जब हम लोग किसी संभावित संकट का सामना करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क हमारे साथ हुए पिछले कुछ अनुभवों की तीव्रता से खोज करता है। यदि वह उस संकट से जुड़ी यादों को आसानी से समेट लेता है तब हमारा मस्तिष्क यह निष्कर्ष निकालता है कि वो खतरा कितना अधिक होगा। लेकिन वह अक्सर यह आकलन करने में विफल रहता है कि क्या वे यादें वास्तव में प्रतिनिधिक हैं। ऐसा ही कुछ हाल ही में चीन में उभरे कोरोनावायरस के रोग के साथ हो रहा है, यह वायरस जहां पूरे विश्व के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है, वहीं यह कितना घातक हो सकता है इस बात का पता अभी तक नहीं लगाया गया है। जैसा की हम सब जानते ही हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी के रूप में घोषित किया है। चीन में इस वायरस की चपेट में लगभग 55,000 लोग या चुके हैं, जिनमें से लगभग 2,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इस नए सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के बारे में लोगों के मध्य सार्वजनिक चिंताएं भी बढ़ रही हैं। लेकिन फिलहाल तक कई सवाल अनुत्तरित और अपरिवर्तनीय बने हुए हैं।
जाहिर सी बात है एक घातक नए वायरस के बारे में अनिश्चितता हमेशा सार्वजनिक चिंता का विषय बन जाती हैं। यह न केवल जनता के लिए एक समस्या है, बल्कि वित्तीय बाजारों के लिए भी चिंता का विषय होता है। हालांकि चीन में कोरोनावायरस से होने वाली मौतों की संख्या चौंकाने वाली है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि कम घातक दर वाला एक वायरस भी कई लोगों की मृत्यु का कारण बन सकता है यदि उसके संक्रमण की संख्या बड़ जाती है। उदाहरण के लिए, इन्फ्लूएंजा 0.14% संक्रमित रोगियों की मृत्यु का कारण बना। वहीं दूसरी ओर चीन द्वारा बताए जाने वाले आँकड़े भी काफी संदिग्ध साबित हो रहे हैं। वर्तमान समय में अधिकांश लोगों के मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि ये वायरस असल में कैसे फैल रहा है? या क्या हमें अपने आस पास खाँसने वाले व्यक्ति के बारे में चिंता करने की जरूरत है? दरसल तेजी से फैलने वाले इस वायरस में फिलहाल तक यह देखा गया है कि यह व्यक्ति-से-व्यक्ति को संक्रमित होता है।
यानि एक संक्रमित व्यक्ति खाँसते वक्त वायरस से युक्त नम बूंदों को बाहर निकालता है, जो सामने उपस्थित स्वस्थ व्यक्ति में उसकी स्वास के माध्यम से उसके शरीर में प्रवेश कर लेती है। ये बूंदें सतहों पर भी गिर सकती हैं, जैसे कि दरवाज़े के हैंडल, जिसके परिणाम स्वरूप दूसरे लोगों के संक्रमित होने का खतरा अधिक हो जाता है, क्योंकि वे उन दूषित सतह को छूते हैं, फिर अपने मुंह या आंखों को छूते हैं। वहीं हमको यह तो बताया जा रहा है कि इस घातक रोग से कितने लोगों की मृत्यु हो गई है, लेकिन यह नहीं बताया गया है कि लगभग 98 प्रतिशत लोग इस बीमारी से ठीक हो रहे हैं और कुछ अन्य मामले काफी हल्के हैं। भारत में कोरोनावायरस के सभी 3/3 मामले के मरीज इस रोग से ठीक हो गए हैं। इसके साथ ही कोरोनावायरस से जान गवाने वाले अधिकांश लोग बुजुर्ग या अंतर्निहित स्थितियों वाले मरीज हैं। वास्तव में, कई संक्रामक रोगों की तरह विशेषज्ञ इस नए कोरोनावायरस को फ्लू और सामान्य सर्दी के साथ तुलना कर रहे हैं, क्योंकि यह अत्यधिक संक्रामक प्रतीत हो रही है। लेकिन विशेषज्ञों को अधिक चिंता इस बात की है कि कहीं ये वायरस फ्लू और सामान्य सर्दी की भांति प्रत्येक वर्ष न आने लगें।
संदर्भ :-
1. https://bit.ly/321chd1
2. https://khn.org/news/facts-vs-fears-five-things-to-help-weigh-your-coronavirus-risk/
3. https://www.nytimes.com/2020/02/13/world/asia/coronavirus-risk-interpreter.html
4. https://www.aljazeera.com/indepth/opinion/coronavirus-worried-200205095227962.html
5. https://n.pr/38KLOTX
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