पृथ्वी एकमात्र खगोलीय वस्तु है जिसे इसकी सतह पर तरल पानी के पिंडों के रूप में जाना जाता है। समुद्र ग्रहों या पानी की दुनिया के बारे में लिखें। हमारे सौर मंडल में पानी की दुनिया के बारे में लिखें। चर्चा करें कि जल जगत ज्योतिषविदों के लिए क्यों रुचि रखते हैं यदि वे जीवन का समर्थन कर सकते हैं या रहने योग्य हो सकते हैं। (शनि के चन्द्रमा आदि)
जल गृह या जल जगत का तात्पर्य एक ऐसे जगत से है, जिसमे गृह की सतह पर या सतह के नीचे पर्याप्त पानी की उपस्थिति हो। जल का सबसे बड़ा भंडार महासागर के रूप में होता है। महासागरों में जल के साथ साथ विभिन्न प्रकार के तरल पदार्थ भी उपस्थित होते है। कभी कभी महासागर अलग-अलग तरल पदार्थों, लावा; अमोनिया(पानी के साथ), से मिल कर भी बनते हैं, जैसे की शनि गृह के एक उपगृह टाइटन का भीतरी महासागर विभिन्न तरल पदार्थों का मिश्रण है। पृथ्वी ही एक मात्र खगोलिय पिण्ड है जिसकी सतह पर द्रव जल का जमाव है। अपितु समय के साथ बहुत से अन्य गृहों पर तरल जल उचित स्थिति में पाए गये हैं।
पृथ्वी की लगभग 74% सतह पर तरल या ठोस अवस्था में जल है और इसी कारण कभी कभी लोग इसे नीला गृह भी कहते हैं। यद्यपि इस जल के भंडार को महासागरीय जल के रूप में देखा जाता है, परन्तु संसारके सागरीय जल में एक वैश्विक अथवा परस्पर संबद्ध लवण जल होता है जिसे कभी--कभी भूमंडलीय महासागर भी कहते हैं। भौगोलिक दृष्टी से महासागर महासागर भूपृष्ठ का क्षेत्र है जो जल द्वारा आवृत है। महासागर क्रस्ट ठोस ज्वालामुखी बेसाल्ट की पतली परत है जो पृथ्वी को ढकने का काम करती है।
पानी का अणु एक ओक्सिजन और दो हाइड्रोजन के परमाणुओं से बना है। हाइड्रोजन का निर्माणबड़े धमाके और ऑक्सीजन सितारों की कोर से जो आकर में हमारे सूर्य से भी बड़े हैं। गैसीय रूप में हमारी आकाशगंगा की विशाल तारकीय नर्सरी में प्रचुर मात्रा में पानी पाया जाता है। हबल स्पेस टेलिस्कोप ओरियन नेबुला का आइकनहबल और स्पिटज़र से ज्ञात है की ओरनिया नेबुला में पानी के अणु मौजूद होते हैं और आज भी बन रहे हैं। नेबुला इतना विशाल होता है की यह हर दिन पृथ्वी के महासागर को 60 गुना भरने के लिए पर्याप्त पानी बनता है। पृथ्वी पर पानी की आइकनबीटा चित्रोग्रफी पानी के अणुपाए गए हैं, जहाँ धूमकेतु, क्षुद्रगृह, और युवा गृहों के बीच टकराव में धूल और गैस की एक बड़ी डिस्क है।
अन्य खगोलीय पिंडों में वातावरण के पैमानों पर मंगल गृह पृथ्वी के सबसे निकट है। इस पर प्रचुर मात्र में पानी, और वैश्विक महासागर उपस्थित है। अरबों वर्ष पूर्व मंगल ने अपना चुम्बकीय क्षेत्र खो दिया था और इसने इसे हमारे सौर वायु तथा अन्तरिक्ष मौसम के प्रति संवेदनशील बना दिया। मेवें मिशन ने मंगल के अध्ययन में पाया की मंगल सूर्य से अपना वातावरण लगभग 400 किलोग्राम प्रति घंटे की डर से गंवाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार 87% पानी खो दिया है। अन्य लोको में जल चंद्रमा, छुद्र गृहऔर यहाँ तक कि धूमकेतु पर विविध रूपों में जल पाया जाता है। बृहस्पतिके चन्द्रमा यूरोप पर वैज्ञानिकों के अनुसार पानी की उपस्थिति बर्फीले परत के नीचे होना चाहिए। २०१४ और २०१६ में, हबल ने चन्द्रमा के सुर को उतरने वाले संभावित पानी के प्लम को देखा।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Ocean_planet
2. https://oceanservice.noaa.gov/facts/et-oceans.html
3. https://bit.ly/2v5e8RM
4. https://www.scientificamerican.com/article/are-water-worlds-habitable/
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