अंगोरा और मोहैर दोनों कपड़ों के प्रकार हैं। दोनों कपड़ों में समानताएं बहुत अधिक हैं। समझने में कोई तकलीफ़ ना हो इसलिए हम पहले अंगोरा के बारे में बात करेंगे। अंगोरा एक खास प्रकार का कपड़ा है, जो कि अपने कोमल, पतले तंतु और रेशमी बनावट के लिए जाना जाता है। इसके अतरिक्त अपने खोखले अन्तर्भाग के कारण इसका रेशा ऊन की अपेक्षा हल्का और गर्म भी होता है। इसी कारणवश यह कपड़ा इन दिनों सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो रहा है। सबसे शुद्ध अंगोरा कपड़ा, अंगोरा नामक ख़रगोश के फ़र (Fur) से निकाला जाता है। इसके अलावा इसी में अन्य प्रजातियाँ भी हैं जो कि इससे अलग हैं जैसे, ‘मोहैर’ जो कि अंगोरा बकरी से निकाला जाता है, ‘कश्मीरी’ जो कि कश्मीरी बकरी से निकला जाता है। अच्छी गुणवत्ता वाले अंगोरा के तंतु का व्यास 12–16 माइक्रोमीटर (Micrometre) होता है, जिसकी क़ीमत लगभग 10–16$ (वर्तमान भाव के हिसाब से लगभग 752-1204 रूपए) प्रति 50 ग्राम तक होती है।
अंगोरा ख़रगोश से निकलने वाले तंतु तीन प्रकार के होते हैं, प्रथम और सबसे अच्छे प्रकार के तंतु, ख़रगोश के शरीर के पीछे और ऊपरी भाग से निकाले जाते हैं क्यूँकि यहाँ के बाल सबसे लम्बे होते हैं। दूसरी गुणवत्ता वाले गर्दन और निचले पक्षों से निकाले जाते है। तीसरी गुणवत्ता वाले नितंब और पैर से निकाले जाते हैं। 90% अंगोरा फर का उत्पादन चीन में किया जाता है। चीन में 5 करोड़ से अधिक अंगोरा ख़रगोश पाए जाते हैं, जिनकी तादात प्रति वर्ष बढ़ती रहती है। चीन के अतिरिक्त यूरोप (Europe), चिली (Chile) और संयुक्त राज्य अमेरिका में भी उत्पादन किया जाता है।
मोहैर कपड़ा या धागा अंगोरा बकरी के बालों से प्रपत किया जाता है। टिकाऊ और लचीला होने के साथ इसमें एक उच्च प्रकार की चमक होती है। इसके अतरिक्त इसमें उच्चतम इंसुलेट (Insulate) गुण होते है, जिनकी वजह से यह सर्दियों में गर्म रहता है और नमी को सोखने की गुणवत्ता के कारण गर्मियों में ठंडा रहता है। यही विशेषता इस कपड़े को अन्य कपड़ों की तुलना में खास और महँगा बना देती है। अच्छी गुणवत्ता वाले मोहैर के तंतु का व्यास लगभग 25–45 माइक्रोन (Micron) होता है, जो कि बकरी की उम्र के साथ बढ़ता है। कम उम्र की बकरी के नरम और महीन बालों का उपयोग स्कार्फ़ (Scarf) और शॉल (Shawl) बनाने के लिए किया जाता है। ज़्यादा उम्र की बकरियों के मोटे बालों को अक्सर क़ालीन और भारी कपड़ों में इस्तेमाल किया जाता है। मोहै कपड़े के लिए साल में दो बार बकरी के बालों को काटा जाता है, वसंत और गर्मी में। एक बकरी साल में 5-8 किलो मोहैर कपड़े का उत्पादन करती है।
2013 तक दक्षिण अफ़्रीका (South Africa) दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश था जो कि 50% मोहैर कपड़े का उत्पादन करता था। अगर हम बात भारत की करें तो, भारत में अंगोरा ख़रगोश उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में पहाड़ी क्षेत्रों में पाला जाता है, जहाँ की जलवायु इसके पालन उपयुक्त है। देश में कुल अंगोरा खरगोशों की आबादी 50,000 से ऊपर है, जिनसे प्रति वर्ष लगभग 30,000 किलोग्राम अंगोरा ऊन का उत्पादन किया जाता है।
रेशे के महत्व, पहाड़ी क्षेत्रों में रोज़गार सृजन की संभावनाओं और विदेशी मुद्रा अर्जित करने की विशाल क्षमता को देखते हुए, केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड ने 10वीं योजना के अंतर्गत, अंगोरा ख़रगोश पालन के विकास के लिए, एक एकीकृत दृष्टिकोण शुरू किया, जिसके अंतर्गत किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण के साथ उनके मध्य खरगोशों, चारे, चिकित्सा किट (Kit), चरखे आदि का वितरण भी किया गया है। इसके परिणामों को देखते हुए बोर्ड प्रतिवर्ष नवीन तकनीकों को किसनों तक पहुंचाने का कार्य करता है। उम्मीद है कि जल्द ही इस क्षेत्र में भी भारत अपनी एक अलग पहचान बनाएगा।
सन्दर्भ:
1. http://woolboard.nic.in/download/I.C.pdf
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Angora_wool
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Mohair
चित्र सन्दर्भ:
1. https://pixabay.com/it/photos/angora-lana-lavorare-a-maglia-440167/
2. https://www.needpix.com/photo/240601/cats-cradle-angora-wool-knit-fluffy
3. https://cdn.pixabay.com/photo/2014/09/09/16/06/angora-440161_960_720.jpg
4. https://www.needpix.com/photo/240603/angora-knit-wool-fluffy-soft-textiles
5. https://en.wikipedia.org/wiki/File:Modern_angora_goat.jpg
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