पांडा एक ऐसा जीव है जिसे देखते ही किसी का भी मन ललायित हो जाए, सफ़ेद काले रंग में ये अत्यंत ही मनोरम प्रतीत होते हैं। आज दुनिया भर में इस जीव को देखने वालों की एक लम्बी फेहरिश्त है और हो भी क्यूँ ना? आखिर है ही यह जीव इतना खूबसूरत।
दुनिया भर के कुछ अत्यंत ही महत्वपूर्ण प्राणीउद्यानों में पांडा को रखा गया है जहाँ पर लोग इसे देखने जाया करते हैं। लखनऊ का नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान जिसे की पहले प्रिंस ऑफ़ वेल्स जूलॉजिकल गार्डन (Prince of Wales zoological Garden) नाम से जाना जाता था आज भारत के सबसे महत्वपूर्ण चिड़ियाघरों/प्राणीउद्यानों में से एक है। यह प्राणीउद्यान 463 प्रजातियों के स्तनधारियों का घर है जिसमे सफ़ेद बाघ से लेकर दरियाई घोडा तक शामिल हैं। लेकिन इस प्राणीउद्यान में कोई पांडा उपलब्ध नहीं हैं। लखनऊ में पांडा उपलब्ध नहीं हैं इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण है यहाँ का वातावरण, ये जीव मात्र चीन में पाय जाते हैं क्यूंकि चीन का वातावरण इनके लिए अत्यंत ही सटीक है।
पांडा एक अत्यंत ही दुर्लभ जीव है और यही कारण है की सन 1961 में इसे डब्लू डब्लू एफ (WWF) के लोगो (LOGO) पर अंकित किया गया। इस जीव को चीन के राष्ट्रीय धरोहर की संज्ञा भी प्राप्त है। चीन के दक्षिण पश्चिमी भाग के ऊंचे पहाड़ों के तापमान में ही पांडा निवास करता हैं जहाँ पर वह पूर्ण रूप से बांस के खाद्य पर पूर्ण रूप से आश्रित होता है। ये जीव करीब 26 से 28 पाउंड (Pound) के करीब बांस खाते हैं। जब पांडा का बच्चा पैदा होता है तब यह अत्यंत ही छोटा होता है, जो की अपने माँ के आकार का 900वां भाग है। मादा पांडा करीब 200 पाउंड और नर पांडा करीब 300 पाउंड वजन तक बढ़ सकता है। पांडा अत्यंत ही कुशल पेड़ पर चढ़ने वाले जीव होते हैं। आज पुरे विश्व में इनकी आबादी लगभग 1,864 है तथा ये विलुप्त प्राय प्राणियों की श्रृंखला में आते हैं। इस संख्या के अलावा करीब 300 अन्य पांडा हैं जो कि दुनिया भर के प्राणी उद्यानों में मौजूद हैं। इनका सफ़ेद और काला रंग इनको घने जंगलों में छलावा प्रदान करने का कार्य करता है। इनका आकार करीब 4 से 5 फीट तक का हो जाता है। सैन डिआगो जू (San Diego Zoo) के अनुसार इनका आकार अमेरिकी काले भालू के जितना बड़ा होता है।
विशाल पांडा एकांत प्रिय जीव होता है तथा यह झुण्ड में रहना पसंद नहीं करता है। जब कभी एक पांडा दूसरे पांडा के समीप आता है तो उन दोनों के मध्य द्वन्द छिड़ जाता है जो तभी ख़त्म होता है जब तक दोनों पांडा में से कोई एक हार ना मान ले। पांडा केवल मिलन काल में ही दूसरे पांडा से मिलने की कोशिश करता है। पांडा का बच्चा पैदा होने के उपरान्त करीब 50 से 60 दिन तक अंधा रहता है और वह करीब 10 सप्ताह का होने के बाद खिसक के चलना शुरू करता है। पांडा एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण जीव हैं इनका पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने में अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान होता है। इनके संरक्षण से कई अन्य जीवों का भी संरक्षण आप ही हो जाता है जो उसी पारिस्थितिकी में जीवन यापन करते हैं। चीन के लिए पांडा एक राजनितिक हथियार के रूप में भी कार्य करता है। पांडा डिप्लोमेसी (Panda Diplomacy) एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण बिंदु है जो कि इस जीव के साथ जोड़ के देखा जाता है, यह जीव एक राजनयिक की भूमिका का भी निर्वहन करता है। पांडा कूटनीति के तहत चीन इन बड़े-बड़े पांडा को कुटनीतिक उपहार के रूप में अन्य देशों को देने का कार्य करता है।
इस उपहार का इतिहास संग वंश (Tang Dynasty) तक जाता है, जब वहां के राजा वू ज़ेटीयन (Wu Zetian) ने पांडा के एक जोड़े को जापान (Japan) के राजा टेनमू (Tenmu) को सन 685 में भेंट दिया था। चीन की राजनीति में पांडा का इतना महत्व है कि वहां की पीपल रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (People’s republic of China) ने 1950 में पांडा कूटनीति का सहारा लिया था। 1957 से लेकर 83 तक कुल 24 पांडा को अन्य देशों को उपहार स्वरुप दिया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य था उन देशों को दोस्त बनाने का। इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि पांडा किस प्रकार से चीन के पारिस्थितिकी ही नहीं बल्कि राजनैतिक तंत्र से भी जुड़ा हुआ जीव है।
चित्र (सन्दर्भ):
1. पहले चित्र में एक पांडा के द्वारा बांस और पत्ते को काने की कोशिश का मनोरम दृस्य दिखाया गया है।
2. दूसरे चित्र में WWF का लोगो दिखाया गया है।
3. तीसरे चित्र में पांडा के बच्चे और उसकी माँ को दिखाया गया है।
4. चौथे चित्र में पांडा की एक सुन्दर जोड़ी को दिखाया गया है।
सन्दर्भ :
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Panda_diplomacy
2. https://www.worldwildlife.org/species/giant-panda
3. https://www.livescience.com/27335-giant-pandas.html
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