हम में से अधिकांश लोग यह जानते ही हैं कि नवाब सआदत खान द्वितीय की कब्र लखनऊ में मौजूद है। लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि अवध वंश के पिता समान सआदत खान प्रथम, जिन्होंने अयोध्या के पास एक नए शहर फैज़ाबाद में अपनी राजधानी बनाई थी, की कब्र कहाँ मौजूद है? तो चलिए जानते हैं सआदत खान प्रथम की लापता कब्र का रहस्य।
सआदत खान प्रथम का जन्म ईरान के खोरासान में हुआ था, जो दिल्ली में मुगल राजा मोहम्मद शाह रंगीला की सेना में सेवा करने के लिए भारत आए थे और यहाँ आकर वे एक नवाब और अवध के निर्माता बन गए। हालाँकि, जब नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला किया और दिल्ली में मुगल राजा ने सआदत खान प्रथम को पानीपत में नादिर शाह पर काबू पाने के लिए भेजा, तो उन्होंने राजा को धोखा दे दिया। लेकिन नादिर शाह द्वारा नवाब सआदत खान की बेईमानी के लिए कोई इनाम नहीं दिया गया। अपनी मूर्खता का एहसास होने पर नवाब सआदत खान ने 19 मार्च, 1739 को नादिर शाह द्वारा दिल्ली के नरसंहार से पिछली रात को दिल्ली में स्वर्गीय राजकुमार दारा शिकोह के प्रसिद्ध घर के पास, शालीमार बाग में ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली थी। उस समय के ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि उन्हें दिल्ली में उनके बहनोई सयादत खान के मकबरे में अनौपचारिक ढंग से दफन किया गया था।
दरसल नवाब के बहनोई सयादत खान (जिन्हें मिर्ज़ा जाफर खान बेग के नाम से भी जाना जाता है) सफदरजंग (जो अवध का दूसरा नवाब बन गया था) के पिता थे जो कि सआदत खान का गोद लिया हुआ बेटा था। सफदरजंग का मकबरा वर्तमान समय में दिल्ली के बीचोबीच मौजूद है तथा इसके ऊपर एक सड़क और दिल्ली के पहले हवाई अड्डे का नाम भी रखा गया है। सफदरजंग की मृत्यु फैज़ाबाद में हुई थी और उनकी मृत्यु से पहले, वे भी अपने पिता की तरह दिल्ली के मुगल राजा के साथ तकरार में थे। इसमें ही सआदत खान प्रथम की रहस्यमयी कब्र के उत्तर निहित हैं। सफदरजंग की मृत्यु के बाद उनके बेटे शुजा उद दौला (अवध साम्राज्य के तीसरे नवाब) ने दिल्ली में अपने पिता को दफनाने का विकल्प चुना क्योंकि उस समय भारत के शिया समुदाय के लिए शाहजहानाबाद (उस समय का दिल्ली, जो वर्तमान में जोरबाग का इलाका है) के बाहर स्थित कर्बला और दरगाह शाह-ए-मर्दन का कब्रिस्तान सबसे पवित्र स्थान हुआ करता था। वहीं ऐसा प्रतीत होता है कि 1947 के आसपास, क्षेत्र के कई मकबरों को नष्ट कर दिया गया था और कुछ अवशेषों को सिर्फ दरगाह के कब्रगाह के मैदान में स्थानांतरित कर दिया गया था। जिससे यह संभव हो सकता है कि नवाब सआदत खान प्रथम और उनके बहनोई सयादत खान की कब्रों को भी या तो दरगाह में स्थानांतरित कर दिया गया होगा या फिर नष्ट कर दिया गया होगा।
जोरबाग दरगाह में नवाब सआदत खान प्रथम की मौजूदगी का ज़िक्र हमें “दिल्ली की दरगाह शाह-ए-मर्दन” नामक पुस्तक में भी देखने को मिलता है। इस पुस्तक में और भी कई अन्य नवाबों की कब्रों के बारे में बताया गया है। लेकिन 1947 के पलायन ने इस क्षेत्र को सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के अतिक्रमण से बहुत अधिक प्रभावित कर दिया है।
संदर्भ:
1.https://military.wikia.org/wiki/Saadat_Ali_Khan_I?fbclid=IwAR3yrFZlPukXBQEMpm-_S4tmGtpe45GH3ZycAbFvSXAj6bV11gEDHO3BqUU
2.http://srivastavahistorian.com/img/Books/The%20First%20Two%20Nawabs%20of%20Awadh.pdf?fbclid=IwAR1g5d20yrKS9DJ-JbW4kzEr5gdq_PVpgkltDRWC8u9jXMxS9B8QrpHNHGc
3.https://pixels-memories.blogspot.com/2014/10/dargah-shah-e-mardan-complex-delhi.html?fbclid=IwAR0FvLSnH-N9lT9P6UASJxU4IEvDbsNVKnM7Q6YfwAE-TZXU9eQJyCuvow8
4.https://www.thehindu.com/books/buried-in-history/article5124382.ece?fbclid=IwAR1mTxw7AgUoqq-pdE20v2rRmhqLtD_vFIukvRWWPtZzj-Sgvm9wcbMoDhg
चित्र सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Saadat_Ali_Khan_I#/media/File:Burhan_ul_Mulk_Sa'adat_Khan.jpg
2. http://uptourism.gov.in/pages/top/explore/lucknow/tombs-saadat-ali-khan
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