मनुष्य इस पृथ्वी पर रहने वाला एकमात्र ऐसा जीव है जो की पृथ्वी के तमाम संसाधनों का बेतरतीब तरीके से दोहन करता है। एक वक्त ऐसा था जब इस पृथ्वी पर इंसान तो थे लेकिन वे एकदम सीमित संख्या और स्थान पर निवास करते थे जिसके कारण पृथ्वी का समन्वय बना हुआ था परन्तु समय के साथ खेती की खोज हुयी और मनुष्यों ने एक स्थान पर रहना शुरू कर दिया और उद्योगों आदि की स्थापना की। विभिन्न धातुओं के खोज के साथ ही मनुष्य की महत्वाकांक्षा बढती चली गयी और मनुष्यों ने पृथ्वी का दोहन शुरू किया। इसी दोहन के कारण मौसम के कई परिवर्तन आये जिसने हजारों बीमारियों को जन्म दिया इन्ही बीमारियों ने महामारी का रूप ले लिया। उद्योगीकरण और वैश्वीकरण ने खाद्य से लेकर जल तक को अशुद्ध कर दिया जिसने बीमारियों को निमंत्रण देने का कार्य किया।
इसने न ही मनुष्यों पर बल्कि जानवरों और जीवों पर भी एक बहुत ही गहरा प्रभाव डाला। जनसँख्या बढ़ने के कारण मनुष्य जीवों का शिकार बड़ी संख्या पर करने लगा जिससे कई प्रजातियां विलुप्त हो गयी जिनका एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण योगदान हुआ करता था पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में। मनुष्यों की इस आक्रामकता ने जीवों के साथ साथ वनस्पति और पारिस्थितिकी को इतना नुक्सान पहुचाया है जिसकी कोई सीमा ही नहीं है। वर्तमान समय में कोरोना ने पूरे विश्व भर में एक अत्यंत ही घातक महामारी का रूप ले लिया है। इस महामारी के चलते आज विश्व भर के तमाम देश पूर्ण रूप से बंद कर दिए गए हैं तथा वहां पर कर्फ्यू लगा दिया गया है। इस कर्फ्यू के लगते लोगों का बाहर निकलना बंद हो चुका है। उद्योग बंद हो चुके हैं तथा शिकार आदि भी ख़त्म हो चुके हैं।
इस महामारी के चलते दुनिया भर के पर्यावरण पर एक साफ प्रभाव देखने को मिल रहा है और यह प्रभाव है पर्यावरण के हित में। पूरी दुनिया में प्रदुषण का स्तर आज न के बराबर है। नदियों का पानी और साफ़ और स्वच्छ दिख रहा है। आसमान पूरी तरह से साफ़ सुथरा दिख रहा है। मुंबई जैसा शहर जो कि प्रदुषण की चपेट में हमेशा रहता है वहां का प्रदुषण कम हो चुका है मुंबई ही नहीं बल्कि दिल्ली, लखनऊ, कलकत्ता आदि शहर भी प्रदुषण से निजात पा चुके हैं। वायु प्रदुषण में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिल रही है यह सिद्ध करता है कि हम प्रकृति के साथ किस स्तर का खिलवाड़ कर रहे थे। ग्लोबल वार्मिंग में एक बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अभी हाल ही में मुंबई के तटों पर डॉलफिन मछलियाँ अठखेलियाँ करती हुयी दिखाई दि जो कि यह साबित करता है, प्रदुषण और मनुष्यों पर लगाया गयी यह रोक कितना कारगर साबित हो सकती है। इस महामारी ने यह तो जरूर बता दिया कि मनुष्य यदि संयम करे तो यह पृथ्वी जहरीले गैसों से बच सकती है तथा यह एक सुन्दर जीवन प्रदान करने की ओर अग्रसर हो सकती है। यह एक ऐसा प्रभाव है जिसने आगे के कई महीनों के लिए पृथ्वी को एक नया जीवन प्रदान कर दिया है।
सन्दर्भ :
1. https://www.france24.com/en/20200320-clearer-water-cleaner-air-the-environmental-effects-of-coronavirus
2. https://timesofindia.indiatimes.com/city/mumbai/skies-clear-air-pollution-levels-drop-as-mumbai-stays-indoors/articleshow/74754488.cms
3. https://www.bbc.com/news/science-environment-51944780
4. https://www.navdanya.org/bija-refelections/2020/03/18/ecological-reflections-on-the-corona-virus/
5. https://www.newshub.co.nz/home/world/2020/03/all-the-ways-coronavirus-is-stopping-climate-change-in-its-tracks.html
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