अंतरिक्ष उड़ान के 50 वर्षों के इतिहास को यदि देखा जाए तो यह इतिहास बहुत ही शानदार है। यह मानव की एक ऐसी उपलब्धि है जो असम्भव प्रतीत होती थी। किंतु अपने अथक प्रयासों से मानव ने इसे सम्भव बनाया और मानव विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। किंतु जैसा सर्वमान्य है कि किसी न किसी रूप में मानव गतिविधि से प्रकृति अवश्य ही प्रभावित होती है और इसलिए इस सफलता ने भी प्रकृति को प्रभावित किया जो अंतरिक्ष अपशिष्ट या अंतरिक्ष मलबे के रूप में उभरी। अंतरिक्ष अपशिष्ट, अंतरिक्ष में मौजूद वह अपशिष्ट या मलबा है जो मानव की अंतरिक्ष उड़ानों के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ है।
अंतरिक्ष मलबे को अंतरिक्ष जंक (Junk), अंतरिक्ष प्रदूषण, अंतरिक्ष अपशिष्ट, अंतरिक्ष कचरा आदि नामों से भी जाना जाता है। इस शब्द का इस्तेमाल अंतरिक्ष या मुख्यतः पृथ्वी की कक्षा में मौजूद मानव निर्मित उन वस्तुओं के लिए किया जाता है जो अब किसी काम की नहीं हैं। इनके उदाहरणों में अनुपयोगी उपग्रह, अंतरिक्ष में रॉकेटों (Rockets) के विघटन, कटाव और टकराव से होने वाले टुकड़े, अंतरिक्ष यान के टूटने से निकलने वाले ठोस तरल पदार्थ, रॉकेट मोटर्स (Motors) के वे कण जो जले हुए नहीं हैं आदि शामिल हैं। अंतरिक्ष मलबे को अंतरिक्ष यानों के लिए एक जोखिम के रूप में देखा जाता है क्योंकि अंतरिक्ष मलबा पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च (Launch) किये जाने वाले अंतरिक्ष यानों को नुकसान पहुंचा सकता है।
यह मलबा केसलर सिंड्रोम (Kessler syndrome) के लिए भी उत्तरदायी है। केसलर सिंड्रोम को केसलर प्रभाव भी कहा जाता है जो कि 1978 में नासा (NASA) के वैज्ञानिक डोनाल्ड जे. केसलर (Donald J. Kessler) द्वारा प्रस्तावित, एक सैद्धांतिक परिदृश्य है। इस सैद्धांतिक परिदृश्य के अनुसार अंतरिक्ष प्रदूषण के कारण पृथ्वी की निम्न कक्षा में वस्तुओं का घनत्व इतना अधिक है कि वस्तुओं के बीच होने वाले टकराव अंतरिक्ष में बेकार वस्तुओं के एक बड़े समूह का निर्माण कर सकता है जिसकी वजह से प्रत्येक टक्कर अंतरिक्ष में मलबे को उत्पन्न करती है तथा आगे भी टकराव की संभावना को बढ़ाती है। निहितार्थ यह है कि कक्षा में मलबे का वितरण अंतरिक्ष गतिविधियों को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि इसकी पर्याप्त जानकारी मौजूद नहीं है कि आखिर अंतरिक्ष में कितना मलबा मौजूद है और ये कैसे अन्य अंतरिक्ष गतिविधियों को नुकसान पहुंचा सकता है। मानव और मानव रहित दोनों तरह के कई अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष के मलबे से क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए हैं। अंतरिक्ष उद्योग से जुड़े कुछ प्रतिभागियों द्वारा इस मलबे की माप, शमन और इसे हटाने हेतु संभावित कार्यों का संचालन किया जा रहा है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency) द्वारा 2012 में लगाये गये एक अनुमान के अनुसार, लगभग 5,000 लॉन्च किये गये मिशनों से 23,000 वस्तुएं अंतरिक्ष में स्थापित हुईं। आश्चर्यजनक रूप से, उन टुकड़ों में से अधिकांश चाइनीज़ एंटी सेटेलाइट (Chinese anti-satellite) परीक्षण से उत्पन्न हुए थे जिसने 2007 में फेंग यून-1सी वेदर सेटेलाइट (Feng Yun-1C weather satellite) को लक्षित किया था और 3,300 से भी अधिक मलबे के टुकड़ों का निर्माण किया था।
फरवरी 2009 में, दो उपग्रहों, इरिडियम-33 (Iridium-33) और कोस्मोस–2251 (Kosmos-2251) के बीच आकस्मिक टक्कर से 2,200 टुकड़े निर्मित हुए थे। अक्टूबर 2019 में, यूएस स्पेस सर्वेलेंस नेटवर्क (US Space Surveillance Network) ने पृथ्वी से ऊपर की कक्षा में लगभग 20,000 कृत्रिम वस्तुओं की सूचना दी थी, जिसमें 2,218 परिचालन उपग्रह भी शामिल थे। इसके अलावा जनवरी 2019 में यह अनुमान लगाया गया था कि 1 सेमी (0.4 इंच) से कम के 12.8 करोड़ से अधिक टुकड़े, 1 से 10 सेंटीमीटर के लगभग 9 लाख टुकड़े, और 10 सेमी से बड़े लगभग 34,000 टुकड़े पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में मौजूद हो सकते हैं जोकि अंतरिक्ष यान के लिए एक खतरा है। यदि 10 सेमी से अधिक की कोई भी वस्तु निम्न कक्षा में लगभग 10 किमी/सेकंड की गति से टकराती है, तो इसे जानलेवा माना जाता है तथा अंतरिक्ष में, तबाही का मतलब है कि आपके अंतरिक्ष यान का विनाश जोकि धरती को भी प्रभावित कर सकता है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Space_debris
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Kessler_syndrome
3. https://bit.ly/2u5eV5e
4. https://www.space.com/23039-space-junk-explained-orbital-debris-infographic.html
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