जैसा कि हम में से अधिकांश लोग जानते ही हैं कि विश्व भर में कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है। वहीं बढ़ते समय के साथ ही ये महामारी भी काफी बढ़ रही है और इसके बढ़ने के साथ साथ फर्जी खबरें, मिथक और गलतफहमी भी जनता के बीच दहशत पैदा करने में समान रूप से गति प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में ही भारत में फैल रहा मिथक की गौमूत्र और गोबर के सेवन से कोरोनोवायरस ठीक हो सकता है। हालांकि कुछ मामलों में जीवाणुरोधी के रूप में गोमूत्र के उपयोग के लिए कुछ वैज्ञानिक आधार मिलते हैं, लेकिन विषाणु के खिलाफ इसकी प्रभावकारिता का कोई सबूत नहीं मिलता है।
जीवाणु और विषाणु में अंतर
जीवाणु और विषाणु कई सामान्य संक्रमण पैदा कर सकते हैं। लेकिन इन दो प्रकार के संक्रामक जीवों के बीच अंतर होता है। जैसे जीवाणु छोटे सूक्ष्मजीव होते हैं जो एक एकल कोशिका से बने होते हैं। वे बहुत विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो आकार और संरचनात्मक सुविधाओं की एक बड़ी विविधता को दिखते हैं। जीवाणु लगभग हर कल्पनीय वातावरण में रह सकते हैं, जिसमें मानव शरीर के अंदर और बहार दोनों शामिल है। विभिन्न जीवाणुओं में से केवल कुछ ही जीवाणु मनुष्यों में संक्रमण का कारण बनते हैं। इन जीवाणु को रोगजनक जीवाणु के रूप में जाना जाता है।
वहीं विषाणु एक अन्य प्रकार के छोटे सूक्ष्मजीव हैं, हालांकि वे जीवाणु से भी छोटे होते हैं। जीवाणु की तरह, ये भी बहुत विभिन्न प्रकार के होते हैं और इनमें विभिन्न प्रकार के आकार और विशेषताएं होती हैं। विषाणु परजीवी होते हैं, जिसका मतलब है कि उन्हें विकसित होने के लिए जीवित कोशिकाओं या ऊतक की आवश्यकता होती है। ये विषाणु मनुष्य शरीर के कोशिकाओं पर आक्रमण कर सकते हैं, और मनुष्य की कोशिकाओं के घटकों का उपयोग कर स्वयं को विकसित करते हैं। वहीं कुछ विषाणु अपने जीवन चक्र के भाग के रूप में मेजबान कोशिकाओं को भी मार देते हैं।
जीवाणु और विषाणु के संक्रमण कैसे फैलते हैं?
कई जीवाणु संक्रमण संक्रामक होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं। इसके कई तरीके हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
• एक व्यक्ति जिसे जीवाणु संक्रमण है को छूने से दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है।
• किसी संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के साथ संपर्क, जैसे जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तब उस से अन्य व्यक्ति प्रभावित हो सकता है।
• गर्भावस्था या जन्म के दौरान मां से बच्चे तक संचरण।
• दूषित सतहों (जैसे कि दरवाजों की कुंडी या नल के हैंडल (handle)) को छूने के बाद अपने चेहरे, नाक या मुंह को छूने से ये संक्रमण फैल सकता है।
• एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने के अलावा, जीवाणु संक्रमण एक संक्रमित कीट के काटने से भी फैल सकता है। इसके अतिरिक्त, दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से भी संक्रमण हो सकता है।
जीवाणु संक्रमणों की तरह, कई वायरल संक्रमण भी संक्रामक होते हैं। वे कई तरीकों से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं:
• विषाणु संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट संपर्क में आने से।
• एक विषाणु संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के साथ संपर्क में आने से।
• गर्भावस्था या जन्म के दौरान मां से बच्चे तक संचरण।
• दूषित सतहों के संपर्क में आना से।
• एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने के अलावा, विषाणु संक्रमण भी एक संक्रमित कीट के काटने से भी फैल सकता है। इसके अतिरिक्त, दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से भी संक्रमण हो सकता है।
एक जीवाणु और विषाणु संक्रमण का इलाज कैसे किया जाता है?
चिकित्सकों के निर्देशों के अनुसार प्रतिजैविक दवाओं का एक निर्धारित पाठ्यक्रम लेने से जीवाणु संक्रमण को मारा जा सकता है। दुर्भाग्य से, जीवाणु अनुकूलनीय होते हैं और प्रतिजैविक दवाओं के अति प्रयोग ने जीवाणु को इन दवाओं के प्रतिरोधी बना दिया है। इसके अलावा, प्रतिजैविक दवाओं का अति प्रयोग आपके शरीर में स्वस्थ जीवाणुओं को भी मार सकता है। वहीं दूसरी ओर यदि बात करें विषाणु की तो प्रतिविषाणु दवाएं किसी भी विषाणु को खत्म नहीं करती है, बल्कि उसके विकास को रोकती हैं, जैसे एड्स महामारी के लिए विकसित की गई दवाएं समान करी करती हैं। दाद सिंप्लेक्स वायरस, फ्लू और दाद जैसी कुछ बीमारियों के इलाज के लिए प्रतिविषाणु दवाएं भी उपलब्ध हैं। लेकिन ऐसे कई विषाणु मौजूद हैं, जिनके लिए वर्तमान समय तक मौजूद नहीं है और प्रतिजैविक दवाएं विषाणुओं के संक्रमण को रोकने में प्रभावी नहीं है।
वहीं अधिकांश विषाणु बीमारियों में विशेष दवा की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि वे "आत्म-सीमित" होते हैं, जिसका अर्थ है कि हमारी खुद की प्रतिरक्षा प्रणाली उन बीमारी से लड़ने में कामयाब हो जाती है। हालाँकि, इसमें समय लग सकता है, जैसे एक खांसी और सर्दी 7 से 10 दिनों तक रह सकती है और फ्लू लगभग 2 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकता है। वहीं कुछ विषाणु संक्रमणों में, जैसे कि फ्लू, दाद या चिकन पॉक्स में चिकित्सक संक्रमण को कम करने और जटिलताओं को रोकने में मदद करने के लिए एक प्रतिविषाणु दवा दे सकता है। साथ ही विषाणु के संक्रमण को रोकने के लिए प्रतिविषाणु को आमतौर पर पहले 24 से 48 घंटों में आवश्य ले लेना चाहिए। जैसा कि हमने ऊपर भी बताया है कि विषाणु को मारने में प्रतिजैविक दवाएं निर्धारित नहीं की जाती है, लेकिन कई बार जटिल या लंबे समय तक विषाणु संक्रमण में, जीवाणु भी आक्रमण कर सकते हैं और इसका कारण "माध्यमिक जीवाणु संक्रमण" के रूप में जाना जाता है। इन मामलों में, चिकित्सकों द्वारा एक प्रतिजैविक दवाई परामर्श की जाती है। जहां वर्तमान समय में कोरोनावायरस का प्रकोप काफी तेजी से फैल रहा है, इसलिए किसी भी प्रकार के रोग के निवारण हेतु जल्द ही अपने चिकित्सक से संपर्क करें तथा कोई भी घरेलू उपए करने से बचें।
संदर्भ :-
1. https://www.healthline.com/health/bacterial-vs-viral-infections
2. https://www.healthymepa.com/2017/02/21/do-you-need-antibiotics/
3. https://www.drugs.com/article/antibiotics-and-viruses.html
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Antiviral_drug
5. https://bit.ly/3bnQ4cz
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.