लंघनाज और महादहा से प्राप्त होते हैं कई प्रारंभिक जीवों के अवशेष

लखनऊ

 21-01-2020 10:00 AM
सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

विश्व भर में कृषि का विकास संस्कृतियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ रहा है। अधिकांश के लिए यह शिकार के बदले एक महत्वपूर्ण पड़ाव था क्योंकि इसने बस्तियों को आकार दिया था और खाद्य आपूर्ति प्राप्त करने के लिए यात्रा करने की आवश्यकता को कम किया था। हालांकि, शिकार से कृषि के इस बदलाव का नुकसान यह था कि संभवतः कृषि की निर्भरता के साथ आबादी के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी थी।

भारत में हड़प्पा सभ्यता में कृषि का उदय हुआ था और वहीं से कृषि पूर्व और दक्षिण में फैल गई थी। इसके बाद कृषि को अपनाते हुए पूरे विश्व में स्वास्थ्य पर भी प्रभाव आया, जिसे मानव कंकाल के अवशेषों में भी देखा जा सकता है। वहीं लंघनाज और महादहा मीसोलिथिक काल में शिकार के स्थल हुआ करते थे। लंघनाज पश्चिमी भारत में हड़प्पा सभ्यता के नियंत्रण वाले क्षेत्र में स्थित था। दूसरी ओर महादहा पूर्वी भारत में स्थित था जहाँ कृषि के कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं होते।

लंघनाज और महादहा के स्थल मीसोलिथिक से प्रारंभिक नियोलिथिक (Neolithic) काल में भी पाए जाते हैं, लेकिन फिर भी इन्हें मीसोलिथिक स्थल माना जाता है। यह मुख्य रूप से उन लोगों द्वारा बनाई गई प्रौद्योगिकी के प्रकार पर आधारित है, जिसमें माइक्रोलिथिक (Microlithic) उपकरण शामिल हैं। ये उपकरण शिकार के अलावा आमतौर पर लकड़ी, चमड़े और हड्डी जैसी अन्य सामग्रियों को संशोधित करने के लिए भी उपयोग किए जाते थे।

वहीं महादहा का स्थल उत्तरप्रदेश राज्य में पूर्वी भारत के गंगा मैदान में स्थित है। महादहा तीन बेहद अच्छी तरह से संरक्षित सामयिक स्थलों में से एक था, जिसमें सराय नाहर राय और दमदमा (जो एक प्राचीन झील के आसपास स्थित है) भी शामिल हैं। महादहा एक माइक्रोलिथिक संस्कृति से जुड़ा है जो इस स्थल और विंध्य में अन्य पत्थर के आश्रय स्थलों को दर्शाता है। महादहा के स्थल की खुदाई में 32 मानव कंकाल पाए गए थे। वहीं अधिकांश कंकालों के साथ सुस्पष्ट स्थिति में हथियार भी पाए गए, जो पूर्व-पश्चिम या पश्चिम-पूर्व में उन्मुख थे। साथ ही कब्रें चूल्हे के अवशेषों, जले हुए जानवरों की हड्डी के टुकड़ों और चिकनी मिट्टी से भरी हुई थीं।

दूसरी ओर लंघनाज का स्थल पश्चिमी भारत में गुजरात राज्य में स्थित है। यह स्थल एक जीवाश्म रेत के टीले पर टिका हुआ है जो उपमहाद्वीप के इस हिस्से में एक आम विशेषता है। मिट्टी की चूनेदार प्रकृति के कारण, लंघनाज में पौधे के अवशेषों का कोई पुरातात्विक प्रमाण नहीं मिलता है, हालांकि यहाँ से कई जीवों के अवशेषों को संरक्षित किया गया है। लंघनाज में वर्तमान समय में मौजूद वनस्पति 4,000 साल पहले मौजूद वनस्पति की एक तस्वीर देती है। लंघनाज के पशुवत अवशेषों में कई जानवरों का वर्णन किया गया है, जैसे मवेशी, बैल और बकरी के अवशेष, हालांकि कई प्रजातियों का सटीक निर्धारण नहीं किया जा सका था। अन्य अवशेष हिरण, जंगली सूअर, गिलहरी, चूहे, कछुआ, मछली और गैंडे के थे।

कुछ पुरातत्वविदों द्वारा यह सुझाव दिया गया है कि लंघनाज के प्रमाण से पता चलता है कि वहां के लोग शिकारी के बजाय खानाबदोश देहाती थे। उन्होंने अन्य सामग्रियों के लिए व्यापार भी किया था और लंघनाज के दूसरे व्यवसाय के दौरान, उत्तर में दो प्रमुख शहर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा विकसित हुए। इस स्थल की खुदाई से 13 मानव कंकाल प्राप्त हुए थे। अधिकांश को पूर्व-पश्चिम दिशा में उन्मुख कर दफन किया हुआ था।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/3ayY2jR
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Langhnaj
3. https://bit.ly/2u260kw



RECENT POST

  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन बॉलीवुड गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:27 AM


  • आइए चलते हैं, दृष्टिहीनता को चुनौती दे रहे ब्रेल संगीत की प्रेरणादायक यात्रा पर
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:32 AM


  • आइए जानें, कैसे ज़ाग्रोस क्षेत्र के लोग, कृषि को भारत लेकर आए
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:26 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id