क्या आपने कभी तीन आंख वाला कोई जीव देखा है? यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है किंतु है सत्य। यूं तो पृथ्वी पर मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ जीव कहा जाता है किंतु ऐसी कई विशेषताएं हैं, जो अन्य जीवों को मानव से अलग बनाती हैं। जीवों में तीसरी आंख का पाया जाना भी इन्हीं विशेषताओं में से एक है, जोकि मुख्य रूप से सरीसृपों, मछलियों और उभयचरों में पायी जाती है तथा अपनी एक विशिष्ट भूमिका निभाती है। करीब 24 करोड़ साल पहले विकसित हुए तुआतारा (Tuatara) को भी यह आंख प्राप्त है। तुआतारा अपने वंशक्रम की एकमात्र जीवित एकल प्रजाति है, जिसके सिर के शीर्ष पर तीसरी आंख स्थित होती है, जिसे पार्श्विका आंख (Parietal eye) कहा जाता है। पार्श्विका आंख मुख्य आंखों के समान नहीं होती क्योंकि यह छवियों को केंद्रित नहीं कर सकती।इसमें प्रकाश-संवेदनशील कोशिकाओं के समूह के साथ एक अल्पविकसित रेटिना (Retina) और लेंस (Lens) होता है जो इसे प्रकाश और अंधेरे में हर समय होने वाले बदलावों के प्रति संवेदनशील बनाता है। इसके कारण जीव अपने ऊपर से आने वाली चीज़ों या खतरों की पहचान आसानी से कर सकता है, हालांकि उसे यह पता नहीं होता कि वह वस्तु या खतरा क्या है, किंतु वह ये ज़रूर जान लेता है कि वह खतरे में है।
इसके अलावा इस आंख के ज़रिए जीव आकाश में सूर्य की सटीक गति की भी पहचान कर सकते हैं, विशेषकर तब जब उन्हें अपने शरीर को गर्म करने के लिए सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है। एक अध्ययन के अनुसार पार्श्विका आंख नेविगेशन (Navigation) में भी अपनी भूमिका अदा करती है। तुआतारा सरीसृप श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जोकि न्यूज़ीलैंड (New Zealand) के स्थानिक जीव हैं। यह अधिकांशतः छिपकलियों के समान दिखाई देता है किन्तु वास्तव में यह अलग वंश का हिस्सा है, तथा रिंकोसिफालिया (Rhynchocephalia) वंशक्रम के अंतर्गत आता है। रिंकोसिफालिया छिपकली जैसे सरीसृपों का एक क्रम है जिसमें केवल एक जीवित प्रजाति शामिल है, जोकि न्यूज़ीलैंड का तुआतारा (स्फेनोडोन पंकटेटस - Sphenodon punctatus) है। एक समय में रिंकोसिफालिया की एक व्यापक जेनेरा (Genera) श्रेणी थी जिसके अंतर्गत कई परिवार शामिल थे, किंतु इनमें से कई अब विलुप्त हो चुके हैं। तुआतारा का सबसे हालिया सामान्य पूर्वज स्क्वैमेट्स (squamates - छिपकली और सांप) है। इस कारण से, तुआतारा के अध्ययन के साथ-साथ छिपकलियों और सांपों के विकास के अध्ययन में भी रुचि ली जाती है।हरे-भूरे और ग्रे (Gray) रंग के साथ इनकी लम्बाई सिर से पूंछ तक 100 सेमी (39 इंच) होती है तथा वज़न 1.3 किलोग्राम (2.9 पाउंड) होता है। उनके ऊपरी जबड़े में दांतों की दो पंक्तियाँ होती हैं जो निचले जबड़े की एक पंक्ति को ढकती हैं। यह विशेषता इसे जीवित प्रजातियों में अद्वितीय बनाती है। इन पर पायी जाने वाली तीसरी आंख सर्कैडियन (Circadian) और मौसमी चक्र को सेट (Set) करने में भी शामिल होती है। हालांकि इनमें कोई बाह्य कान मौजूद नहीं होता, लेकिन फिर भी वे सुनने में सक्षम होती हैं। इनके कंकाल में भी अनूठी विशेषताएं पायी जाती हैं, जिनमें से कुछ स्पष्ट रूप से मछली से विकसित हुए हैं।तुआतारा को कभी-कभी "जीवित जीवाश्म" कहा जाता है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि प्रजातियों में डीएनए (DNA) अनुक्रम के 5 से 6 बिलियन बेस जोड़े (Base pairs) हैं, जो मनुष्यों से लगभग दोगुने हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि तुआतारा पृथ्वी पर सबसे तेज़ी से विकसित होने वाला जानवर है।इसकी आणविक विकास दर अन्य जीवों की अपेक्षा सबसे अधिक है। डीएनए स्तर पर, ये जीव बहुत जल्दी विकसित होते हैं, जिससे जानवरों के बड़े साम्राज्य में ये शामिल होते हैं।
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