमा (Tub) बर्तनों का निर्माण किया जाता था जिसमे सुनहरी मछलियों (Goldfish) को रखा जाता था। इसी के बाद धीरे-धीरे मछलीघरों की तकनीकी में विकास हुआ और आज यह वर्तमान स्थिति में पहुँच गया है। मछलीपालन एक शौक का भी विषय है आज वर्तमान समय में बड़े स्तर पर लोग अपने घरों, दफ्तरों में एक्वेरियम रखते हैं।
एक्वेरियम वर्तमान जगत में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण व्यवसाय के रूप में भी निखर कर सामने आया है। यह देश की सामाजिक और आर्थिक विकास में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहा है। यह एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण व्यवसाय है जो कि बहुत ही बड़े संख्या में रोजगार प्रदान करने के अवसर प्रदान करता है। यह एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण सोच का विषय है कि यह देश के उस तबके को आजीविका का श्रोत मुहैया कराती है जो कि अत्यंत ही पिछड़े वर्ग में आते हैं। यह व्यवसाय 14.49 मिलियन (Million) से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। भारत में यदि बात की जाए तो यह विश्व का मात्र एक प्रतिशत का हिस्सेदार है और वहीँ सजावटी मछली के उत्पाद में यह 158.23 लाख रूपए का राजस्व प्रदान करता है जो कि दुनिया का केवल 0.008 फीसद है।
जिस प्रकार से भारत में एक्वेरियम की लोकप्रियता बढ़ रही है उसके अनुसार यह जरूर कहा जा सकता है कि भविष्य में यह क्षेत्र एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण रोजगार के साधन के रूप में निकल कर सामने आएगा। वर्तमान विश्व कोरोना (Corona) नामक महामारी के कारण पूर्ण रूप से रुक सा गया है तथा इस कारण बड़े से बड़े उद्योग ठप्प से हो गए हैं।
एक्वेरियम के व्यवसाय पर भी इसके असर को देखा जा सकता है। अभी हाल ही में एक दवाई की चर्चा बड़े पैमाने पर की गयी जिसके बारे में माना जा रहा था कि यह कोरोना के इलाज में कारगर साबित होगी, इस दवाई का नाम है क्लोरोक्वीन फास्फेट (Chloroquine phosphate)। इस दवाई के प्रयोग को लेकर हाल ही में चेतावनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) द्वारा जारी की गयी। यह दवाई मछलीघर के सफाई के लिए प्रयोग में लायी जाती है कारण यह है कि यह दवाई मछलीघर में उपजे शैवाल को मार देती है। यह दवाई ऑनलाइन (Online) बाजार में खरीदने के लिए उपलब्ध है। इस दवाई के सेवन से जान माल का नुकसान हो चुका है, इसको खाते ही 30 मिनट के अन्दर ही इसके साइड इफ़ेक्ट (Side effect) दिखाई देने लग जाते हैं। इस दवाई को लेकर यह अफवाह है कि यह कोरोना के इलाज में प्रयोग में लायी जा सकती है। "फार्मास्यूटिकल क्लोरोक्वीन फॉस्फेट और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन सल्फेट ("Pharmaceutical chloroquine phosphate and hydroxychloroquine sulfate) दवाइयाँ जो विशेष अवसरों जैसे मलेरिया और ल्यूपस (malaria, lupus) आदि के इलाज के लिए ही एफ डी ए (FDA) द्वारा प्रमाणिक किया गया है परन्तु कोरोना के सम्बन्ध में यह अभी तक प्रमाणिक नहीं है।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में लखनऊ स्थित गंगा एक्वेरियम का प्रवेश द्वार दिख रहा है।
2. दूसरे चित्र में घर में रखे जाने वाला सजावटी एक्वेरियम दिखाई दे रहा है।
3. तीसरे चित्र में गंगा एक्वेरियम के अंदर का दृश्य है।
सन्दर्भ :
1. https://www.nbfgr.res.in/Ganga_Aquarium/index.html
2. https://bit.ly/3dHgcQX
3. https://bit.ly/35VsG4O
4. https://bit.ly/2Wwv2US
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Aquarium
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