चीते का गैरवशाली इतिहास
एक वक्त ऐसा भी था जब भारतीय उपमहाद्वीप में चीतों की भरमार थी। कहा जाता है कि मुगल बादशाह अकबर के पास 1000 चीतों का बाड़ा था। 20वीं शताब्दी के मध्य में चीता भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया। इसका कारण निवास का विनाश और ज़रूरत से ज्यादा शिकार बताया गया। चीता शब्द, संस्कृत शब्द चित्राका (धब्बेदार) से लिया गया है। जितना पुराना चीता शब्द का अर्थ है उतनी पुरानी समस्या है इसका भारत से विलुप्त होना।
अब भारत आएगा अफ्रीकी चीता
उच्चतम न्यायलय ने देश में सावधानी पूर्वक चुनी गई जगह पर अफ्रीकी चीते को बसाने की अनुमति दे दी है। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए कहा है कि नामीबिया (Namibia) के चीते को मध्यप्रदेश के कुनो पार्क (Kuno Park) या देश के किसी अन्य हिस्से में सभी पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन के बाद बसाया जा सकता है।
पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) की हर 4 महीने में समीक्षा होगी
मुख्य न्यायाधीश ने एक पायलेट प्रॉजेक्ट के रूप में देश में चीता बसाये जाने पर विशेषज्ञ से हर 4 महीने में एक प्रगति रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने नैशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (National Tiger Conservation Authority – NTCA) की एक याचिका की सुनवाई के दौरान ये बात कही।
7 साल में आया फैसला
करीब सात साल की खींचतान के बाद न्यायपीठ ने इस पर फैसला लिया है। इन 7 सालों के शुरुआती दौर के दौरान शीर्ष अदालत ने अफ्रीकी चीता को भारत में बसाने की अनुमति देने से इंकार किया और इसे विदेशी प्रजाति करार दिया।
अतीत में किए गए प्रयास
2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की नामिबियन चीता को आयात करने की 300 करोड़ की योजना को खारिज कर दिया था। 10 साल पहले केन्द्र सरकार ने मध्य प्रदेश के नौरादेही और राजस्थान के जैसलमेर में स्थित शाहगढ़ लैंडस्केप (Landscape) में आयातित चीतों को रखने की बात भी कही थी। 2009 में उस समय के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने इसे स्वीकृति दे दी थी।
सीसीएमबी क्लोनिंग प्रोजेक्ट (CCMB Cloning Project)
हैदराबाद में स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (Centre for Cellular & Molecular Biology) में एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की गई जिसमें भारतीय चीते की क्लोनिंग करने की बात कही गई थी। वैज्ञानिकों ने डीएनए सैंपल (DNA Sample) इक्टठे करने की बात कही थी। वैज्ञानिकों ने DNA सैंपल इक्ट्ठे भी कर लिए थे। वहीं 2003 में ईरान के राष्ट्रपति मो. खतामी अपनी भारत यात्रा के दौरान CCMB भी गए थे। इंस्टीट्यूट (Institute) के संचालक लालजी सिंह ने उनसे निवेदन किया कि इरानियन चीते का एक जोड़ा या फिर क्लोनिंग के लिए ज़रूरी सामग्री एक सहयोगी परियोजना के अंतर्गत भारत को दे दें। लेकिन ईरान इस बात के लिए राज़ी नहीं हुआ।
क्या आयातित चीता भारत की जलवायु में बस सकता है
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि चीते के जीवित रहने के लिए बड़ी संख्या में चारागाह और शिकार बहुल क्षेत्र उप्लब्ध होना जरूरी है। चीते शेर के मुकाबले स्वभाव में उतने आक्रामक नहीं होते और घने जंगलों में बसे शेरों से दूरी बनाए रखने की कोशिश में वो हरियाली भरे मैदान में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। ज्यादातर भारतीय अभ्यारण्यों की सीमाएं बैंड नहीं हैं। हरियाली भरे मैदानों की दिन पर दिन कम होती संख्या के कारण ही चीते विलुप्त होते चले गए। चीते की आबादी गिरने और भारत में पूरी तरह से विलुप्त होने के कई कारण हैं पर सबकी जड़ एक ही है- उपेक्षा। इस उपेक्षा की शुरुआत ब्रिटिश राज में ही हो गई थी। कुछ गलत फैसले लिए गए। भारत सरकार ने विदेशी पेड़ लगाने की योजनाओं को प्रोत्साहन दिया ताकि कागज़ उद्योग को बढ़ावा मिले। और जो हरियाली भरे खुले मैदान थे उन्हें प्राथमिकता पर औद्योगिक इस्तेमाल के लिए दे दिया। इसी कारण आज भी जो भारत में खुले निवास हैं वो गंभीर खतरे से जूझ रहे हैं। इसी कारण कुछ विशेषज्ञ भारत में चीता फिर से लाने का विरोध कर रहे हैं।
लेकिन समस्या जितनी बड़ी है, उतनी ही बड़ी इसमें संभावनाएं भी हैं। 1973 में भारत ने एक असंभव कार्य को संभव कर दिखाया था, जब देश में दर्जनों टाइगर रिज़र्व (Tiger Reserve) बनाए गए। इसके दो दशक बाद भारत में बाघ की संख्या लगभग दुगनी हो गई। इस सफलता के पीछे साधारण सा तर्क ये था कि बाघ निवास में इन्सान की घुसपैठ कतई ना हो। इस कदम से बाघों की संख्या अचानक से बढ़ जाएगी और ऐसा ही हुआ। इसमें कोई शक नहीं है कि अगर एक बार फिर भारतीय वन संरक्षण विभाग अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से बाघ संरक्षण जैसी ही एक सफलता को दोहरा दे तो वह चीतों को भारत में सफलता पूर्वक पुनर्जीवित कर सकते हैं।
घास के मैदान और जंगलों में बहुत बड़ा फर्क है और उतना ही फर्क उनमें पनपने वाले जानवरों में भी है। जैसे कि अनियंत्रित जंगल में लगने वाली आग को रोकना या चारागाहों की जगह कम करने से जंगल तो घने हो जाएँगे और वन्यजीवों के रहने की बेहतर जगह भी मिल जाएगी लेकिन इन उपायों से हरियाली भरे मैदान कम हो जाएंगे और इसी के साथ कम हो जाएंगे ऐसी जगहों पर पनपने वाले जंगली जानवर जैसे कि चीतों के साथ हुआ। दरअसल भारत को ऐसी योजना की ज़रूरत है जो घास के मैदान भी सुरक्षित रखे, ज़रूरत से ज्यादा कटाई को नियंत्रित करे और साथ ही ध्यान रखे कि जंगली आग सिर्फ सर्दियों के मौसम में हो। जंगल तो बिना इंसानी दखल के बहुत अच्छे से पनप सकता है लेकिन हरियाली भरे मैदान में मानवीय दखल संतुलित होना चाहिए, जो कि चीते के दोबारा भारत में अस्तित्व में आने के लिए बेहद जरूरी है।
एशियाटिक (Asiatic) चीते और अफ्रीकी चीते में अंतर क्या है?
एशियाटिक चीता अफ्रीकी चीते के मुकाबले कद में छोटा होता है और हल्के रंग का भी होता है। अफ्रीकी चीते के मुकाबले एशियाटिक चीते की खाल ज्यादा रोंयेदार होती है, खासकर गर्दन के पीछे और पैर पर। इसका सिर छोटा और गर्दन लंबी होती है। एशियाटिक चीते की आंखें लाल होती हैं और बिल्ली जैसी बनावट होती है, जबकि अफ्रीकी चीता पैंथर (Panther) की तरह दिखता है। कहा जाता है कि एशियाटिक चीता अफ्रीकी चीते के मुकाबले ज्यादा ताकतवर और फुर्तीला होता है। दोनों ही प्रजातियाँ कुशल शिकारी होती हैं। करीब 100 साल पहले 1 लाख से भी ज्यादा चीते एशिया और अफ्रीका में पाए जाते थे। आज ये संख्या जंगलों में करीबन 10,000 अफ्रीकी चीते और ईरान में 40-100 एशियाटिक चीतों तक सिमट के रह गई है। कभी मानव सभ्यता के शुरुआती दौर में शानो शौकत और वीरता का प्रतीक माने जाने वाला चीता आज अपने जन्म स्थान में ही अपने अस्तित्व मात्र के लिए जूझ रहा है। कानूनी दांवपेच लंबी चौड़ी प्रक्रिया और धूल भरे कानूनी दस्तावेजों और दशकों के इंतज़ार के बाद मानो अतीत के अंधेरे से निकल कर भारत के वर्तमान समय के पन्नों पर अपने अस्तित्व का एक नया इतिहास रचने के लिए चीते ने अनोखी छलांग लगाई है। ऐसे में हम इंसानों को अपनी आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए चीते के साथ-साथ सभी लुप्तप्राय जानवरों के संरक्षण के लिए एकजुट होकर इस मुहिम को सफल बनाना चाहिए।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2HRFzS9
2. https://bit.ly/37O23y4
3. https://bit.ly/38SVU4V
4. https://www.deviantart.com/legend-tony980/art/African-and-Asiatic-cheetah-502237436
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.flickr.com/photos/126377022@N07/14581434248
2. https://bit.ly/2HRFIoF
3. https://it.wikipedia.org/wiki/Acinonyx_jubatus_venaticus
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