जटायु की बहादुरी को चिह्नित करती है जटायुपरा पहाड़ियों पर स्थित जटायु मूर्तिकला

लखनऊ

 20-04-2020 10:45 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

हमारा देश सांस्कृतिक रूप से अत्यंत समृद्ध है, और यही कारण है कि प्राचीन काल में जो भी परंपराए या मान्यताएं बनायी गयी, उन्हें आज तक निभाया जा रहा है। इन्हीं पौराणिक कथाओं या मान्यताओं से प्रेरित होकर भारतीय लोकगीत, नृत्य, नाटक और अन्य कला के रूप बनाये गए हैं, जो भारत की सांस्कृतिक कल्पना को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुराने समय में कलाकार इन कथाओं के प्रसंगों को अपनी कला में सजाकर इसे स्थानीय रूप से लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते थे। किन्तु 1980 के दशक से टेलीविजन मीडिया (Television media) के आगमन के साथ इनके मौखिक मंचन में गिरावट आने लगी तथा टेलीविजन के माध्यम से इन लोककथाओं का प्रस्तुतीकरण किया जाने लगा। रामायण एक बहुत ही प्रसिद्ध हिन्दू महाकाव्य है तथा इसके विभिन्न प्रसंगों का प्रस्तुतीकरण भी विभिन्न माध्यमों से किया गया है। इसी के एक प्रसंग का चित्रण रवि वर्मा द्वारा 1895 में किया गया था जोकि रामायण के पात्रों जटायु और रावण के बीच हुए युद्ध को दर्शाता है। इस चित्र में रावण द्वारा जटायु का पंख काटने पर सीता को भयभीत होता दिखाया गया है। हिंदू महाकाव्य रामायण में, जटायु एक दिव्य पक्षी और अरुणा का छोटा पुत्र है जिसका स्वरूप एक गिद्ध जैसा है। वह भगवान राम के पिता दशरथ का पुराना दोस्त था। जब जटायु ने रावण को सीता का अपहरण करते देखा, तो उन्होंने रावण का सामना किया और सीता को बचाने की कोशिश की। क्योंकि वे बहुत बूढ़े हो गए थे इसलिए बहुत संघर्ष करने पर भी लंका नरेश को हरा न सके।

रावण ने जटायु पर हमला किया और अपनी तलवार से उनका पंख काट दिया। पूरे शरीर पर घाव हो जाने के बाद भी जटायु ने लड़ना जारी रखा और अंततः जमीन पर नीचे गिर गया। रावण द्वारा सीता का अपहरण कर साथ ले जाने की सूचना भगवान राम को देने के लिए जटायु ने अपने प्राण नहीं छोड़े। जब भगवान राम और लक्ष्मण सीता माता की खोज कर रहे थे तब वे उस स्थान पर पहुँचे जहाँ जटायु धराशायी लेटे हुए थे। जटायु ने उन्हें रावण के साथ हुई लड़ाई और उस दिशा के बारे में बताया जिस ओर रावण अग्रसर था। जब जटायु की मृत्यु हुई, तो राम ने जटायु का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने जमीन पर एक तीर मारा और सात पवित्र नदियों को उत्पन्न कर जटायु की आत्मा को शुद्ध किया। राजा रवि वर्मा द्वारा बनायी गयी यह मूल पेंटिंग (painting) श्री चित्रा आर्ट गैलरी (Sri Chitra Art Gallery), तिरुवनंतपुरम, केरल में स्थित है। इस पक्षी की बहादुरी को चिह्नित करने के लिए केरल में जटायुपरा पहाड़ियों, पर इसकी एक प्रतिमा भी बनाई गई है, जोकि दुनिया की सबसे बड़ी पक्षी की मूर्ति है। केरल के कोल्लम जिले के चदायमंगलम (Chadayamangalam) गाँव के लगभग हर निवासी इस पहाड़ी से परिचित है। मान्यता यह है कि इस गांव के पास एक चट्टानी शिखर था जिस पर रावण से लड़ते हुए रामायण के पौराणिक पात्र जटायु गिर गए थे। इसके बाद, इस स्थान को 'जटायुमंगलम' के नाम से जाना जाने लगा। अनेक वर्षों बाद यह चदायमंगलम बन गया और शिखर जटायुपरा (जटायु चट्टान) बन गयी। जटायु को समर्पित एक जटायु पृथ्वी का केंद्र (Jatayu Earth’s Centre) भी बनाया गया है जोकि त्रिवेंद्रम से लगभग आधे घंटे की दूरी पर स्थित है। यह केंद्र पौराणिकता और आधुनिकता का अनोखा सम्मिलन है। जटायु पृथ्वी का केंद्र, पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया पर्यटन स्थल है। इस स्थल से पक्षी की मूर्ति को कई जगहों से देखा जा सकता है। यहां पहुँचने पर आपको एक टिकट खरीदना पड़ता है, जिसके बदले आपको एक कलाईबैंड (wristband) दिया जाता है जिसके जरिए आप मुख्य केंद्र तक पहुंच सकते हैं। सुरक्षा जांच के बाद, आपको केबल कारों (cable cars) की मदद से मूर्तिकला तक ले जाया जाता है।

जटायु की यह मूर्तिकला 1000 फीट (feet) की ऊंचाई पर बनाई गई है जो 200 फीट लंबी, 150 फीट चौड़ी और 70 फीट ऊंची है तथा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness Book of World Records) में दर्ज की गई है। मूर्तिकला के साथ-साथ, क्षेत्र को साहसिक खेल प्रेमियों के लिए भी विकसित किया गया है। केबल कार की सवारी और मूर्तिकला की यात्रा की लागत कर सहित प्रति व्यक्ति 450 रुपये है, जबकि साहसिक केंद्रों को 10 और उससे अधिक लोगों के समूहों के लिए खोला गया है, जिसकी लागत प्रति व्यक्ति 3500 रुपये है। जटायु ऐसा पहला पौराणिक पक्षी है जिसने एक महिला का सम्मान बचाने के लिए अपना जीवन लगा दिया। इससे संकेत लेते हुए मूर्तिकला को महिला सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में समर्पित किया है। हालांकि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित है, लेकिन इस परियोजना की परिकल्पना द स्टैचू ऑफ लिबर्टी (The Statue of Liberty) की तर्ज पर एक स्मारक के रूप में भी की गई है। वर्तमान समय में कोरोना के प्रभाव के कारण हर कोई घर के अंदर है। इस दौरान दूरदर्शन ने भारतीय इतिहास के सबसे लोकप्रिय शो रामायण और महाभारत का प्रसारण किया, जिसकी वजह से दूरदर्शन पिछले कुछ हफ़्तों से भारत में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला चैनल बना। इन दोनों प्रसारणों ने दर्शकों को चैनल से जोड़े रखा, जिसके परिणामस्वरूप दर्शकों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। इस अभूतपूर्व वृद्धि से यह स्पष्ट होता है कि, इन पौराणिक कथाओं ने आज भी दर्शकों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी हुई है।

चित्र (सन्दर्भ):
1.
जटायु नेचर पार्क, केरल का दृश्य, Tripadvisor
2. राजा रवि वर्मा द्वारा बनाया गया जटायु- रावण युद्ध का दृश्य ,Wikimedia Commons
3. जटायु नेचर पार्क, केरल का दृश्य, Youtube
संदर्भ:
1.
https://bit.ly/3eAAay9
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Jatayu
3. https://bit.ly/34TquKz
4. https://munniofalltrades.com/2018/12/jatayu-earths-centre-review.html
5. https://bit.ly/2xGAKcU



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