दूरबीनें या टेलीस्कोप (telescopes) एक ऐसा प्रकाशीय उपकरण है जो लेंसों या घुमावदार दर्पण और लेंस व्यवस्था का उपयोग करके दूर की वस्तुओं को आवर्धित करता है। इसकी सहायता से दूर रखी वस्तुओं के साधारण या वर्णक्रम चित्र भी प्राप्त किये जा सकते हैं। दूर रखी वस्तुओं के उत्सर्जन, अवशोषण या विद्युत चुम्बकीय विकिरण के प्रतिबिंब द्वारा दूर की वस्तुओं का निरीक्षण विभिन्न उपकरणों द्वारा किया जाता है। पहली ज्ञात व्यावहारिक दूरबीनें अपवर्तित दूरबीनें (refracting telescopes) थी, जिनका आविष्कार 17 वीं शताब्दी की शुरुआत में नीदरलैंड में ग्लास लेंस का उपयोग करके किया गया था। उनका उपयोग स्थलीय अनुप्रयोगों और खगोल विज्ञान दोनों के लिए किया गया था। प्रतिबिंबित टेलीस्कोप (reflecting telescope), का आविष्कार अपवर्तक दूरबीन के आविष्कार के कुछ दशकों के भीतर ही किया गया। यह दूरबीन प्रकाश को इकट्ठा करने और केंद्रित करने के लिए दर्पण का उपयोग करता है।
20 वीं शताब्दी में, कई नए प्रकार की दूरबीनों का आविष्कार किया गया, जिसमें 1930 के दशक के रेडियो (radio) टेलीस्कोप और 1960 के दशक में अवरक्त (infrared) टेलीस्कोप शामिल थे। टेलीस्कोप शब्द का प्रयोग अब उन कई उपकरणों के लिए किया जाता है, जो विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (electromagnetic spectrum) के विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाने में सक्षम हैं। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्लेनेटेरियम (Planetarium) में भी कई अच्छे टेलीस्कोप रखे गये हैं। शनि के आकार के इस प्लेनेटेरियम का उद्घाटन 2003 में किया गया था, जहां कई लोग खगोल विज्ञान से संबंधित विभिन्न जानकारी प्राप्त करते हैं। टेलीस्कोप के माध्यम से हम अंतरिक्ष से सम्बंधित विभिन्न चीजों की जानकारी हासिल कर पाये हैं। एक प्रकार के विशाल टेलीस्कोप को अंतरिक्ष में भी स्थापित किया गया है जिसे हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) के नाम से जाना जाता है। इसे 24 अप्रैल, 1990 को अंतरिक्ष यान डिस्कवरी (space shuttle Discovery) द्वारा कक्षा में लॉन्च किया गया था जोकि पृथ्वी से लगभग 547 किलोमीटर (340 मील) ऊपर परिक्रमा कर रहा है। यह आकाश में ग्रहों, सितारों और आकाशगंगाओं जैसी वस्तुओं की सटीक तस्वीरें लेता है तथा अब तक यह एक मिलियन से भी अधिक तस्वीरें ले चुका है जिनमें सितारों के जन्म और मृत्यु, अरबों प्रकाश वर्ष दूर आकाशगंगाओं, और बृहस्पति के वातावरण में दुर्घटनाग्रस्त होने वाले धूमकेतु के टुकडों की तस्वीरें शामिल हैं।
वैज्ञानिकों ने इन चित्रों से ब्रह्मांड के बारे में बहुत कुछ सीखा है। हबल पृथ्वी की दूरबीनों से भिन्न है। पृथ्वी का वायुमंडल अंतरिक्ष से आने वाली रोशनी को बदल देता है और अवरुद्ध कर देता है। हबल पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपर परिक्रमा कर रहा है। जो इसे दूर के स्तर की तुलना में ब्रह्मांड का एक बेहतर दृश्य देता है। हबल के पास फाइन गाइडेंस सेंसर (Fine Guidance Sensors) उपकरण है। यह पॉइंटिंग कंट्रोल सिस्टम (Pointing control system) का हिस्सा है जो हबल को सही दिशा में लक्षित करता है। एक बार लक्ष्य हासिल कर लेने के बाद, हबल का प्राथमिक दर्पण प्रकाश एकत्र करता है। दर्पण मानव आँख की तुलना में लगभग 40,000 गुना अधिक प्रकाश एकत्र कर सकता है। प्रकाश प्राथमिक दर्पण से द्वितीयक दर्पण की ओर जाता है। द्वितीयक दर्पण प्राथमिक दर्पण में एक छेद के माध्यम से प्रकाश को वापस केंद्रित करता है। वहां से, प्रकाश हबल के वैज्ञानिक उपकरणों पर चमकता है। प्रत्येक उपकरण में प्रकाश की व्याख्या करने का एक अलग तरीका है। हबल में पाँच वैज्ञानिक उपकरण हैं जिनमें कैमरे और स्पेक्ट्रोग्राफ (Spectrographs) शामिल हैं।
स्पेक्ट्रोग्राफ एक ऐसा उपकरण है जो प्रकाश को अपने व्यक्तिगत तरंग दैर्ध्य में विभाजित करता है। वाइड फील्ड कैमरा (Wide field camera) 3 हबल का मुख्य कैमरा है। यह दूर की आकाशगंगाओं के निर्माण से लेकर सौर मंडल में ग्रहों तक, हर चीज का अध्ययन करता है। कैमरा तीन अलग-अलग प्रकार के प्रकाश देख सकता है: निकट-पराबैंगनी, दृश्यमान और निकट-अवरक्त। सर्वेक्षण के लिए उन्नत कैमरा अंतरिक्ष के बड़े क्षेत्रों की छवियों को खींचता है। इन छवियों ने वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की शुरुआती गतिविधियों में से कुछ का अध्ययन करने में मदद की है। स्पेस टेलीस्कोप इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ (Space Telescope Imaging Spectrograph) से वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में तापमान, रासायनिक संरचना, घनत्व और वस्तुओं की गति निर्धारित करने में मदद मिलती है। इसका उपयोग ब्लैक होल (Black hole) का पता लगाने के लिए भी किया जाता है। हबल द्वारा ली गई छवियों ने वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की उम्र और आकार का अनुमान लगाने में मदद की है।
हबल ने वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद की है कि ग्रह और आकाशगंगाएं कैसे बनते हैं। हबल सितारों, ग्रहों या आकाशगंगाओं की यात्रा नहीं करता है। यह लगभग 17,000 मील प्रति घंटे पर पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हुए उनकी तस्वीरें लेता है। हबल ने 1990 में अपने मिशन के शुरू होने के बाद से 1.3 मिलियन से अधिक अवलोकन किए हैं। हबल के पास .007 आर्सेकंड (arcseconds) की पॉइंटिंग (pointing) सटीकता है। 24 दिसंबर 1968 को अपोलो 8 मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री विलियम एंडर्स द्वारा चंद्र कक्षा से अर्थराइज (Earthrise) की तस्वीर ली गयी जोकि चंद्रमा की सतह के कुछ हिस्से और पृथ्वी की तस्वीर है। इस तस्वीर को अब तक का सबसे प्रभावशाली पर्यावरण फोटोग्राफ (photograph) माना जाता है। हवाई के मौना केआ (Mauna Kea) में विश्व के सबसे बड़े ऑप्टिकल (Optical) टेलीस्कोप का निर्माण किया जा रहा है तथा इसके डिजाईन और विकास में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारतीय उद्योग इस टेलीस्कोप के सेंसर, एक्ट्यूएटर्स (actuators) और इसकी यांत्रिक सहायता संरचना (mechanical support structure) का निर्माण कर रहे हैं। यह टेलीस्कोप 30 मीटर टेलीस्कोप है, जो ब्रह्मांड का एक बड़ा और विशाल चित्र प्रदान करेगा।
संदर्भ:
1. https://www.nasa.gov/mission_pages/hubble/story/index.html
2. https://timesofindia.indiatimes.com/india/india-developing-worlds-largest-telescope/articleshow/69278700.cms
3. https://www.aninews.in/videos/national/rejoice-space-enthusiasts-indira-gandhi-planetarium-lucknow-installs-4-new-telescopes/
4. https://www.nasa.gov/audience/forstudents/5-8/features/nasa-knows/what-is-the-hubble-space-telecope-58.html
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Telescope
6. https://en.wikipedia.org/wiki/Earthrise
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