पेड़ हमारे जीवन के लिए हमारी साँसों के जितने ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पेड़ नहीं तो ये सांसे भी नहीं। इन पेड़ों का मानव के ही नहीं बल्कि सभी जीव-जन्तुओं के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है। ये पेड़ सभी जीवित प्राणी और पशु-पक्षियों को ऑक्सीजन (Oxygen) के साथ-साथ भोजन व अन्य औषधीय लाभ भी प्रदान करते हैं। लखनऊ में पाए जाने वाले ‘करोंदा’ के पेड़ के फलों का उपयोग अचार और मसालों को बनाने के लिए भी किया जाता है। यह एक कठोर, सूखा-सहिष्णु पेड़ है, जो मिट्टी की एक विस्तृत श्रृंखला में अच्छी तरह से पनपता है।
आम तौर पर यह उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से फलते-फूलते हैं। इस प्रकार, ये महाराष्ट्र और गोवा के पश्चिमी तटीय राज्यों में कोंकण क्षेत्र के पश्चिमी घाटों में बहुतायत में पाए जाते हैं। फिर भी ये भारत और नेपाल में हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों की समशीतोष्ण परिस्थितियों में 30 से 1,800 मीटर की ऊंचाई पर स्वाभाविक रूप से उगते हैं। शेष भारत में, यह राजस्थान, गुजरात, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में सीमित पैमाने पर उगाए जाते हैं। इस पौधे को अगस्त और सितंबर में बोए गए बीज से उगाया जाता है। वहीं मानसून की पहली बौछार के समय इसका रोपण किया जाता है। बीज से उगाए गए पौधे रोपण के दो साल बाद फल देना शुरू करते हैं और उत्तरी भारत में जुलाई से सितंबर तक इसके फल पकने लगते हैं।
आयुर्वेद में भी करोंदे के लाभ का ज़िक्र मिलता है। प्राचीन समय से ही करोंदे के फल का उपयोग औषधीय रूप से चिकित्सा की प्राचीन भारतीय प्रणाली, आयुर्वेद में भी किया जाता आ रहा है। ये अम्लता, अपच, ताजा और संक्रमित घावों, त्वचा रोगों, मूत्र विकारों और मधुमेह के अल्सर (Ulcer), साथ ही साथ मतली, पेट दर्द, कब्ज़, रक्ताल्पता, त्वचा की स्थिति, आदि का इलाज करने में उपयोगी है। साथ ही इसकी जड़ों का उपयोग पेट दर्द और खुजली के लिए एक कृमिनाशक दवा के रूप में किया जाता है।
करोंदे के औषधीय उपयोग निम्न हैं :-
• इसके फल कसैले और रक्तशोधक होते हैं, जिनका उपयोग मतली के लिए भी किया जा सकता है।
• वहीं इसकी एक पत्ती से बनाया गया काढ़ा बुखार, दस्त और कान के दर्द को दूर करने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
• इसकी जड़ें पेट दर्द, कृमिहर और खुजली से राहत दिलाने के लिए भी उपयोग की जा सकती है।
• इसकी छाल का उपयोग विभिन्न त्वचा रोगों के इलाज के लिए भी किया जाता है।
• पत्ती या छाल से तैयार पेस्ट (Paste) को ताज़ा घावों के उपचार के लिए लगाया जाता है।
वहीं इस पौधे के आसानी से उगने की विशेषता के कारण इसका इस्तेमाल भारत के विशाल बाड़े (1803-1879 ईस्वी – नमक कर एकत्र करने के लिए भारत भर में अंग्रेज़ों द्वारा बनाई गयी एक सीमा) के निर्माण में किया गया था। उपने नुकीले काँटों की वजह से ये एक उत्कृष्ट अवरोधक सिद्ध होते हैं।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Carissa_carandas
2. http://www.flowersofindia.net/catalog/slides/Karanda.html
3. http://tropical.theferns.info/viewtropical.php?id=Carissa+carandas
4. https://www.easyayurveda.com/2016/12/13/karonda-carissa-carandas-karamarda/
चित्र सन्दर्भ:
1. needpix.com/photo/214089/carissa-carandas-apocynaceae-karonda-berry-fruit-ripe-red
2. pexels.com/photo/berries-carissa-carandas-fruit-indian-berries-1126856/
3. pxfuel.com/en/free-photo-jhaga
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Carissa_carandas#/media/File:Carissa_carandas_flowers.JPG
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.