तिलपिया मछली के अगले बड़े निर्यातक के रूप में उभर सकता है भारत

लखनऊ

 05-03-2020 01:00 PM
मछलियाँ व उभयचर

मछली की लगभग 83 से अधिक प्रजातियां आमतौर पर लखनऊ में पायी जा सकती हैं। इन्हीं महत्वपूर्ण किस्मों से एक किस्म तिलपिया (tilapia) की भी है, जिसे जलीय चिकन के रूप में भी जाना जाता है। तिलपिया जहां भारत में अत्यधिक लोकप्रिय है वहीं धरती पर पायी जाने वाली 4 ऐसी मछलियों में भी शामिल है जिसका सबसे अधिक उपभोग किया जाता है। तिलपिया कोल्पोटिलैपिन (coelotilapine), कॉप्टोडोनिन (coptodonine), हेटेरोटिलपाइन (heterotilapine), ओरियोक्रोमीन (oreochromine), पेल्मोटोलैपिन (pelmatolapiine) और टिलैपिनिन (tilapiine) की चिक्लिड (cichlid) मछलियों की लगभग सौ प्रजातियों का सामान्य नाम है। यह मुख्य रूप से ताजे पानी की मछली हैं जो उथली धाराओं, तालाबों, नदियों और झीलों में निवास करती है तथा खारे पानी में सामान्यतः कम ही रहती है। ऐतिहासिक रूप से, अफ्रीका में आर्टीसनल (artisanal) मछली को पकडने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। जलीय कृषि और एक्वापोनिक्स (aquaponics)(एक्वापोनिक्स किसी भी ऐसी प्रणाली को संदर्भित करता है, जो एक सहजीवी वातावरण में हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics) के साथ पारंपरिक जलीय कृषि को जोड़ती है।) में भी इनका महत्व बढता जा रहा है। 2002 से संयुक्त राज्य अमेरिका में तिलपिया चौथी सबसे अधिक उपभोग की जाने वाली मछली है। कीमत कम होने के साथ-साथ यह स्वाद में भी लाजवाब है। इसके पालन (culture) के लिए उष्णकटिबंधीय क्षेत्र सबसे अधिक उपयुक्त हैं। मत्स्य पालन क्षेत्र में भारत विश्व में अग्रणी होने की ओर अग्रसर है। ग्रामीण भारत में एक बड़ी आबादी, खासकर युवा पीढ़ी, मछली पकड़ने के उद्योगों में तैनात की जा सकती है। कुछ वर्षों से यूरोप, अमेरिका और अन्य उच्च विकसित देशों में भारतीय समुद्री भोजन का निर्यात बढ़ रहा है। 2014 में भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात 5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। ऐसे में तिलपिया व्यवसाय से कोई भी एक अच्छी आय कमा सकता है। यह सरल है क्योंकि इसके लिए किसी भी विश्वविद्यालय की डिग्री की आवश्यकता नहीं है। तिलपिया मुख्य रूप से मध्य पूर्व और अफ्रीका में उत्पन्न होता है, किंतु इसकी खेती (farming) अब अधिकांश देशों में सबसे अधिक लाभदायक व्यवसाय बन गई है। इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है तथा इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और ताइवान जैसे देश वैश्विक बाजार में तिलपिया की अधिकतम आपूर्ति करते हैं।

लगभग 85 देशों में तिलपिया की खेती की जा रही है, और इन देशों में उत्पादित 98 प्रतिशत तिलपिया अपने प्राकृतिक आवासों के बाहर वृद्धि करते हैं। यह केवल गर्म पानी में ही जीवित और प्रजनन कर सकता है। इसकी फार्मिंग (Farming) के लिए पानी का आदर्श तापमान 82-86 डिग्री फ़ारेनहाइट (fahrenheit) होना चाहिए, इसलिए भारत तिलपिया की खेती के लिए उपयुक्त है। इसकी प्रजनन दर बेहद उच्च है, जो फार्मिंग करने वाले लोगों को अत्यधिक लाभ पहुंचा सकता है। तिलपिया की सबसे आम नस्ल नील तिलपिया (Nile Tilapia) की है जिसकी दुनिया भर में सबसे अधिक फार्मिंग की जाती है। नील तिलपिया को 1970 के दशक के अंत में भारत में पेश किया गया था। भारत में तिलपिया की व्यावसायिक खेती सीमित है, तथा इसे पहली बार 1952 में पेश किया गया था। किंतु 1959 में भारत की मत्स्य अनुसंधान समिति द्वारा तिलपिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हाल ही में कुछ राज्यों में कुछ शर्तों के साथ तिलपिया की फार्मिंग को मंजूरी दे दी गई है। आनुवंशिक रूप से सुधरी हुई तिलपिया फार्मिंग को कुछ दिशानिर्देशों के साथ अनुमोदित किया गया था। वर्तमान में, भारत सरकार ने केवल ओ निलोटिकस (O. niloticus) और लाल संकर प्रजातियों के आयात को अधिकृत किया है। इसका मुख्य उद्देश्य तिलपिया खेती उद्योग विकसित करना, मच्छरों को नियंत्रित करना, जलीय वनस्पति नियंत्रण आदि हैं। वर्तमान में गंगा नदी प्रणाली में, तिलपिया का अनुपात कुल मछली प्रजातियों का लगभग 7 प्रतिशत है। भारत में इसकी खेती के लिए, इष्टतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। क्योंकि यह खाद्य श्रृंखला में निचले स्तर का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए भारत में इसकी फार्मिंग लाभप्रद है। यह जहां किफायती होगी वहीं पर्यावरण के अनुकूल भी होगी। इनकी विशेषता यह है कि ये तेजी से वृद्धि करते हैं तथा इनकी नर प्रजाति आकार में बडी होती है। ट्रम्प प्रशासन द्वारा चीनी प्रजातियों पर 30 प्रतिशत प्रशुल्क लगाने के कारण अब भारत अमेरिका में तिलपिया मछली के अगले बड़े निर्यातक के रूप में उभर सकता है।

वर्तमान में भारत में तिलपिया का उत्पादन 20,000 टन है, जोकि भविष्य में और भी अधिक वृद्धि कर सकता है। विश्व तिलपिया उत्पादन छह मिलियन टन है और इसमें चीन का योगदान 1.6 मिलियन टन है, इसके बाद इंडोनेशिया (1 मिलियन टन), मिस्र (9,50,000 टन) और बांग्लादेश (3,50,000 टन) का योगदान है। भारत तिलपिया उत्पादन में पिछड़ रहा है किंतु अगले 2 से 3 वर्षों में यह आनुवंशिक रूप से उन्नत तिलपिया किस्मों के साथ 40,000 टन के आंकड़े को दोगुना करने की क्षमता रखता है। मौजूदा एक्वाकल्चर (Aquaculture) उद्योग भी तिलपिया खेती के तेजी से विकास के लिए एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। तिलपिया, ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega-3 Fatty Acid) और उच्च प्रोटीन जैसे पौष्टिक तत्वों से समृद्ध है जोकि शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता करता है। 2017 की शुरुआत में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार 2016 में तिलपिया का उत्पादन 18,000 टन था तथा 2020 में उत्पादन 22,000 टन के बराबर होने की सम्भावना है। इसका उत्पादन ग्रामीण भारत में एक बड़ी आबादी को रोजगार देने में अत्यधिक सहायक है।

सन्दर्भ:
1.
https://thefishsite.com/articles/tilapia-farming-in-india-a-billion-dollar-business
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Tilapia
3. https://bit.ly/2Tq2GZl
4. http://agronfoodprocessing.com/tilapia-the-next-potential-earning-buck-for-fisheries/
चित्र सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/2Tpks0k
2. https://pxhere.com/en/photo/152240



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id