भारत एक अद्भुत देश है, जहाँ पर अनेकों प्रकार के जीव-जंतु पाए जाते हैं। भारत पक्षियों के देश के भी रूप में जाना जाता है और यही कारण है की भारत में इतने अधिक प्रकार के पक्षी भी पाए जाते हैं। चाहे वो हिमालय हो, थार मरुस्थल या भारत का समुद्री तट, प्रत्येक स्थान पर पक्षी पाए ही जाते हैं। पक्षियों की इतनी ज्यादा विकल्पता के मौजूद होने के कारण ही यहाँ पर शिकार आदि का प्रचलन भी बड़ी संख्या में था। मानवों के विकास के समय से ही हम शिकार आदि करते आ रहे हैं। निम्न पुरापाशाण कालीन सभ्यता के समय मनुष्य पूर्ण रूप से शिकार पर ही आधारित था और यह वह समय था जब मनुष्य अपनी शिकार की गतिविधियों में पूर्ण रूप से संलिप्त हुआ करता था। शिकार करने के लिए वह पत्थर और हड्डियों के औजार का प्रयोग किया करता था। एक समय भारत में जिराफ, शुतुरमुर्ग आदि भी पाए जाते थे और विभिन्न पुरातात्विक स्थलों से शुतुरमुर्ग के अंडे प्राप्त हुए हैं, जो की यह सन्देश देते हैं की भारत में लोग शुतुरमुर्ग का शिकार और उसके अंडे का प्रयोग भोजन के रूप में किया करते थे। पाशाणकाल से लेते हुए नवपाषाणकाल और ताम्रपाषाणकाल तक मनुष्य इन पक्षियों का शिकार किया करता था। आज से लगभग एक शताब्दी पहले तक भारत के जंगलों में बंदूकों की आवाजें धमका करती थी, जो की पक्षियों और जीवों के शिकार को प्रदर्शित करती थीं। भारतीय उपमहाद्वीप में शिकार की परंपरा बड़ी संख्या में फैली हुई थी। स्वयं अशोक मोर पक्षी के शिकार की और उनको खाने की बात अपने लेखों में करते हैं।
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