आधुनिक दुनिया में देश की प्रगति और आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए निजीकरण को एक मुख्य स्रोत के रूप में देखा जा रहा है। भारत में जहां कई विद्यालयों, अस्पतालों आदि को निजीकृत कर दिया गया है वहीं भारत सरकार की नज़र अब भारतीय रेलवे को भी निजीकृत करने पर है। बढ़ती जनसंख्या के साथ रेल परिवहन की मांग भी बढ़ती जा रही है तथा भारत की पुरानी रेल प्रणाली को अब नए निवेश की आवश्यकता है। इसलिए नकदी-तंगी से जूझ रही भारतीय सरकार भारतीय रेलवे का निजीकरण करना चाहती है। रेलवे का निजीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ चुनिंदा मार्गों में रेलों को चलाने की ज़िम्मेदारी सरकार द्वारा निजी स्वामित्व वाले उद्यमों को दे दी जाती है तथा रेलवे से सम्बंधित विभिन्न कार्यों का नियंत्रण और प्रबंधन निजी उद्यमों के हाथ में होता है। भारतीय रेलवे की स्थिति को सुधारने के लिए यह विचार विकसित हुआ है, हालांकि रेलवे का निजीकरण कितना लाभदायक या हानिकारक होगा यह अभी भी विवादास्पद है।
भारत कोई नया देश नहीं है जहां यह प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इससे पूर्व 1994 में ब्रिटिश रेलवे (British Railway) का भी निजीकरण किया गया था। ब्रिटिश रेल का निजीकरण वह प्रक्रिया थी जिसके द्वारा ब्रिटेन की रेलवे का स्वामित्व और संचालन सरकारी नियंत्रण से निजी हाथों में चला गया था। यह 1994 में शुरू होकर 1997 तक पूरा हुआ जिसका उद्देश्य अधिक प्रतिस्पर्धा पैदा करके एक अधिक कुशल रेल नेटवर्क (Network) तैयार करना था। 1948 से ब्रिटिश रेलवे (BR) ब्रिटिश रेलवे बोर्ड (BRB) के नियंत्रण में राज्य के स्वामित्व में थी, किंतु 1979 में मार्गरेट थैचर (Margaret Thatcher) की सरकार के तहत, विभिन्न राज्य के स्वामित्व वाले व्यवसायों को बेच दिया गया जिसमें रेलवे से संबंधित विभिन्न कार्य भी शामिल थे। इसके बाद 1993 में रेलवे अधिनियम 1993 के द्वारा रेलवे का निजीकरण कर दिया गया। बड़े स्टेशनों सहित बुनियादी ढांचे का स्वामित्व रेलट्रैक (Railtrack – कुछ कंपनियों का समूह) को दिया गया, जबकि पूरे नेटवर्क में 13 कंपनियों को ट्रैक रखरखाव और नवीकरण संपत्ति बेची गई। प्रक्रिया उस समय बहुत विवादास्पद थी, और अभी भी है, और इसकी सफलता पर बहुत बहस की जाती है।
भारत में भी यह कितना सफल होगा या नहीं यह देखना रूचिपूर्ण होगा। भारत की पहली निजी रेल तेजस एक्सप्रेस थी जो कि दिल्ली से लखनऊ के बीच चली। रेलवे के कार्यों के एक हिस्से का निजीकरण करना भी मुश्किल है इसलिए कुल निजीकरण पर अभी विचार नहीं किया गया है। भारतीय रेलवे द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि 150 निजी रेलगाड़ियाँ महानगरीय शहरों को जोड़ते हुए 100 महत्वपूर्ण मार्गों पर चलेंगी। अहमदाबाद और मुंबई के बीच दूसरी तेजस एक्सप्रेस को भी मंजूरी दे दी गई है। मुंबई-कोलकाता, मुंबई-चेन्नई, मुंबई-गुवाहाटी, नई दिल्ली-मुंबई, तिरुवनंतपुरम-गुवाहाटी, नई दिल्ली-कोलकाता, नई दिल्ली-बेंगलुरु, नई दिल्ली-चेन्नई, कोलकाता-चेन्नई, चेन्नई-जोधपुर, मुंबई-वाराणसी, मुंबई-पुणे, मुंबई-लखनऊ, मुंबई-नागपुर, नागपुर-पुणे, सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम, पटना-बेंगलुरु, पुणे-पटना, चेन्नई-कोयम्बटूर, चेन्नई-सिकंदराबाद, सूरत-वाराणसी और भुवनेश्वर-कोलकाता रेल मार्गों पर इन निजी रेलों को चलाया जाएगा। इनके अलावा, इलाहाबाद, अमृतसर, चंडीगढ़, कटरा, गोरखपुर, छपरा और भागलपुर जैसे शहरों को जोड़ने वाले कुछ महत्वपूर्ण मार्ग, गोरखपुर-लखनऊ, कोटा-जयपुर, चंडीगढ़-लखनऊ, विशाखापत्तनम-तिरुपति और नागपुर-पुणे को भी मंजूरी दी गई है। कुल मिलाकर, नई दिल्ली के साथ 35 मार्ग, मुंबई के साथ 26 मार्ग, कोलकाता के साथ 12, चेन्नई के साथ 11 और बेंगलुरु के साथ 8 मार्ग ऐसे होंगे जिनका निजीकरण होगा। इन मार्गों को निजी उद्यमों को आवंटित करने के लिए बोली लगाई जाएगी, तथा निजी गाड़ियों को अधिकतम 160 कि.मी. प्रति घंटे की गति से चलाने की अनुमति दी जाएगी। मेकमायट्रिप (MakeMyTrip), स्पाइसजेट (SpiceJet), इंडिगो (Indigo) जैसे उद्यम भारतीय रेलवे को अपने अधीन करने में रूचि दिखा सकते हैं। सरकार का मानना है कि निजीकरण से बेहतर और मज़बूत बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो पायेंगी। निजी कंपनियां बेहतर सुविधाएं जैसे स्वच्छ शौचालय, पानी की पर्याप्त आपूर्ति, स्वच्छ प्लेटफॉर्म (Platforms) इत्यादि सुनिश्चित करेंगी। सेवाओं की गुणवत्ता और यात्रियों द्वारा भुगतान किया गया शुल्क दोनों संतुलित होगा। इस कदम से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और परिणामस्वरूप सेवाओं की गुणवत्ता में समग्र वृद्धि होगी। क्योंकि निजी स्वामित्व बेहतर रखरखाव का पर्याय है, इसलिए रेलवे के निजीकरण से दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप लंबे समय में सुरक्षित यात्रा और उच्च मौद्रिक बचत होगी।
वहीं इसके नकारात्मक प्रभाव को देखा जाए तो सरकार के स्वामित्व वाला भारतीय रेलवे मुनाफे की चिंता किये बिना राष्ट्रव्यापी कनेक्टिविटी (Connectivity) प्रदान करता है। निजीकरण के साथ ऐसा संभव नहीं होगा क्योंकि जो मार्ग कम लोकप्रिय हैं उन्हें पूर्णतः समाप्त कर दिया जाएगा, जिसका नकारात्मक प्रभाव कनेक्टिविटी पर पड़ेगा। यह देश के कुछ हिस्सों को वस्तुतः दुर्गम बना देगा और उन्हें विकास की प्रक्रिया से बाहर कर देगा। एक निजी उद्यम लाभ पर चलता है इसलिए यह सम्भावना हो सकती है कि भारतीय रेलवे में लाभ अर्जित करने के लिए निजी उद्यम किराए में अत्यधिक वृद्धि करें। इस प्रकार रेलवे सेवा को निम्न आय वर्ग की पहुंच से बाहर कर दिया जाएगा। निजी उद्यम दुनिया के साथ अपनी कार्य प्रणालियों को साझा नहीं करते। ऐसे परिदृश्य में एक विशेष इकाई से जवाबदेही मांगना मुश्किल है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2w58bVm
2. https://bit.ly/3a2sZvp
3. https://bit.ly/32qHJll
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Privatisation_of_British_Rail
चित्र सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2Pl1q8E
2. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Indian_Railways_(29389612090).jpg
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