"... "जीने के लिए हमें प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के बीच के पारस्परिक संबंध को देखने में सक्षम होना चाहिए।" - पैट्रिक गेडिस
वर्तमान संकट एक जिला और शहर के प्रत्येक पारिस्थितिकी तंत्र में प्रकृति और संस्कृति के बीच संतुलन को समझने के लिए एक उचित समय है। वहीं लखनऊ की स्थापना व इसके आधारों को यदि देखा जाये तो लखनऊ बड़े नाज़ों व बड़े व्यवस्थाओं के साथ बसाया गया था। गोमती नदी का इसमें बहुत बड़ा योगदान था, तथा शहर की स्थापना के साथ यह ध्यान में रखा गया था कि शहर में प्राकृतिक सम्पदाओं की उपलब्धता बनी रहे, जिसे हम लखनऊ में मौजूद विभिन्न उद्यानों के माध्यम से देख सकते हैं। वहीं लखनऊ शहर की स्थापना के बाद इसके विस्थापन में विश्व के एक प्रमुख शहर निर्माता व पर्यावरण शास्त्री पैट्रिक गेडिस (patrick geddes)ने एक प्रमुख योगदान दिया है। लखनऊ के विस्थापन में गेडिस के सहयोग के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए आप हमारे प्रारंग की इस लिंक (https://lucknow.prarang.in/posts/777/postname) में जा कर पढ़ सकते हैं।
पैट्रिक गेडिस (1854-1932) एक स्कॉटिश (Scottish) जीवविज्ञानी, समाजशास्त्री, भूगोलवेत्ता, परोपकारी और शहर नियोजक थे। आधुनिक शहरी नियोजन के जनक गेडिस 1914 में साठ वर्ष की आयु में भारत आए थे और भारत में उन्होंने अपने आठ वर्षों में भारतीय उप-महाद्वीप के शहरों पर अध्ययन किया और उन पर कई लेख भी लिखे, साथ ही वे रबींद्रनाथ टैगोर और सिस्टर निवेदिता (जो स्वामी विवेकानंद के साथ काम करते थे) के मित्र थे। उल्लेखनीय है कि शहर सुधार परियोजनाओं के हिस्से के रूप में, गेडिस ने वास्तव में लखनऊ शहर के लिए पहली औपचारिक शहरी योजनाएं बनाईं थी। उनके इस योगदान में लखनऊ शहर के बीचों-बीच मौजूद बड़ा और हरा - भरा चिड़ियाघर शामिल है। इसके साथ ही पैट्रिक गेडिस ने भारत में लगभग पचास शहरों की योजनाएँ लिखीं थी, जिनमें से कई चार या पाँच से अधिक पन्नों की थी।
गेडिस की प्रकृति-संस्कृति संतुलन के बारे में और अधिक जानने से पहले कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाओं पर एक नजर डाल लेते हैं :-
शहर - एक क्षेत्र जिसमें पर्याप्त निवास और जीवन का एक व्यवस्थित पैमाना होता है।
जैव-क्षेत्र - एक भौतिक रूप से परिभाषित भूमि क्षेत्र जिसका अपना जैविक वातावरण होता है।
जैव-क्षेत्रीय शहर – ये एकता और अंतर-निर्भरता के साथ मनुष्यों, जानवरों, पौधों, कीड़ों आदि सहित जीवनh के सभी रूपों को शामिल करता है।
गेडिस द्वारा न केवल भौतिक डिजाइन (design) के रूप में संस्कृति की भौतिक अभिव्यक्ति में योगदान किया गया था, बल्कि सांस्कृतिक मेटा डिजाइन (meta design) में संलग्न होकर ट्रांसडिसिप्लिनरी (transdisciplinary) शिक्षा के माध्यम से संस्कृति की सामाजिक और मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्ति को भी प्रभावित किया था। उन्होंने पारिस्थितिक और सामाजिक रूप से उपयुक्त प्रथाओं का पक्ष लिया और अपने विशेष क्षेत्र की प्राकृतिक स्थितियों में मानव उपनिवेशों और आजीविका के एकीकरण की आवश्यकता पर भी जोर दिया था। फ्रांसीसी समाजशास्त्री फ्रेडरिक ले प्ले (frederic le play)(1802–1886) के "कार्य, स्थान, लोग" के त्रय से प्रेरित होकर, गेडिस ने लोगों के एकीकरण और विशेष स्थान के पर्यावरणीय जीवों में उनकी आजीविका के आधार पर क्षेत्रीय और नगर नियोजन के लिए एक नया दृष्टिकोण विकसित किया था।
1) स्थान :- स्थान का तात्पर्य भौगोलिक इलाके से है जो पर्यावरणीय जरूरतों और संसाधनों को प्रस्तुत करता है और बदले में कार्य की प्रकृति का निर्धारण करता है।
2) कार्य :- कार्य परिवार के संगठन को निर्धारित करता है जो मानव समाज की जैविक इकाई है। इसके विपरीत, परिवार की आवश्यकताएं और क्षमताएं कार्य के चरित्र को आकार देती हैं, जो बदले में पर्यावरण को प्रगतिशील रूप से संशोधित करती हैं।
3) लोग :- गेडिस का मानना था कि यह दृष्टिकोण विभिन्न विषयों से ज्ञान को संश्लेषित करता है और इससे सामाजिक विज्ञान के लिए अपने स्वयं के विकासवादी दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद मिलती है।
साथ ही उनके द्वारा बताया गया कि स्वस्थ नियोजन निर्णयों को एक विस्तृत क्षेत्रीय सर्वेक्षण पर आधारित होनी चाहिए, जिसमें उन्होंने एक क्षेत्र के जल विज्ञान, भूविज्ञान, वनस्पतियों, जीवों, जलवायु और प्राकृतिक स्थलाकृति के साथ-साथ उसके सामाजिक और आर्थिक अवसरों और चुनौतियों की एक सूची को स्थापित किया था। एक स्वस्थ प्रणाली में प्रकृति और संस्कृति अविभाज्य और पारस्परिक रूप से सहायक होती है। इस तरह की स्वास्थ्य उत्पादक और प्रासंगिक डिजाइन रणनीति वर्तमान में भी हमारी सबसे अधिक संकोचन वाली सामाजिक, पारिस्थितिक और आर्थिक समस्याओं के लिए और अधिक स्थायी समाधान प्रदान करने में मदद कर सकती है। वर्तमान समय में विश्व की आधी आबादी शहरों में रहती है, और फिर विकसित देश हो या विकासशील दोनों को ही तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण और भीड़भाड़ वाले शहरों और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों, भोजन, पानी और ऊर्जा संकट के प्रबंधन की समस्या का सामना कर रहे हैं। ये चुनौतियाँ परस्पर और अन्योन्याश्रित हैं और इन्हें एक-दूसरे के अलगाव से संबोधित नहीं किया जा सकता है। इसलिए अब एक स्थायी समाधान खोजने के लिए पैट्रिक गेडिस के विचारों और दृष्टिकोणों पर विचार करना चाहिए। पैट्रिक गेडिस का उद्देश्य केवल स्थायी शहरी स्थान बनाना नहीं था, वह चाहते थे कि हम एक समाज के रूप में अपनी क्षमता को लगातार सीखें, सुधारें और हासिल करें। अपने पूरे जीवन और कार्य के दौरान, गेडिस ने प्रदर्शित किया कि हमारे अवलोकन, अनुभव और प्रतिबिंब हमें अपने विचारों और व्यवहार के निर्माण और पुनर्निर्माण में मदद करते हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/2GrAa3p
https://bit.ly/2Uga4VS
ttps://lucknow.prarang.in/posts/777/postname
चित्र सन्दर्भ:
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