चिकन के शौकीन यदि तंदूरी चिकन का नाम सुन लें तो उनकी आंखों में चमक और मुंह में पानी आ जाता है। भारत में परोसे जाने वाले कई व्यंजनों के स्वाद को और अधिक बढ़ाने में हमारा पारंपरिक तंदूर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में तंदूर का इतिहास प्राचीन भारत की सिंधु घाटी और हड़प्पा सभ्यताओं से माना जाता है। इन ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई से तंदूरों के अवशेष पाए गए थे। वहीं तंदूर का उपयोग केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पश्चिम और मध्य एशिया में भी लोग तंदूर का इस्तेमाल करते हैं। तंदूर के अवशेष प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं में भी पाए गए हैं।
हालाँकि, आधुनिक तंदूर को भारत में मुगलों द्वारा लाया गया था। बाद में मुगल शासक जहाँगीर के शासनकाल में सुवाहय़ तंदूर का आविष्कार हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि यात्रा करते वक्त सुवाहय़ तंदूर को रसोइयों के एक समूह द्वारा ले जाया जाता था। वहीं यदि हम सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जिक्र नहीं करेंगे तो तंदूर का इतिहास अधूरा रहेगा। उनके द्वारा तंदूर के उपयोग को बढ़ावा दिया गया था, उन्होंने जातिगत बाधाओं को दूर करने और लोगों में समानता को बढ़ावा देने के लिए, अपने पड़ोस में सांझा चूल्हा बनाने का आग्रह किया था। सांझा चूल्हा की इस अवधारणा ने न केवल जाति और वर्ग की बाधाओं को दूर करने में मदद की, बल्कि महिलाओं के लिए भी एक बैठक केंद्र का निर्माण कर दिया।
वहीं पहले के तंदूर को जमीन में स्थापित किया जाता था और लकड़ी से जलाया जाता था। ऐसे तंदूर वर्तमान समय में भी भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी पाए जाते हैं। अन्य प्रकार के तंदूर जमीन से ऊपर होते हैं और बेलनाकार मिट्टी या धातु के होते हैं। तंदूरों में लकड़ी या चारकोल को जलाकर गर्मी उत्पन्न की जाती है जो तंदूर में ही धीमी गति से जलती है। गर्मी को तंदूर में ऑक्सीजन की मात्रा द्वारा नियंत्रित किया जाता है। कई तंदूरों के तल में एक छोटी सी खिड़की होती है जिसे हवा और ऑक्सीजन के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए खोला या बंद किया जाता है।
तंदूर की दीवारें लकड़ी का कोयला जलाने से पैदा होने वाली गर्मी को प्रतिबिंबित करती हैं और तापमान को और बढ़ा देती हैं जो 480 डिग्री सेल्सीयस तक पहुंच सकता है। उच्च खाना पकाने के तापमान को बनाए रखने के लिए अक्सर इन्हें लंबे समय तक जलाए रखा जाता है। वहीं आजकल कई घरों में सुवाहय़ इलेक्ट्रिक तंदूर का भी उपयोग किया जाता है। ये इलेक्ट्रिक ओवन की तरह ही होते हैं और इन्हें धातु से बनाया जाता है।
सर्वप्रथम तंदूर का इस्तेमाल फ्लैटब्रेड (flatbread), भारतीय रोटी, अफगान नान और तुर्कमेन चोरक को सेंकने के लिए किया जाता था।
भारतीय तंदूरी व्यंजनों में सबसे सामान्य व्यंजन निम्नलिखित हैं :-
• रोटी, तंदूरी नान, तंदूरी लच्छा पराठा, मिस्सी रोटी और तंदूरी कुल्चा हैं।
• पेशावरी खार भुने हुए काजू हैं और पनीर के पेस्ट को मसाले में तंदूर में घिसे हुए गाढ़े क्रीम में मिलाया जाता है।
• तंदूर में भुने हुए पनीर और सब्जियां और काजू से भरे बलूच और आलू।
• वहीं पंजाब के क्षेत्र से उत्पन्न हुआ तंदूरी भुना हुआ चिकन काफी स्वादिष्ट होता है।
• चिकन टिक्का मुगलई व्यंजनों में से एक डिश है, जिसमें छोटे-छोटे टुकड़ों को पीसकर बनाया जाता है, जिसे मसाले और दही में मिलाया जाता है।
• साथ ही तंदूरी व्यंजनों में सबसे लोकप्रिय नाश्ता टँगड़ी कबाब भी काफी स्वादिष्ट नाश्ता होता है।
संदर्भ :-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Tandoor
2. https://thefoodfunda.com/history-of-tandoor-tandoori-cooking/
3. http://chefnaim.blogspot.com/2010/12/history-of-tandoor.html
4. https://www.indiachefatlanta.com/2017/03/15/the-history-and-magic-of-tandoor-cooking/
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