पूरा प्राणी जगत धरती पर विचरण कर रहा है तथा जन्म और मृत्यु की एक वास्तविक प्रक्रिया से गुजर रहा है। हर दिन कोई न कोई जीव धरती पर जन्म लेता है और एक निश्चित समयावधि तक विचरण करके मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। यह प्रक्रिया सालों-सालों, युगों-युगों तक ऐसी ही चलती रहती है किंतु विचारणीय विषय यह है कि, जिस धरती या ब्रह्मांड में जीव जन्म ले रहा है, उसका अंतिम छोर कहां पर है या वह कब समाप्त होगा। हिंदू धर्म की यदि बात की जाये तो इस संदर्भ में वेद, ग्रंथों और पुराणों में कई उल्लेख मिलते हैं। किंतु ऐसे ही उल्लेख अन्य कई धर्मों के ग्रंथों या मान्याताओं में भी हैं, जिनमें कुछ समानता है तो कुछ एक दूसरे से असमान हैं। इसलिए विभिन्न धर्मों की एस्केटोलॉजी (eschatology) ब्रह्मांड के अंतिम समय या मानवता की अंतिम नियति को जानने या अध्ययन करने का प्रयास कर रही है। इस अवधारणा को आमतौर पर ‘दुनिया के अंत’ या ‘अंत समय’ के रूप में जाना जाता है।
एस्केटोलॉजी, थियोलॉजी (Theology) की एक शाखा है जो आत्मा और मानव की मृत्यु, अंतिम निर्णय और अंतिम नियति से सम्बंधित है तथा इसको जानने का प्रयास कर रही है। इसी प्रकार से ईसाई एस्केटोलॉजी (Christian eschatology) भी ‘अंतिम वस्तु’ के अध्ययन से सम्बंधित है, चाहे वह एक व्यक्ति के जीवन का अंत हो, युग का अंत हो, या दुनिया तथा परमात्मा के राज्य की प्रकृति का अंत हो। मोटे तौर पर ईसाई एस्केटोलॉजी, उस अध्ययन को संदर्भित करती है जो पुराने और नए नियम (Old Testament & New Testament) के भीतर मुख्य रूप से बाइबिल ग्रंथ पर आधारित व्यक्तिगत आत्मा और परमात्मा के नियमों की अंतिम नियति से सम्बंधित है। यह मृत्यु और उसके बाद के जीवन, स्वर्ग और नर्क, यीशु के दूसरे आगमन, मृतकों के पुनरुत्थान, उत्साह, क्लेश, सहस्त्राब्दिवाद, दुनिया के अंत, अंतिम निर्णय और दुनिया में आने वाले नए स्वर्ग और नई पृथ्वी जैसे मामलों पर अध्ययन और चर्चा करती है।
बाइबिल में कई जगहों पर इसके उल्लेख भी मिलते हैं। द बुक ऑफ रिविलेशन (The book of revelation) नए ईसाई नियमों की अंतिम पुस्तक मानी जाती है, और इसलिए यह ईसाई बाइबिल की अंतिम पुस्तक भी है। इसमें अंतिम नियति के संदर्भ में कुछ दृष्टिकोणों जैसे प्रीटरिज्म (Preterism), फ्यूचरिज्म (Futurism), हिस्टरिज्म (Historicism), आइडलिज्म (idealism) की व्याख्या की गयी है। प्रीटरिज्म (Preterism) ईसाई एस्केटोलॉजी का एक दृष्टिकोण है, जो बाइबल में मौजूद कुछ या सभी भविष्यवाणियों का उन घटनाओं के रूप में उल्लेख करता है जोकि पहले ही घटित हो चुकी हैं। यह एक शताब्दी की पूर्ति की व्याख्या करता है जिसकी व्याख्या साहित्यिक उल्लेखों में पहले से ही की जा चुकी है। अर्थात इस युग में हुई वास्तविक घटनाएँ पहले ही प्रसारित हो चुकी हैं।
फ्यूचरिज्म (Futurism) के अनुसार भविष्य में कई भविष्यवाणियाँ पूरी होंगी, और कुछ मामलों में पूरी होने वाली हैं। वे वास्तविक भौतिक घटनाओं पर आधारित है। दूसरे शब्दों में यह भविष्य की समय अवधि का अनुमान लगाता है जब बाइबल की भविष्यवाणियाँ पूरी होंगी। हिस्टरिज्म (Historicism) ईसाई इतिहास की अवधि के दौरान वर्तमान में पूरी हो रही उन घटनाओं की व्याख्या करता है जो बाइबिल में मौजूद है। इसे कभी-कभी वास्तविक घटनाओं के प्रतीकात्मक रूप में लिया जाता है। आइडलिज्म दृष्टिकोण प्रतीकात्मक या साहित्यिक उल्लेखों की निरंतर पूर्ति और आध्यात्मिक घटनाओं की व्याख्या करता है। बाइबिल के अनुसार, सहस्त्राब्दी युग पृथ्वी के इतिहास को समाप्त कर देगा हालाँकि, हजार वर्ष बाद यह इतिहास पुनः शुरू हो जायेगा।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Christian_eschatological_views
2. https://brill.com/view/book/9789004357068/BP000004.xml?language=en
3. https://cdsp.edu/courses/eschatology-and-christian-practice/
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Christian_eschatology
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.