वर्तमान समय में वायु प्रदूषण एक अहम मुद्दा बना हुआ है। लखनऊ में जहां वायु प्रदूषण चिंता का विषय है, वहीं यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UP Power Corporation Limited) को भी जनरेटर (generator) के विकल्प के साथ आने के लिए कहा गया है। फरवरी 2020 में प्रकाशित एक ग्रीनपीस रिपोर्ट (Greenpeace Report) के अनुसार, खराब हवा के कारण भारत में सालाना 669,000 मौतें समय से पहले ही हो जाती हैं। विडंबना यह है कि कोरोना विषाणु के वक्र को समतल करने के लिए देश को बंद कर दिया है ताकि चिकित्सा नेटवर्क (network ) प्रभावित न हों। इसका लक्ष्य अनावश्यक, समय से पहले होने वाली मौतों से बचना है। जैसे-जैसे वक्र समतल होता जाएगा वैसे जीवन सुरक्षित होता जाएगा तथा भारत में वे लोग अकाल मृत्यु के पूर्वनिर्धारित जीवन में लौट आएंगे। इन दिनों PM2.5 (2.5 कण प्रदूषक की एक श्रेणी को संदर्भित करता है जो 2.5 माइक्रोन या आकार में छोटा होता है) में पिछले वर्ष की तुलना में 50% की गिरावट आई है, जो यह इंगित करती है कि हवा सांस लेने योग्य है। लेकिन 50% की गिरावट आने के बाद भी यह 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (micrograms per cubic meter) थी, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन (guideline) से चार गुना अधिक थी। स्वाभाविक रूप से, यह बड़ा प्रश्न है कि आखिर वायु अभी भी इतनी प्रदूषित क्यों है?
जबकि कारें सड़कों से दूर हैं, उड़ानें ग्राउंडेड (grounded) हैं, और सभी तरह के निर्माण कार्य भी बंद पड़े है। इस प्रश्न का उत्तर हमारे बैकयार्ड (backyard) में रखा हुआ डीजल जनरेटर (diesel generator) हो सकता है। जनरेटर आम जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। बिजली की कटौती होने पर यह एक बैक-अप (back-up) योजना के तहत उपयोग में आते हैं। बैक-अप के रूप में प्रायः दो तरह के विकल्प प्रयोग किये जाते हैं पहला गैस-संचालित जनरेटर और दूसरा एसी पावर इन्वर्टर (AC power inverter)। अधिकांश गैस-संचालित जनरेटर कुशल बिजली की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं होते। यदि इनकी दक्षता को देखा जाए तो एक शुद्ध साइन वेव पॉवर इन्वर्टर (pure sine wave power inverter) सही विकल्प होता है। जनरेटर प्रायः गैसोलीन (gasoline) से बिजली परिवर्तित करते हैं। गैसोलीन को केवल एक महीने के लिए बिना किसी योजक (additive) के संग्रहीत किया जा सकता है, इसलिए बैकअप के रूप में इसका उपयोग करने के लिए ताजा गैसोलीन की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार जनरेटर प्रायः अधिक शोर भी पैदा करते हैं। दिल्ली में विज्ञान और पर्यावरण केंद्र के अनुसार, गुरुग्राम जैसे शहरों में लगभग 10,000 डीजल जनरेटर हैं। बिजली की आपूर्ति के लिए एक डीजल जनरेटर सेट (set) दुनिया में एक सामाजिक दूरी की रणनीति की तरह है।
ऐसे क्षेत्र जहां बिजली की कटौती की जाती है वहां एक खिंचाव पर डीजल जनरेटर 12 घंटे तक चलता है। और इसलिए इसे कई घरों की आवश्यकता के रूप में देखा जाता है। जो प्रदूषण उत्पन्न कर मृत्यु दर को भी बढ़ाने का एक कारण बनता है। कई शहरों में, गर्मियां आउटडोर कॉन्सर्ट (outdoor concert) और सड़को पर लगने वाले मेलों से जुड़ी होती हैं। इनमें वे प्रदूषण फैलाने वाले जनरेटरों का भी उपयोग करते हैं जो उन्हें शक्ति या ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस प्रकार की अधिकांश गतिविधियां मोबाइल जनरेटर (mobile generators) का उपयोग करती हैं, जिनमें से कई बिजली बनाने के लिए डीजल ईंधन जलाते हैं। जलता हुआ डीजल वायु प्रदूषकों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड (nitrogen oxide) का निर्माण करता है। डीजल जनरेटर बिजली के अन्य स्रोतों की तुलना में प्रदूषण पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं। मूल रूप से, वे प्रति यूनिट (unit) ऊर्जा प्रदूषित करते हैं। जनरेटरों द्वारा उत्सर्जित नाइट्रोजन के ऑक्साइड, सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अन्य यौगिकों के साथ मिलकर ओजोन बनाते हैं, जो अस्थमा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को उत्पन्न करते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार सौर रूफ टॉप (Solar Roof Top, S.R.T.) अत्यधिक प्रदूषणकारी डीजल जनरेटर सेटों के लिए एक स्वच्छ और सस्ता विकल्प हैं। इनके द्वारा उत्पादित बिजली की प्रति यूनिट लागत 35 रुपये प्रति यूनिट (डीजी सेट की लागत को मिलाकर) है, जबकि Srt की लागत 6 रुपये प्रति यूनिट से कम है। बिजली कटौती के दौरान पावर बैक-अप (power back-up) के लिए डीजल जनरेटर सेटों का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, जिससे स्थानीय परिवेश में वायु प्रदूषण के स्तर में भारी वृद्धि होती है। अध्ययन से पता चलता है कि समुदायों या समाज में दिन के कई घंटों के लिए डीजी सेट संचालित किए जाते थे, वहां डीजी सेट के उपयोग से PM2.5 और PM10 में पहले के स्तरों की तुलना में 30% और 50-100% की वृद्धि दर्ज की गयी। जब डीजी का उपयोग 8 घंटे से अधिक किया गया , तो पूरे दिन में PM का स्तर लगातार उच्च रहा। औसतन PM2।5 और PM10 का स्तर 130 और 300 था, जबकि उच्चतम स्तर क्रमशः 300 और 1900 था। गुरूग्राम जैसे शहर में इस समस्या से निपटने के लिए सौर रूफटॉप (Solar Rooftop) योजना को लागू किया गया है। सौर रूफटॉप एक स्वच्छ और आर्थिक रूप से लाभप्रद विकल्प है और सरकार इसे खुद ही बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इन शहरों को सौर शहर बनने के लिए महत्वाकांक्षी वार्षिक और दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता है। एक अध्ययन के अनुसार उच्च अपफ्रंट (upfront) लागत, सिस्टम के प्रदर्शन और रखरखाव के मुद्दों के साथ अपरिचितता रूफटॉप सिस्टम स्थापित करने के लिए समाजों की अनिच्छा का प्रमुख कारण है।
संदर्भ:
1. https://medium.com/@urbsindis/gurugram-d782e336c712
2. https://invertersrus.com/inverter-vs-generator/
3. https://bit.ly/3cmK5p9
4. https://bit.ly/2yaFgjQ
चित्र सन्दर्भ:
1. Prarang Archive - मुख्य चित्र में डीजल जनरेटर को दिखाया गया है।
2. Youtube.com - दूसरे चित्र में डीजल से चलने वाले वाहन और वायु में प्रदुषण का स्तर दिखाया गया है।
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